कितना बड़ा मजाक किया गया भारत वर्ष के इतिहास के साथ….

      एक बार मेरा मित्र अपने दोस्तों के साथ हिमाचल के पालमपुर से होकर ट्रेकिंग पर जा रहे थे, मार्ग में माँ भगवती ज्वाला जी का प्रसिद्ध मंदिर आता है, जोकि कांगड़ा नगर से 30 किलो मीटर दूर एक नदी के तट पर है। हमने सोचा चलो माँ भगवती के दर्शन करते हुए चलते हैं….
   मंदिर अति प्राचीन और हम हिन्दुओं की 51 शक्ति पीठ में से एक है। मंदिर में कोई मूर्ति नहीं है। एक बड़े से हाल जैसे स्थान पर भूमि से अलग-अलग स्थानों पर 9 स्थानों पर ज्वाला प्रकट हो रही है। उसे ही माँ का स्वरूप मान कर हम हिन्दू उनकी पूजा करते हैं….
वैसे तो अनेक कहानियाँ हैं इस मंदिर के इतिहास और मान्यता पर, किन्तु मंदिर के सूचना पट पर एक लिखी हुई सूचना को पढने के बाद मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ….
उस पर लिखा है कि एक बार अकबर इस मंदिर के दर्शन करने आया था , उसने मंदिर में जलती ज्वाला को बुझाने के लिए अपने लोगों को लगाया, किन्तु ज्वाला जब नहीं बुझी तो माता के चमत्कार से प्रभावित होकर अकबर नंगे पैर माँ के दर्शन करने आया, और माता पर सोने का छत्र चढाया, साथ ही मंदिर को कई सौ बीघा भूमि दान दी।
    मुझे उस लिखित सुचना पर विश्वास नहीं हो रहा था, मैंने वहां के पुजारियों, और अन्य अधिकारियों से इस विषय पर बात की किन्तु सभी ने एक सा ही उत्तर दिया की ये सब सत्य लिखा है….
   पर मुझे भली भांति ज्ञात था कि अकबर मूर्ति भंजक था, उसने हिन्दू धर्म को मिटाने के अनेक प्रयास किये थे। जो इतिहास में लिखे हैं। वो क्रूर इस्लामी जिहादी किसी हिन्दू आस्था पर कभी श्रद्धा नहीं दिखा सकता था….
  जो अकबर अपने अहंकार और इस्लामी जिहादी फितूर के कारण मेवाड़ को तबाह करने के मनसूबे रखता हों…!  जो एक ही दिन में चित्तोड़ो दुर्ग के पास 30 हजार साधारण नागरिकों को केवल हिन्दू होने कारण क़त्ल करवा सकता है वो किसी हिन्दू आस्था पर सोने का छत्र चढ़ाएगा…. ये संभव ही नहीं…!
मैंने अपनी जिज्ञासा की पूर्ति के लिए प्रयास जारी रखे। मेरे मित्र थके हुए थे, इसलिए वे आगे पालमपुर होटल चले गए, और मैं मंदिर में सत्य की खोज पर निकल पड़ा ..!
     बहुत प्रयास करने पर भी कोई सूत्र हाथ नहीं आ रहा था, तभी वहां सुरक्षा में तैनात एक हिमाचल के महानुभाव जो कि भारतीय सेना से सेवा निवृत्य भाई है। उन्होंने मेरी जिज्ञासा को समझा और मुझे लेकर परिसर के पास अपने निवास पर आये। मुझे जल पान करवाया, और कहा क्यूंकि मुझे अधिक कुछ ज्ञात नहीं है, किन्तु मैं तुमको एक विद्वान का पता देता हूँ। उनसे मिलो, अवश्य ही कुछ न कुछ सत्य पता चल जायेगा।
उन्होंने मुझे एक पता दिया, जो पालमपुर के पास एक गाँव का है। वहां रामशरण भारद्वाज जी से मिलना है।
मैं किसी तरह से उनके गाँव पहुंचा , तब तक रात्रि के 8 बज चुके थे , बरसात से मैं भीग गया था ..!
    भारद्वाज जी ने मुझे देख कर पहले तो समझा कि कोई बालक है जो किसी सहायता के लिए आया होगा। किन्तु मैंने जब उनसे ज्वाला देवी मंदिर पर लिखे सुचना पट्ट के विषय में जानकरी चाही, तो वे पहले तो कुछ असहज दिखे, किन्तु मुझ से दो प्रश्न करने के बाद मुझे उन्होंने गंभीरता से लिया और अंदर बुला लिया। कपडे बदलने के लिए दिए, फिर दूध और गुड़ देकर मेरी कंपकंपी को बंद करवाया। फिर हम चर्चा पर आये…!
 भारद्वाज जी सेवा निवृत प्रोफ़ेसर है। उन्होंने इतिहास पर कई थीसिस लिखी हैं।
    मुझे बताया की,, ये सत्य है कि नूरपुर और चम्बे पर हमला करने के लिए अकबर ज्वाला मंदिर पर आया था। और ये भी सत्य है कि मंदिर की ज्योति को बुझाने के प्रयास भी किये थे, किन्तु जब पानी की नहर लाकर भी अकबर ज्योति को बुझा नहीं पाया, तब मंदिर का विध्वंस करवा कर चला गया था…!
ज्वाला स्थल पर बने मंदिर को नष्ट करवाया, वहां के सभी सेवादार और पुजारी आदि सबको मृत्यु दंड देकर मार दिया, ज्योति स्थल को बड़े बड़े शिलाओं से ढक कर चला गया था…!
     बाद में चंबा के राजा संसार चंद ने मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया था और महाराजा रणजीत सिंह ने मंदिर पर सोने का छत्र लगवाया था,, साथ ही महाराजा के पुत्र शेरसिंह ने मंदिर के मुख्य द्वार को चांदी के द्वारों से सजाया था….
    मैंने जब मंदिर परिसर में लिखे सूचना पर उनका ध्यान दिलाया तो प्रोफ़ेसर साहब ने कहा कि ये सूचना हिन्दू समाज की मूर्खता और जिहादी कोम की चालाकी दिखाता एक झूठ है..?
सरकारी आदेश से ये सूचना इसलिए लिखवाई गई है जिससे हिन्दू मुस्लिम में भाई चारा बढ़े और अकबर को महान बनाया जा सकें…!
       हमारे देश के वामपंथी गद्दार इतिहासकारों ने हमसे किस तरह एक एजेंडे के तहत झूठ बोला है, आप समझ गए होंगे। हिंदू भी उन्ही झूठी बातो को एक दूसरे से गर्व के साथ शेयर करता है, झूठी बाते एक से दूसरे और जब दूसरे से तीसरे तक जाती हैं तो वो सच बन जाती हैं और ये सच भी वैसा ही सच है। झूठी बातें हर कोई शेयर कर देता है
ज्वाला देवी की जय🚩🙏
(लेख साभार एक लेखक की यात्रा गाथा से…..)