मुख्यमंत्री ने कहा कि हम मराठा समुदाय को आरक्षण दिलाने के लिए शुरू से ही सकारात्मक रहे हैं और ऐसे कदम समय-समय पर उठाए हैं।
महाराष्ट्र राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग ने शुक्रवार को मराठा समुदाय के सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक पिछड़ेपन पर अपनी सर्वेक्षण रिपोर्ट सौंपी। मराठा समुदाय के पिछड़ेपन की जांच के लिए राज्य भर में किये गये सर्वेक्षण की रिपोर्ट मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़णवीस की उपस्थिति में सौंपी। रिकॉर्ड समय में साढ़े तीन से चार लाख अधिकारियों और कर्मचारियों द्वारा सर्वेक्षण किया गया । सरकार ने शिक्षा और सरकारी नौकरियों में आरक्षण की समुदाय की मांगों पर चर्चा के लिए 20 फरवरी को एक विशेष सत्र की भी घोषणा की है।
मराठा समुदाय के सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक पिछड़ेपन की जांच के लिए राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के माध्यम से सर्वेक्षण 23 जनवरी को पूरे महाराष्ट्र में शुरू हुआ जिसमें राज्य सरकार के 3.5 लाख से चार लाख कर्मचारियों ने हिस्सा लिया। यह सर्वेक्षण 2.5 करोड़ परिवारों पर किया गया । सर्वेक्षण 2 फरवरी को पूरा हुआ। इस काम में गोखले इंस्टीट्यूट, आईआईपीएस संस्थानों ने मदद की। मुख्यमंत्री ने प्रत्येक गांव के नागरिकों से सर्वेक्षण में सहयोग करने का अनुरोध किया गया था ।
इस काम के लिए राज्य के सभी मंडलायुक्तों, जिलाधिकारियों, नगर निगम आयुक्तों को नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया। साथ ही मुख्य सचिव की अध्यक्षता में सभी विभागों के सचिवों ने भूमि अधिग्रहण, भूमि प्रतिधारण, जमाबंदी, भूमि अभिलेख के साथ-साथ राज्य में नौकरियां सरकारी और अर्ध-सरकारी में मराठा समाज के अनुपात और छात्रों के शैक्षिक स्तर के संबंध में आयोग को वास्तविक जानकारी प्रदान की। साथ ही शारीरिक श्रमिकों की जानकारी भी आयोग को उपलब्ध कराई गई। इसके अलावा मराठा आरक्षण के तहत राज्य में मराठा युवाओं की आत्महत्या की जानकारी भी आयोग को उपलब्ध कराई गई।
किसी भी समाज के साथ अन्याय नहीं किया जाएगा
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने पिछड़ा वर्ग आयोग से मराठा समुदाय के सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक पिछड़ेपन की जांच करने को कहा था। साढ़े तीन से चार लाख लोग इसके लिए दिन-रात काम कर रहे थे। जब देवेन्द्र फड़णवीस मुख्यमंत्री थे, तब उनके प्रयासों से मराठा आरक्षण उच्च न्यायालय में तो बच गया, लेकिन दुर्भाग्य से यह उच्चतम न्यायालय में नहीं टिक सका।
आज सौंपी गई रिपोर्ट को राज्य कैबिनेट की बैठक में पेश किया जाएगा और उस पर चर्चा की जाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि हम मराठा समुदाय को आरक्षण दिलाने के लिए शुरू से ही सकारात्मक रहे हैं और ऐसे कदम समय-समय पर उठाए हैं। आयोग ने रिकॉर्ड समय में सर्वेक्षण पूरा कर लिया है ,मेरा मानना है कि, आरक्षण जो ओबीसी या किसी अन्य समुदाय को प्रभावित किए बिना, कानून के दायरे में फिट बैठता है और कायम रहता है ऐसा आरक्षण हम दे सकते हैं।
आंदोलन वापस लेने का अपील
मराठा समुदाय को आरक्षण देने के लिए राज्य सरकार गंभीरता से प्रयास कर रही है । हमने पिछले कुछ महीनों में कई ठोस कदम उठाए हैं। आयोग ने आज रिकॉर्ड समय में अपनी रिपोर्ट को मंजूरी भी दे दी है । हमने 20 फरवरी को विधानमंडल का विशेष सत्र भी बुलाया है। यह सब देखते हुए आंदोलनकारियों को अपना आंदोलन अपना विरोध वापस ले लेना चाहिए ऐसी अपील मुख्यमंत्री ने इस मौके पर किया। सामाजिक कार्यकर्ता मनोज जरांगे फिलहाल मराठा आरक्षण को लेकर जालना जिले में अपने पैतृक स्थान पर अनिश्चितकालीन अनशन पर हैं।
सर्वेक्षण की रिपोर्ट देते समय मुख्य सचिव डॉ. नितिन करीर, सामाजिक न्याय विभाग के सचिव सुमंत भांगे, आयोग के सदस्य अंबादास मोहिते, ओमप्रकाश जाधव, मच्छिंद्रनाथ तांबे, ज्योतिराम चव्हाण, मारुति शिंकारे, डॉ. गोविंद काले, डॉ. गजानन खराटे, नीलिमा सरप (लखाड़े), सदस्य सचिव आ.उ.पाटिल उपस्थित थे।