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शिक्षा एवं संस्कृति के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही विद्या भारती: दिव्यकान्त शुक्ल

जौनपुर। शिक्षा और संस्कृति के प्रचार-प्रसार में विद्या भारती एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। यह क्षेत्र में सरस्वती शिशु मन्दिरर, विद्या मन्दिर जैसे स्कूलों के माध्यम से बच्चों को भारतीय मूल्यों और संस्कृति के साथ शिक्षित करता है जो विभिन्न गतिविधियों में भी शामिल हैं। उक्त बातें दिव्यकान्त शुक्ल अध्यक्ष विद्या भारती पूर्वी उत्तर प्रदेश ने रविवार को जनपद आगमन के दौरान पत्र—प्रतिनिधि से हुई वार्ता के दौरान कही।
उन्होंने आगे बताया कि विद्या भारती की शुरूआत आजादी के बाद वर्ष 1950 के दशक से हुई थी। इसका पहला स्कूल गोरखपुर में 1952 में स्थापित किया गया था जिसका नाम सरस्वती शिशु मन्दिर रखा गया था। शिक्षा के माध्यम से भारतीय संस्कृति और मूल्यों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से इसकी शुरूआत की गयी थी।
माध्यमिक शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश प्रयागराज के सचिव रह चुके श्री शुक्ल ने आगे बताया कि विद्या भारती द्वारा हजारों से अधिक शिक्षा संस्थानों का कार्य किया जा रहा है। विद्या भारती, शिक्षा के सभी स्तरों- जैसे प्राथमिक, माध्यमिक एवं उच्च स्तर पर कार्य कर रही है। इसके अलावा यह शिक्षा के क्षेत्र में अनुसंधान करती है। साथ ही उद्देश्य के बारे में बताया कि विद्या भारती का मुख्य उद्देश्य समाज के सभी वर्गों के बच्चों को शिक्षा प्रदान करना और उन्हें राष्ट्र निर्माण में सक्षम बनाना है। यह शिक्षा संस्थान भारतीय मूल्यों, संस्कृति और संस्कारों को भी बढ़ावा देता है। इस अवसर पर महेन्द्र मिश्र, सारांश मिश्र, प्रवेश दूबे, राकेश जी सहित तमाम लाग उपस्थित रहे।