सूत्रों ने बताया कि इन कंपनियों के प्रतिनिधियों ने कुछ अन्य देशों का उदाहरण दिया, जहां इलेक्ट्रिक कारों को प्रोत्साहन दिया जाता है।
रविवार को भारत की प्रमुख कार विनिर्माताओं के साथ एक घंटे तक चली बैठक के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया कि प्लग इन और हाइब्रिड कारों पर मिलने वाली पंजीकरण कर छूट वापस लेने की उसकी कोई योजना नहीं है।
बैठक में मौजूद सरकार और उद्योग के सूत्रों ने कहा कि उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने कंपनियों को बताया कि प्लग इन और हाइब्रिड कारों को प्रोत्साहन का मकसद पेट्रोल-डीजल वाली गाड़ियों की बिक्री कम करनी है न कि इलेक्ट्रिक वाहनों की। सूत्रों के मुताबिक उन्होंने कहा, ‘पेट्रोल-डीजल वाली कार के बदले ग्राहक हाइब्रिड कार खरीदेगा।’
बीते 5 जुलाई को उत्तर प्रदेश सरकार ने हाइब्रिड और प्लग इन कारों पर 8 से 10 फीसदी तक लगने वाले पंजीकरण कर को माफ करने का आदेश दिया था। इससे इन कारों की ऑन रोड कीमतों में 4 लाख रुपये तक की कमी आई। बैठक में 8 कंपनियों-टाटा मोटर्स, ह्युंडै, किआ, महिंद्रा ऐंड महिंद्रा, मारुति सुजूकी, टोयोटा, होंडा और बजाज के प्रतिनिधि मौजूद थे।
बैठक के दौरान टाटा मोटर्स, ह्युंडै, किआ और महिंद्रा ऐंड महिंद्रा ने 5 जुलाई के आदेश का विरोध किया। उन्होंने तर्क दिया कि भारत के सबसे बड़े कार बाजारों में से एक उत्तर प्रदेश में उभरते इलेक्ट्रिक कार उद्योग को पूरे ध्यान और समर्थन की जरूरत है।
उन्होंने चिंता जताई कि इस वक्त प्लग इन और हाइब्रिड कारों को प्रोत्साहित करने से इलेक्ट्रिक कार खंड पर भारी असर पड़ेगा। सूत्रों ने बताया कि इन कंपनियों के प्रतिनिधियों ने कुछ अन्य देशों का उदाहरण दिया, जहां इलेक्ट्रिक कारों को प्रोत्साहन दिया जाता है।