क्या मोहनदास करमचंद गांधी उर्फ महात्मा गांधी निजारी इस्माईली सुन्नी मुसलमान थे…?

महात्‍मा गांधी स्‍वतंत्रता आंदोलन के दौरान दो बार रामपुर आए। एक बार जब गांधी जी मौलाना मुहम्मद अली जौहर के साथ रामपुर आए थे तब उनकी मुलाकात तत्‍कालीन नवाब हामिद अली खां से हुई थी। गांधी जी के नवाब खानदान से अच्‍छे रिश्‍ते बन गए थे। वास्तव में मोहनदास करमचंद गांधी उर्फ महात्मा गांधी निजारी इस्माईली सुन्नी मुसलमान थे ?मुस्लिम संप्रदाय का एक सदस्य जो ख़लीफ़ा के उत्तराधिकार के बारे में असहमति के कारण 1094 में इस्माइली शाखा से अलग हो गया। अधिकांश निज़ारी अब भारतीय उपमहाद्वीप में रहते हैं; उनका नेता आगा खान है।

गांधी निजारी इस्माईली सुन्नी मुसलमान होते हैं जिसे फर्जी नेहरू और फर्जी गांधी खानदान ने हिंदुओं को गुमराह करने हेतु छिपाया था और हिदू लोग आज तक गुमराह ही है ……

30 जनवरी 1948 को गांधी की हत्या हुई 31 जनवरी 1948 दिल्ली में यमुना नदी पर दाह संस्कार किया गया था परन्तु अस्थिओं का विसर्जन नहीं हुआ कांग्रेसियों ने उन अस्थिओं को रामपुर के शासक नबाब रजा अली खां को सौंप दिया।

और तीन दिन का राजकीय शोक घोषित कर दिया था क्योंकि उस समय तक रामपुर रियासत का विलय भारत में नहीं हुआ था सालों बाद उसे गांधी स्मारक घोषित कर दिया आजादी के बाद 30 जून 1949 को रामपुर रियासत सरदार वल्लभभाई पटेल जी के सख्ती के कारण भारत में विलय हुआ।

कांग्रेसियों ने देश से छिपाई गांधी की असलियत राजघाट दिल्ली में जो बना है वह है गांधी स्मारक और रामपुर (उत्तर प्रदेश) में जो बना है वह है गांधी की मजार (कब्र) बापू की अस्थियों को लेकर बहस छिड़ी थी कि गांधी हिंदू है ……

इसलिए उनकी अस्थियों का विसर्जन भी हिंदू ही करेंगे परंतु कांग्रेसियों और रामपुर के नबाब रजा अली खां जानते थे कि मोहनदास करमचंद गांधी उर्फ महात्मा गांधी निजारी इस्माईली मुसलमान है।

अत: दिल्ली में रामपुर के नवाब रजा अली और दरबारी कांग्रेसियों की मिटिंग हुई जिसमें निर्णय हुआ कि बापू की अस्थियां नवाब रजा अली खान को दे दी जायें नवाब रजा अली गांधी परिवार से अस्थियाँ स्पेशल ट्रेन से रामपुर ले गया और अस्थियों को चांदी की सुराही में भरकर मुस्लिम तरीके से दफनाकर गांधी की मजार बना दी।