देश पूछता हैं “जब दुनिया के तमाम इस्लामी देशों ने वक़्फ़ संपत्तियों का राष्ट्रीयकरण कर दिया था तो भारत में राष्ट्र का वक्फ़ीकरण कैसे चल रहा था।”
थोड़ा ध्यान से देखेगे तो पायेंगे कि :
“तुर्की ने 1923 में आधुनिक तुर्की गणराज्य बनते ही समस्त वक्फ़ संपत्तियों और परिसंपदाओं का राष्ट्रीयकरण कर दिया था और आज तक राज्य ही इनका प्रबंधन करता है।1924, 1925 और 1935 के तीन क़ानूनों के ज़रिये यह प्रक्रिया पूरी की गई।
सीरिया ने 1947 में उनका संपूर्ण राष्ट्रीयकरण किया और उनका नियंत्रण औकाफ मंत्रालय द्वारा अपने हाथ में ले लिया गया। पारंपरिक मज़हबी प्राधिकारियों की जगह राज्य और उसके अधिकारियों ने ले ली।
मिस्र या इजिप्ट की सरकार ने 1952 में यह कार्य किया और उन्हें औकाफ मंत्रालय के नियंत्रण में कर दिया।
इसी वर्ष ईराक़ी सरकार ने यही राष्ट्रीयकरण किया।
ट्यूनीशिया यह काम 1956 में कर गुजरा।
ईरान में पहले वक़्फ़ संपत्तियों का प्रबंधन एक सुप्रीम कौंसिल ऑफ द कल्चरल रिवोल्यूशन करती थी। पर 1979 की इस्लामिक क्रांति के बाद समस्त वक़्फ़ संपत्तियों को नेशनलाइज्ड कर दिया गया।
इसी वर्ष 1979 में पाकिस्तान सरकार ने भी यह काम कर दिखाया।
यह उदाहरणों की यह सूची बोर करने की हद तक लंबी है।
तो अब प्रश्न यह है कि भारत में यह उलटी रीत कैसे चलती रही ? जो इस्लामी मुल्कों ने कर दिखाया, वह भारत करने से क्यों हिचकता है? और हर मामले में मज़हब के अंतर्राष्ट्रीयकरण के हामी नेता इस मामले में भारत को विपरीत दिशा में क्यों ले जाना चाहते हैं ?”
उनका क्या ईरादा है ?