भगवान दत्तात्रेय व प्रभु श्रीराम की भक्ति में लीन महेंद्रानंद गिरि जी को जूना अखाड़ा ने जगद्गुरु की उपाधि प्रदान की. महेंद्रानंद गिरि जी वंचित समाज से आते हैं, लेकिन धर्म के प्रति उनके समर्पण के कारण जगदगुरु की उपाधि प्रदान की गई. अब महेंद्रानंद गिरी जी वंचित समाज के अन्य लोगों को सनातन धर्म से जोड़ने के अभियान में जुटे हैं.
वर्ष 2018 में महामंडलेश्वर बनने वाले वंचित समाज के कन्हैया प्रभुनंद गिरि जी कहते हैं – धर्मगुरु बनने के बाद उनका जीवन बदल गया. जो हेय दृष्टि से देखते थे, वे सम्मान करने लगे. महामंडलेश्वर बनने के पश्चात शिक्षा, सेवा प्रकल्प चलाकर मतांतरण रोकने के अभियान में जुटा हूं. कुछ ऐसे ही भाव इसी समाज के कैलाशानंद गिरि जी के हैं. जूना अखाड़ा ने इन्हें भी महामंडलेश्वर बनाया है.
इधर, अखाड़े ने आदिवासियों व वंचित समाज के संन्यासियों को महामंडलेश्वर बनाने का अभियान तेज कर दिया है. दैनिक जागरण की रिपोर्ट के अनुसार, अभी तक 52 आदिवासियों का चयन महामंडलेश्वर बनाने के लिए किया है. लोभ-भय, समाज से उपेक्षित व सरकारी सुविधाओं से वंचित लोग मतांतरण करते हैं. इनके घनत्व वाले क्षेत्रों में ईसाई मिशनरियां सक्रिय हैं. इसे देखते हुए जूना अखाड़ा के संन्यासी इनके बीच समय व्यतीत करके उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ने में जुटे हैं. मेल-मिलाप करके उनके बीच के व्यक्ति को धर्मगुरु बनाने की योजना है.
मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, गुजरात और महाराष्ट्र में आदिवासी एवं वंचित समाज के व्यापक घनत्व वाले क्षेत्रों के प्रभावशाली लोगों को अखाड़े से जोड़ा जा रहा है. इसमें कर्मकांड व सनातन धर्म में आस्था रखने वालों को महाकुंभ-2025 में महामंडलेश्वर की उपाधि प्रदान की जाएगी. अभी तक मध्य प्रदेश से पांच, छत्तीसगढ़ से 12, झारखंड से आठ, गुजरात से 15 और महाराष्ट्र के आदिवासी क्षेत्रों से 12 लोगों को महामंडलेश्वर बनाने के लिए चुना गया है.
जूना अखाड़ा ने पिछले 10 वर्षों में 5,150 से अधिक वंचित समाज के संन्यासियों को सनातन धर्म से जोड़ा है. इनके बीच से योग्य लोग महामंडलेश्वर बनाए जाएंगे. जूना अखाड़ा के सभापति श्रीमहंत प्रेम गिरि जी कहते हैं कि पद जाति से नहीं, योग्यता के आधार पर मिलना चाहिए. इसी कारण अखाड़े ने आदिवासी एवं वंचित समाज के योग्य लोगों को महामंडलेश्वर बनाने का निर्णय लिया है.
पद के लिए देनी होती है परीक्षा
जूना अखाड़ा में महामंडलेश्वर पद के लिए संबंधित को परीक्षा देनी पड़ती है. उन्हें पहले अखाड़े के किसी आश्रम से जोड़कर सनातन धर्म के ग्रंथों का अध्ययन कराया जाता है. अगर अनपढ़ हैं तो उन्हें पढ़े-लिखे संन्यासी धर्मग्रंथों का मर्म आत्मसात कराते हैं. घर-परिवार से दूर रहकर भक्ति व त्याग वाली दिनचर्या अपनानी होती है. पांच वर्ष तक इसमें खरा उतरने वालों को पद दिया जाता है.
आज चार लोग बनेंगे महामंडलेश्वर
जूना अखाड़ा ने 30 अप्रैल को गुजरात के सायंस सिटी सोला अहमदाबाद में पट्टाभिषेक समारोह का आयोजन किया है. इसमें वंचित समाज के संन्यासियों का महामंडलेश्वर पद का पट्टाभिषेक होगा. इसमें मंगल दास जी, प्रेम दास जी, हरि प्रसाद जी व मोहन दास बापू जी को महामंडलेश्वर बनाया जाएगा. इनके साथ लगभग पांच हजार लोग सनातन धर्म से जुड़ेंगे.