रियाद: भारत मध्य-पूर्व को जोड़ने के लिए एक बड़ा भू-राजनीतिक दांव चल रहा है। अपने बजट भाषण में निर्मला सीतारमण ने इसे रणनीतिक गेम चेंजर बताया है। अगर यह प्लान सफल होता है तो इससे अरबों डॉलर का व्यापार हो सकता है और चीन का मुकाबला किया जा सकता है। इसका नाम भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक कॉरिडोर है, जिसे जी20 सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लॉन्च किया था।
इस कॉरिडोर की लॉन्चिंग के वक्त अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन, सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान, यूएई के राष्ट्रपति मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान, यूरोपीय यूनियन की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेन मौजूद थी। चीन ने इस कॉरिडोर को लेकर तीखी प्रतिक्रिया दी थी, लेकिन इजरायल-हमास युद्ध के कारण इस कॉरिडोर के भविष्य पर सवाल उठने लगे थे।
भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा (IMEC) भारत को शिपिंग लेन और ओवरलैंड रेलवे के माध्यम से मध्य पूर्व और यूरोप को जोड़ेगा। इस गलियारे के मुख्य रूप से दो भाग हैं। पूर्वी गलियारा भारत को जहाज के जरिए मध्य पूर्व से जोड़ेगा। इसके बाद, माल को संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, जॉर्डन और इजरायल से होकर जाने वाली रेल लाइनों के माध्यम से मध्य पूर्व में ले जाया जाएगा।
इसके बाद इजराइल से यूरोप तक माल जहाज से जाएगा। यह परियोजना सितंबर 2023 में अमेरिका, भारत, सऊदी अरब और कई यूरोपीय संघ देशों ने एक साथ मिलकर शुरू की थी। ऐसे में यह जानना आवश्यक है कि आईएमईसी क्यों मायने रखता है?