धनखड के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव क्या विपक्ष उपराष्ट्रपति और सभापति राज्यसभा को हटा पाएगा

    इस समय विपक्ष उपराष्ट्रपति एवं सदस्य सभापति विरोध अविश्वास प्रस्ताव ला रहा है विभिन्न मुद्दों पर पूरी तरह असफल चुनाव में बुरी तरह हारे हुए इंडी गठबंधन को एक होने के लिए कोई एक बड़ा बिंदु चाहिए था जो अविश्वास के प्रस्ताव के रूप में उसे मिल गया है और इसके लिए 60 सांसदों ने हस्ताक्षर भी कर दिया है लेकिन प्रश्न नया है कि क्या टूट के कगार पर खड़ा इंडी गठबंधन एक हो पाएगा क्या कांग्रेस पार्टी का मान सम्मान बचेगा और क्या ममता बनर्जी विपक्षी गठबंधन का नेतृत्व हथिया पानी में सक्षम होगी
डॉक्टर दिलीप कुमार सिंह 
      इसके वैधानिक बिंदुओं की चर्चा आवश्यक है सबसे बड़ी बात यह है कि अब अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए 14 दिन पहले का जो नोटिस दिया जाना है उसके लिए समय नहीं बचा है इसलिए अब 4 महीने बाद संसद के अगले सत्र में ही इस अविश्वास प्रस्ताव को प्रस्तुत किया जा सकेगा तब तक यह मामला रहेगा भी या नहीं रहेगा इसके बारे में कुछ कहा जाना उचित नहीं है दूसरी बात यह है कि क्या विपक्षी गठबंधन उपराष्ट्रपति के विरुद्ध यह प्रस्ताव राज्यसभा और लोकसभा में पारित कर पाएगा संविधान के अनुच्छेद 61 124 217 218 में महाभियोग का वर्णन किया गया है जिसके द्वारा किसी व्यक्ति को उसके पद से हटाकर उसकी सारी शक्तियां छीन लेने की प्रक्रिया आती है
     भारत के उपराष्ट्रपति की राज्यसभा के पदेन अध्यक्ष अर्थात सभापति होते हैं उनके विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव ले आने का अर्थ है कि भारत के उपराष्ट्रपति को हटाया जाए और इसके लिए उन्हें उन प्रक्रियाओं का पालन करना पड़ेगा जो भारत के उपराष्ट्रपति को उनके पद से महाभियोग द्वारा हटाने जाने के लिए अपनाई जाती है संविधान के अनुच्छेद 67 के अनुसार उपराष्ट्रपति को पद से हटाने के लिए 14 दिन पहले नोटिस दिया जाता है नोटिस प्राप्त होने के बाद वह सदन के अध्यक्षता नहीं कर सकते हैं और अगर मतदान में बराबर की संख्या में वोट पड़ते हैं तो भी वह मतदान नहीं कर सकते हैं संविधान के अनुच्छेद 67 बी के अनुसार राज्यसभा में कुल उपस्थित सदस्यों के बहुमत से और लोकसभा में साधारण बहुमत पारित करके उपराष्ट्रपति को उनके पद से हटाया जा सकता है 
      अब यह देखना आवश्यक है कि क्या विपक्षी गठबंधन के पास इतनी संख्या बल है नोटिस दिए जाने के बाद सरकार का यह कर्तव्य है कि वह इस पर 14 दिन के अंदर सदन में चर्चा कारण लेकिन इस बार यह समय सीमा 14 दिन पहले ही समाप्त हो रही है ऐसे में इस प्रस्ताव पर चर्चा की कोई संभावना नहीं है जब अगला सांसद का सत्र प्रारंभ होगा तभी इस पर चर्चा संभव है इस प्रकार फिलहाल 4 महीने के लिए इस पर कुछ नहीं होना है प्रस्ताव आने के बाद राज्यसभा का उपसभापति सदन के अध्यक्षता करेगा वर्तमान समय में राज्यसभा के कुल वर्तमान सदस्यों की संख्या 231 है समाज विपक्षी गठबंधन के पास कुल 84 राज्यसभा सांसद हैं और एनडीए गठबंधन के अलावा 11 अन्य सांसद अगर विपक्षी गठबंधन का साथ दें तो भी यह संख्या 95 होती है जो आवश्यक बहुमत 116 से बहुत अधिक काम है अतः स्पष्ट है कि यह प्रस्ताव राज्यसभा में पारित नहीं हो पाएगा
      वर्तमान समय में एनडीए गठबंधन और उसकी सहयोगी पार्टियों के पास कुल 114 सांसद हैं यह बहुमत के बहुत करीब हैं यह स्पष्ट करता है कि फिलहाल उपराष्ट्रपति और सभापति राज्यसभा को कोई भी खतरा नहीं है इतना ही नहीं तीन स्वतंत्र सदस्य और 6 नामांकित सदस्यों को मिलाकर एनडीए गठबंधन के पास इस समय 123 सदस्य हैं और वह राज्यसभा में कोई भी प्रस्ताव पारित करने में पूर्ण समर्थ है अब लोकसभा की बात करते हैं जिसके लिए राज्यसभा से प्रस्ताव पारित होने पर सामान्य बहुमत की आवश्यकता होती है लोकसभा में एनडीए गठबंधन को पूर्ण बहुमत प्राप्त है जो 300 से भी अधिक है ऐसे में लोकसभा में भी यह प्रस्ताव किसी भी हालत में पारित नहीं होगा अर्थात सभापति राज्यसभा और उपराष्ट्रपति धनखड़ के खिलाफ ले आया जाने वाला महाभियोग प्रस्ताव बुरी तरह से विफल हो जाएगा ऐसे में यह गंभीर प्रश्न स्वाभाविक रूप से उत्पन्न होता है की पूरी तरह अक्षम होने पर भी विपक्षी गठबंधन ऐसा क्यों कर रहा है
       पहली बात तो यह है कि इसी बहाने विपक्षी गठबंधन अपनी एकता को बनाए रखना चाहता है दूसरा यह सारा काम सोनिया गांधी के   इशारों पर हो रहा है जिनका नाम राहुल गांधी के साथ जॉर्ज सोरोश नमक कुख्यात व्यक्ति से जुड़ने के कारण कांग्रेसी सांसद बहुत ज्यादा बौखलाए हैं उसमें भी जय राम रमेश और दिग्विजय सिंह जैसे लोग तो मानो पागल हो गए हैं यह एक प्रकार से कांग्रेस के द्वारा लाया जाने वाला महाभियोग प्रस्ताव है जो देश की जनता का ध्यान मुख्य राष्ट्रीय बिंदुओं से हटाकर उसे भड़काना चाहते हैं लेकिन देश की जनता अब पहले जैसी नहीं रह गई है वह पढ़ी-लिखी बुद्धिमान और हर बिंदुओं पर राष्ट्रीय महत्व के साथ सोचने वाली है ऐसे में यह महाभियोग प्रस्ताव भी एक नौटंकी से अधिक कुछ नहीं है और या तो यह महाभियोग प्रस्ताव लाया ही नहीं जाएगा यह तो यह इंडी गठबंधन को बिखरा कर रख देगा
(लेखक विधिक सेवा प्राधिकरण में अधिवक्ता ,समसामयिक विषयों के जानकार एवं मौसम वैज्ञानिक है )