हां मै हूं संघ का एक स्वयंसेवक….. मेरी निष्ठा फिर मुझे ले जाती है हिन्दू राष्ट्र की संकल्प की ओर

मै संघ का एक स्वयंसेवक,

मै जरूरत पड़ने पर ही दिखता हूं,
जब राष्ट्र को मेरी जरूरत होती है मै स्वयं भीड़ में से निकल कर आ जाता हूं, और मेरा काम समाप्त हो जाने के बाद मै फिर से भीड़ में खो जाता हूं
राष्ट्र खुशहाल है तो मै प्रसन्न हो उठता हूं और राष्ट्र मुरझाता है तो मै दुखी हो जाता हूं, मुझे नहीं पता कि कौन प्रत्याशी है मै सिर्फ उन्नत राष्ट्र देखना चाहता हूं
मुझे खुशी होती है कि मेरा देश सुरक्षित हाथों में होता है
मुझे बूथ पर ना खाना चाहिए ना चाय चाहिए, मै भूखे रह कर भी निस्वार्थ भाव से राष्ट्र के लिए जी जान से जुटा रहता हूं,
जीतने वाले प्रत्याशी को मै नहीं जानना चाहता, ना मै अपनी सूरत दिखाना चाहता,
बस मै चाहता हूं राष्ट्र खिलता रहे और इसी लिए मै तन मन से जुटा रहता हूं,
हां मै हूं संघ का एक स्वयंसेवक….. मेरी निष्ठा फिर मुझे ले जाती है हिन्दू राष्ट्र की संकल्प की ओर, मुझे पता है मै ही हूं अपने राष्ट्र की ताकत – इसी लिए मै जुटा रहता हूं,
इस पुण्य भूमि को पुनः अखंड हिन्दू राष्ट्र बनने के लिए, मां भारती के शीश पर मुकुट सजाने के लिए, हां मैं जुटा रहता हूं इस भारतवर्ष को मजबूत नेतृत्वकर्ता प्रदान करने के लिए, इसीलिए मैं जुटा रहता हूं इस हिन्दू भूमि को मजबूत और सामर्थ्यवान बनाने के लिए।
यही संघ की विशेषता है।