लखनऊ/शामली: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार में अपराधियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई हो रही है। पुलिस और एसटीएफ (STF) मिलकर खूंखार बदमाशों के ताबड़तोड़ एनकाउंटर कर रही है। इसी क्रम में यूपी एसटीएफ की टीम ने शामली में चार बदमाशों को घेरकर मार गिराया है। इस मुठभेड़ में एसटीएफ के इंस्पेक्टर सुनील कुमार भी गंभीर घायल हो गए थे।
बुधवार को मेदांता गुरुग्राम में इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। इंस्पेक्टर सुनील कुमार की मौत से एसटीएफ ही नहीं बल्कि पूरे पुलिस विभाग को बड़ा झटका लगा है। सुनील कुमार एक जाबांज इंस्पेक्टर थे। वे ददुआ, ठोकिया, दुजाना एनकाउंटर में शामिल रह चुके थे। सिर्फ इतना ही नहीं, ठोकिया एनकाउंटर में उन्हें आउट ऑफ टर्न प्रमोशन मिला था।
सुनील कुमार ने 16 साल एसटीएफ में दी सेवाएं
दरअसल इंस्पेक्टर सुनील कुमार मेरठ के मसूरी गांव के रहने वाले हैं। साल 1990 में सुनील कुमार पुलिस विभाग में सिपाही पद पर भर्ती हुए थे। इसके बाद 1997 में उन्होंने मानेसर हरियाणा में कमांडो कोर्स किया था। साल 2002 में उन्हें हेड कॉन्स्टेबल पद पर प्रमोशन मिल गया था।
इसके करीब 7 साल बाद यानी 2009 में सुनील कुमार यूपी पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (STF) का हिस्सा बन गए थे। तब से लेकर अब तक सुनील कुमार एसटीएफ में ही रहें। इस तरह करीब 16 साल सुनील कुमार यूपी एसटीएफ के साथ काम किया है। उन्होंने अपने इस कार्यकाल में कई बड़े एनकाउंटर में शामिल रहे हैं। सुनील कुमार एक तेजतर्रार और निडर पुलिस इंस्पेक्टर थे।
सुनील कुमार को ठोकिया का एनकाउंटर करने पर मिला इनाम!
एसटीएफ टीम का हिस्सा रहे इंस्पेक्टर सुनील कुमार ददुआ, ठोकिया और दुजाना एनकाउंटर में शामिल रहे हैं। लेकिन एसटीएफ में शामिल होने से पहले साल 2008 में सुनील कुमार फतेहपुर में हुए कुख्यात डकैत ठोकिया के एनकाउंटर में हिस्सा लिया था। उनकी बहादुरी से ठोकिया और उसके गिरोह को नेस्तानाबूद किया जा सका था। इस एनकाउंटर में अदम्य साहस के लिए सुनील कुमार को साल 2011 में आउट आफ टर्न प्रमोशन मिला था।
उन्हें हेड कॉन्स्टेबल से प्लाटून कमांडर पर प्रोन्नत किया गया था। साल 2020 को दलनायक के पद पर प्रमोट कर दिया गया था। सुनील कुमार कई बदमाशों को एनकाउंटर में मार गिराने में अहम भूमिका निभाई है। कुख्यात अनिल दुजाना, आदेश, धीरज को मार गिराने में भी सुनील कुमार ने अहम योगदान दिया था।
ठोकिया ने ददुआ का बदला लेते हुए पुलिस वालों पर किया हमला
बता दें, एक समय में ठोकिया गिरोह आतंक का पर्याय बन गया था। एक मेधावी छात्र के डाकू बनने और फिर एसटीएफ जवानों की हत्या कर वॉटेड बनने की कहानी फिल्मी है। बहन से रेप करने वाले आरोपी को ठोकिया ने मार दिया था। इस घटना के बाद चित्रकूट के अंबिका पटेल ने अपराध की दुनिया में कदम रखा था। ददुआ गैंग में शामिल होते ही अंबिका लूट और अपहरण जैसी वारदातों को अंजाम देने लगा।
अंबिका हत्या करने के बाद कहता था कि मैंने ठोक दिया। कई बार ऐसा कहने के बाद बाद उसे लोग ठोकिया कहकर बुलाने लगे थे। ठोकिया गैंग की एसपी, राजस्थान और यूपी में दहशत थी। ठोकिया ने ददुआ को मारकर वापस लौट रही एसटीएफ टीम के 16 जवानों पर ठोकिया ने धावा बोला। 40 डाकुओं के गैंग ने एसटीएफ पर गोलियां बरसा दी।
इस तरह मारा गया था ठोकिया
ठोकिया ने तब तक गोली चलाई,जब उसे लगा कि सब मारे गए हैं। 6 जवान और एक मुखबिर मारे गए। 7 जवान बुरी तरह से घायल हुए। इस वारदात ने सरकार की खूब किरकिरी कराई। मायावती सरकार ने उस पर 6 लाख का इनाम घोषित किया था। यूपी पुलिस को अगस्त 2008 में सफलता मिली थी। पुलिस को इनपुट मिला था कि चित्रकूट के कर्वी इलाके में ठोकिया बड़ी घटना को अंजाम देने वाला है।
इस सूचना पर कार्रवाई करते हुए पुलिस ने सिलखोरी जंगल को घेर लिया था। शाम 7 बजे से दोनों तरफ से गोलीबारी शुरू हो गई थी। सात घंटे तक ठोकिया करीब 20 साथियों के साथ पुलिस का मुकाबला करता रहा था। देर रात करीब ढाई बजे एनकाउंटर में ठोकिया मार गिराया गया था। दावा यह भी किया जाता है कि ठोकिया की मौत पुलिस की गोली से नहीं, बल्कि उसके ही साथी डाकू ज्ञान सिंह ने मारा था।