चीन दशकों से पूरी दुनिया की फैक्ट्री बना हुआ है. यहां से चीजें बनकर अमेरिका और बाकी देशों में जाती हैं. इससे अमेरिका के लोगों को सस्ते सामान मिले, लेकिन साथ ही अमेरिका का ट्रेड डिफिसिट भी बढ़ा और ट्रंप जैसे लोगों को लगा कि ग्लोबलाइजेशन ने अमेरिका की नौकरियां छीन ली हैं.
China-US Tariff War: “मैं झुकेगा नहीं!” – यह डायलॉग फिल्म “पुष्पा: द राइज” का एक बेहद पॉपुलर डायलॉग है, जिसे एक्टर अल्लू अर्जुन ने अपने किरदार पुष्पा राज के जरिए पर्दे पर जीवंत किया. यह डायलॉग पुष्पा के उस न झुकने वाले रवैये को दर्शाता है, जो उसे मुश्किल हालात और दुश्मनों के सामने भी मजबूती से खड़ा रखता है. अमेरका-चीन टैरिफ वॉर के बीच यह डायलॉग चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग पर भी फिट बैठता.
अमेरिका ने चीनी आयातों पर 104 फीसदी तक के टैरिफ लगाए थे. इसके पलटवार में चीन ने अमेरिकी प्रोडक्ट्स पर 84 फीसदी तक के टैरिफ की घोषणा कर दी, अब एक बार फिर अमेरिका ने टैरिफ को बढ़ाते हुए 125 फीसदी कर दिया है. चीन जिस तरह से अमेरिका को जवाब दे रहा है, वह एक कड़ा मैसेज है कि वह अमेरिकी दबाव के आगे नहीं झुकेगा. आइए उन 5 कारणों पर नजर डालते हैं, जिनके चलते शी जिनपिंग अमेरिका के दबाव में झुकने को तैयार नहीं हैं.
झुकने की नहीं, टिके रहने की लड़ाई
एक सवाल है कि अगर चीन ने अमेरिका के खिलाफ इतनी जल्दी जवाबी कार्रवाई न की होती, तो क्या ट्रंप चीन पर लगे टैरिफ को रोकते? कनाडा ने भी जवाबी कदम उठाए थे, फिर भी उसे राहत दी गई. अमेरिका और चीन की लड़ाई लगभग आधा ट्रिलियन डॉलर के ट्रेड पर असर डाल सकती है.
चीन सह सकता है ज्यादा जवाब
कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय सैन डिएगो के विक्टर शीह के मुताबिक, “चीन में लाखों लोग बेरोजगार हो सकते हैं, लेकिन चीन की सरकार इस दबाव को अमेरिका से ज्यादा सहन कर सकती है.”
चीनी अर्थशास्त्री काई टोंगजुआन के मुताबिक, यह लड़ाई इस बात पर निर्भर करेगी कि कौन ज्यादा समय तक आर्थिक दबाव सह सकता है और इस मामले में चीन की रणनीतिक सहनशक्ति ज्यादा है.”
यूरोप से लेकर दक्षिण-पूर्व एशिया तक के देशों से बातचीत
पिछले कुछ हफ्तों में चीन ने यूरोप से लेकर दक्षिण-पूर्व एशिया तक के देशों से बातचीत तेज कर दी है ताकि वह अमेरिका के खिलाफ अपना ग्लोबल ट्रेड सहयोग बढ़ा सके. चीन चाहता है कि अमेरिका के सहयोगी देश, जो इस बार-बार होने वाली ट्रेड वॉर से परेशान हो चुके हैं, अब उसके साथ खड़े हों. खास बात है कि चीन बहुत पहले से इस दिन की तैयारी कर रहा था. जब ट्रंप ने 2018 में पहली बार ट्रेड वॉर शुरू की थी और चीनी टेक कंपनी Huawei पर निशाना साधा था, तब चीन को अहसास हुआ कि अगर वह तैयार नहीं रहा, तो उसकी आर्थिक तरक्की को रोका जा सकता है.
6 साल से तैयारी कर रहा था चीन
विक्टर शीह के मुताबिक के मुताबिक, “चीनी सरकार पिछले 6 सालों से इस दिन के लिए तैयारी कर रही है. उन्होंने सप्लाई चेन को फैलाने, घरेलू समस्याओं को संभालने और दूसरी रणनीतियों पर काम किया.”
अब चीन ज्यादा मजबूत स्थिति में
एक्सपर्ट्स का कहना है कि 2018 की तुलना में आज चीन कहीं ज्यादा तैयार है. अमेरिका पर उसकी व्यापारिक निर्भरता अब 20 फीसदी से घटकर 15 फीसदी से भी कम हो गई है.