मुख्यमंत्री उदय प्रताप कॉलेज, वाराणसी के
115वें संस्थापना दिवस समारोह में सम्मिलित हुए
उदय प्रताप कॉलेज शिक्षा जगत का एक चमकता हुआ सितारा,
वर्ष 1909 में इस संस्थान की नींव रखी गई, : मुख्यमंत्री
उदय प्रताप कॉलेज में स्वयं में ऑटोनॉमस केंद्र बनने की क्षमता
इस कॉलेज से जुड़े हुए स्नातक, परास्नातक, अच्छे स्पोर्ट्स पर्सन, कृषि तथा डेयरी
क्षेत्रों में प्रशिक्षित तथा शिक्षित युवा जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में कामयाबी की गाथा लिख रहे
प्रधानमंत्री जी की नये भारत का नया उ0प्र0 की संकल्पना के अनुसार हमें नये उ0प्र0 के
नये यूपी कॉलेज के नए कैंपस की दिशा में आगे बढ़ने की तैयारी करनी चाहिए
युवा शक्ति की ऊर्जा के केंद्र के रूप में संस्थानों को स्वयं को तैयार करना होगा
युवाओं को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ड्रोन तकनीक, रोबोटिक तकनीक,
इंटरनेट आफ थिंग्स तथा जीन एडिटिंग आदि के बारे में बताया जाना चाहिए
कॉलेज में शॉर्ट टर्म कोर्सेज, डिप्लोमा व डिग्री कोर्सेज तैयार करने पड़ेंगे,
ताकि युवाओं को इन आधुनिक तकनीकों के बारे में जानकारी प्रदान की जा सके
शिक्षा के क्षेत्र में क्वालिटी पर ध्यान दिया जाना चाहिए, आज का समय क्वालिटी का
मुख्यमंत्री ने राजर्षि उदय प्रताप सिंह जूदेव की
प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धा सुमन अर्पित किए
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा कि कड़ी मेहनत का कोई विकल्प नहीं हो सकता। शॉर्टकट रास्ता किसी व्यक्ति को मंजिल तक नहीं पहुंचा सकता। जीवन में आगे बढ़ाने के लिए कठिन से कठिन रास्ते को तय करने का प्रयास करिए, लेकिन शॉर्टकट रास्ता कभी मत अपनाइए। अतीत में जब भी परिवर्तन हुआ है तथा भविष्य में जब भी परिवर्तन होगा, उसमें युवा शक्ति का अहम योगदान होगा। इस युवा शक्ति की ऊर्जा के केंद्र के रूप में संस्थानों को स्वयं को तैयार करना होगा।
मुख्यमंत्री जी आज जनपद वाराणसी में उदय प्रताप कॉलेज (यू0पी0 कॉलेज) के 115वें संस्थापना दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। मुख्यमंत्री जी ने कार्यक्रम में कॉलेज के संस्थापक राजर्षि उदय प्रताप सिंह जूदेव की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धासुमन अर्पित किए। मुख्यमंत्री जी को उदय प्रताप कॉलेज शिक्षा समिति के अध्यक्ष न्यायमूर्ति डी0पी0 सिंह ने अंगवस्त्रम एवं भगवान श्रीराम की प्रतिमा भेंट कर सम्मानित किया।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि उदय प्रताप कॉलेज शिक्षा जगत का एक चमकता हुआ सितारा है। गत सदी में शिक्षा तथा जीवन के सर्वांगीण विकास के क्षेत्र में इस कॉलेज ने जो कार्य किये उसके लिए वाराणसी, पूर्वी उत्तर प्रदेश तथा बिहार ही नहीं बल्कि पूरा देश विनम्र भाव से कृतज्ञता ज्ञापित करता है। वर्ष 1909 में वाराणसी में एक शिक्षण संस्थान की स्थापना होना राजर्षि उदय प्रताप सिंह जूदेव जी के विराट व्यक्तित्व को प्रदर्शित करता है।
उनके मन में यह भाव रहा होगा कि राष्ट्रीयता से ओत-प्रोत भावी भारत के निर्माण के लिए एक ऐसी शिक्षण तथा प्रशिक्षण संस्था की स्थापना करना है, जो देश की आजादी के आंदोलन को गति देने के साथ-साथ प्रत्येक क्षेत्र में इस देश को योग्य नागरिक भी दे सके। यही कारण है कि बाबा विश्वनाथ की पावन स्थली पर वर्ष 1909 में इस संस्थान की नींव रखी गई।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि विगत 115 वर्षों से इस कॉलेज से जुड़े हुए स्नातक, परास्नातक, अच्छे स्पोर्ट्स पर्सन, कृषि तथा डेयरी क्षेत्रों में प्रशिक्षित तथा शिक्षित युवा जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में कामयाबी की गाथा लिख रहे हैं। ओलम्पिक में भारत को मेडल दिलाने वाले हॉकी खिलाड़ी श्री ललित उपाध्याय को डिप्टी एस0पी0 के पद से नवाजा गया है। वह इसी कॉलेज के पुरा छात्र रहे हैं। इस संस्था के माध्यम से देश को शिक्षित, प्रशिक्षित तथा आत्मनिर्भर युवा देकर स्वतंत्रता के पूर्व राष्ट्रभक्त नौजवानों की पीढ़ी को तैयार करने का कार्य किया गया। उन्होंने कहा कि उन्हें इन लोगों से अक्सर संवाद तथा संपर्क करने का अवसर प्राप्त होता रहता है। आज सुबह ही इस कॉलेज के पुरा छात्र गोरखपुर में संचालित महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के अध्यक्ष श्री उदय प्रताप सिंह जी से भेंट हुई।
युवा शक्ति की उपेक्षा करके कोई भी देश आगे नहीं बढ़ सकता। हमें उनकी भावनाओं को सम्मान देना होगा। उन्हें आगे बढ़ने के लिए उचित अवसर प्रदान करने होंगे। युवा ऊर्जा के बिना दुनिया के किसी भी देश ने प्रगति नहीं की है। जिस देश की युवा शक्ति कुंठित, अपराध बोध से ग्रसित तथा दिग्भ्रमित हो, वह देश कभी आगे नहीं बढ़ सकता।
मुख्यमंत्री जी ने कहा आज टेक्नोलॉजी बहुत आगे बढ़ चुकी है। एक समय था जब आर्टिकल तैयार करने में 4 से 6 घंटे लगते थे। आज चैट जी0पी0टी0 के माध्यम से तीन से चार मिनट में विषय से सम्बन्धित पर्याप्त सामग्री प्राप्त की जा सकती है। इससे आलेख तैयार करने में सहायता प्राप्त होती है। यह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का एक सॉफ्टवेयर है। युवाओं को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ड्रोन तकनीक, रोबोटिक तकनीक, इंटरनेट आफ थिंग्स तथा जीन एडिटिंग आदि के बारे में बताया जाना चाहिए। इसके लिए हमें कॉलेज में शॉर्ट टर्म कोर्सेज, डिप्लोमा व डिग्री कोर्सेज तैयार करने पड़ेंगे। ताकि युवाओं को इन आधुनिक तकनीकों के बारे में जानकारी प्रदान की जा सके। इससे युवा देश दुनिया में ऊंचा मुकाम हासिल कर सकेंगे। यहां से निकला हुआ योग्य युवा तथा नागरिक ही संस्थान की पहचान बनेंगे।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि काल का चक्र बहुत विचित्र होता है, वह न किसी का इंतजार करता है, न ही किसी को इंतजार करने का अवसर देता है। जो काल के प्रवाह के अनुसार चलता है, वही आगे बढ़ पाता है। हमें समय के साथ तथा उससे 10 कदम आगे चलने की आवश्यकता है। विद्यालय को अपनी स्थापना दिवस, राजर्षि के जन्म दिवस अथवा अन्य अवसरों के साथ यहां के पुरातन छात्रों को भी जोड़ना चाहिए। पुरातन छात्रों की पूरी सूची प्राप्त करने के लिए सॉफ्टवेयर डेवलप किया जाना चाहिए। अपनी प्रोग्रेस रिपोर्ट में अपने पुरातन छात्रों की वर्तमान स्थिति को भी दर्शाया जाना चाहिए। इससे इस संस्थान को जानने में लोगों को और अधिक मदद प्राप्त होगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि रामायण काल में ‘निसिचर हीन करहुँ महि भुज उठाई पन कीन्ह’ के संकल्प के साथ प्रभु श्रीराम ने अत्यन्त कम आयु में ऋषि-मुनियों को अभय प्रदान किया था। भगवान श्रीकृष्ण ने युवावस्था में ही ‘परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्’ का संकल्प लिया था। बुद्ध ने जब ज्ञान प्राप्त किया था तथा दुनिया को निर्वाण का संदेश दिया था तब बुद्ध युवा ही थे। आदि शंकराचार्य मात्र 32 वर्ष की आयु तक जीवित रहे। उन्होंने देश के चारों कोनों में चार पीठों की स्थापना तथा सनातन धर्म की पुनर्स्थापना की।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अकबर के खिलाफ लड़े गए प्रथम युद्ध के समय महाराणा प्रताप की आयु मात्र 27 वर्ष की थी। छत्रपति शिवाजी महाराज तथा गुरु गोबिंद सिंह जी का इतिहास कौन नहीं जानता। गुरु गोबिंद सिंह जी महाराज के चार साहिबजादों ने अल्पायु में देश तथा धर्म के लिए युद्ध लड़ा। पूरी दुनिया में वैदिक संस्कृति का उद्घोष करने वाले स्वामी विवेकानंद मात्र 39 वर्ष जीवित रहे। उन्होंने ‘गर्व से कहो हम हिंदू हैं’ का संदेश दिया था। गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर ने कहा था कि यदि भारत को जानना है तो स्वामी विवेकानंद को पढ़िए। 1857 की क्रांति को स्वातंत्र्य समर के रूप में सम्बोधित करने वाले तथा उस पर लेखनी लिखने वाले वीर सावरकर को 28 वर्ष की आयु में ही दो आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई।
‘इस भारत वर्ष में सौ बार मेरा जन्म हो, कारण सदा ही मृत्यु का देशोपकारक कर्म हो’ का उद्घोष करने वाले काकोरी ट्रेन एक्शन के महानायक पंडित राम प्रसाद बिस्मिल, ठा0 रोशन सिंह, अशफाक उल्ला खान तथा राजेंद्र प्रसाद लाहिड़ी जैसे महान क्रांतिकारी युवा ही थे। युवाओं ने जब भी अंगड़ाई ली है, भारत आगे बढ़ा है। भारत ने नया प्रतिमान स्थापित किया है। नए प्रतिमान को स्थापित करने के लिए यह वर्ष उदय प्रताप कॉलेज की दृष्टि से अत्यन्त महत्वपूर्ण है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कॉलेज का स्थापना दिवस मनाया जा रहा है। यह राजर्षि की 175 वीं वर्षगांठ का वर्ष भी है। वाराणसी प्राचीन काल से ही शिक्षा का केंद्र रहा है। वाराणसी को आधुनिक शिक्षा का केंद्र बनाने के लिए वर्ष 1909 में उदय प्रताप शिक्षा समिति के माध्यम से नई दिशा प्रदान की गई। यहां सैकड़ों एकड़ भूभाग पर पब्लिक स्कूल, बालिकाओं के संस्थान, महाविद्यालय तथा इंटर कॉलेज आदि का संचालन किया जा रहा है। वाराणसी में यह सब कुछ एक कैंपस के साथ जुड़ा हुआ है। वर्ष 1916 में महामना मदन मोहन मालवीय द्वारा काशी हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना की गई। काशी में शिक्षा की दृष्टि से यह दो महत्वपूर्ण कदम रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि शहरी क्षेत्र में विश्वविद्यालय की मान्यता के लिए मात्र 20 एकड़ भूमि तथा ग्रामीण क्षेत्र में विश्वविद्यालय की मान्यता के लिए 50 एकड़ भूमि की अनिवार्यता की गई है। पहले से स्थापित संस्थाओं को ईज आफ डूइंग बिजनेस की भावना के अनुरूप मान्यता प्रदान करने के लिए एक पेज के मान्यता पत्र को भरकर उसके साथ शपथ पत्र लगाना चाहिए। इस प्रक्रिया का सरलीकरण करते हुए ऑनलाइन किया जाना चाहिए। टीम बनाकर दावों की जांच की जानी चाहिए। दावे सही पाए जाने पर मान्यता प्रदान की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि उदय प्रताप कॉलेज में स्वयं में ऑटोनॉमस केंद्र बनने की क्षमता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यदि यह संस्थान निजी विश्वविद्यालय के रूप में आवेदन करता है तो किसी भी शिक्षक की सेवा पर इसका विपरीत असर नहीं पड़ने वाला है। सरकार द्वारा प्रदान किया जाने वाला अनुदान उसी प्रकार प्राप्त होता रहेगा। शिक्षक संघ तथा सरकार से संवाद बनाते हुए संस्थान द्वारा निर्णय लेकर प्रबंध समिति का प्रस्ताव प्रस्तुत किया जाना चाहिए। विश्वविद्यालय बनने में देर नहीं लगेगी। आप मान्यता की औपचारिकताओं के लिए सस्टेनेबल मॉडल दे पाएंगे। आपको निर्णय लेने की स्वतंत्रता होगी। मान्यता के लिए आपको जगह-जगह नहीं भटकना पड़ेगा।
आपको नए-नए पाठ्यक्रम के साथ स्वयं को जोड़ना पड़ेगा। इसके माध्यम से कैम्पस में नए आयामों को आगे बढ़ने का अवसर प्राप्त होगा। आप बहुत सारे सेंटर आफ एक्सीलेंस दे पाएंगे। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की नये भारत का नया उत्तर प्रदेश की संकल्पना के अनुसार हमें नये उतर प्रदेश के नये यूपी कॉलेज के नए कैंपस की दिशा में आगे बढ़ने की तैयारी करनी चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में क्वालिटी पर ध्यान दिया जाना चाहिए। आज का समय क्वालिटी का है। उत्कृष्टता के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रयास किए जाने चाहिए। यदि आप इस दिशा में आगे बढ़ेंगे तो स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को आगे बढ़ा पाएंगे। लोग आपके साथ कदम से कम मिलाकर चलने को मजबूर होंगे। हमें ऐसा आदर्श प्रस्तुत करना होगा। शासन के नियम सुशासन की स्थापना तथा सर्व समावेशी समाज के निर्माण के लिए होते हैं। यदि हम नियमों का पालन करेंगे तो कानून पूरा संरक्षण प्रदान करेगा। आगे बढ़ने के लिए अनेक अवसर प्राप्त होंगे।
स्टाम्प तथा न्यायालय शुल्क एवं पंजीयन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री रवीन्द्र जायसवाल ने कार्यक्रम को सम्बोधित किया।
इस अवसर पर आयुष एवं खाद्य सुरक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ0 दयाशंकर मिश्र ‘दयालु’ सहित अन्य जनप्रतिनिधिगण, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के कुलपति प्रो0 ए0के0 त्यागी तथा शासन-प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।