वाराणसी से अहमदाबाद जा रही साबरमती एक्सप्रेस के शुक्रवार रात को कानपुर-झांसी रूट पर दुर्घटनाग्रस्त होने के पीछे किसी बड़ी साजिश से इन्कार नहीं किया जा सकता। क्योंकि ठीक एक घंटे पहले करीब डेढ़ बजे यहां से पटना-इंदौर सुपरफास्ट भी गुजरी थी, तब सबकुछ ठीक था। एक घंटे बाद जब साबरमती एक्सप्रेस गुजरी तो वह दुर्घटनाग्रस्त हो गई।
सवाल यह उठता है कि आखिर एक घंटे के भीतर ट्रैक पर पटरी का टुकड़ा कहां से आ गया। पास में ही एक क्लंप भी पड़ा था। आशंका है कि इस क्लंप की मदद से पटरी को ट्रैक पर कसा गया था। इसी पर चढ़ने के बाद ट्रेन डिरेल हो गई। फोरेंसिक टीम ने भी जांच के बाद ऐसी ही आशंका जताई है।
हादसे की सूचना पर टीम संग मौके पर पहुंचे फोरेंसिक एक्सपर्ट पीके श्रीवास्तव ने जांच पड़ताल कर साक्ष्य एकत्रित किए। फोरेंसिक एक्सपर्ट के अनुसार जांच के दौरान घटनास्थल से 80 मीटर दूर एक तीन फीट का पटरी का टुकड़ा और क्लंप मिला है।
आशंका है कि ट्रेन को डिरेल करने के लिए पटरी के टुकड़े को क्लंप के जरिये ट्रैक से कस दिया गया था। हालांकि इस संबंध में पुलिस कमिश्नर अखिल कुमार का कहना था कि मौके से जो पटरी का टुकड़ा मिला है, उसमें रगड़ के निशान नहीं हैं।
पुलिस कमिश्नर का कहना है कि फोरेंसिक और रेलवे की टेक्निकल रिपोर्ट आने के बाद ही हादसे की असल वजह स्पष्ट होगी।
पुलिस कमिश्नर जीआरपी के भीमसेन प्रभारी राजेंद्र सिंह रावत से मौके पर मिले। लोहे की पटरी के बारे में पूछा तो उन्होेंने बताया कि जब वह घटना की सूचना के बाद पहुंचे तो पटरी का टुकड़ा दिखाई दिया था। वहीं जीआरपी प्रभारी योगेंद्र मिश्रा ने घटना स्थल पर पटरी का टुकड़ा नजर न आने की बात कही।
हादसे की जांच के लिए रेलवे अधिकारियों ने एसएजी की टीम गठित की है। यह सभी पहलुओं पर जांच करेगी। एसएजी की टीम में सभी क्लास वन के अधिकारी रहते हैं। यह टीम हादसे के हर पहलुओं की जांच करेगी।
आपको बता दें कि वाराणसी से अहमदाबाद जा रही साबरमती एक्सप्रेस (19168) शुक्रवार देर रात करीब 2:30 बजे बोल्डर से टकराकर पटरी से उतर गई। हादसा गोविंदपुरी और भीमसेन स्टेशन के बीच पनकी क्षेत्र में हुआ। राहत की बात यह रही कि सभी 22 बोगियों के पटरी से उतरने के बाद भी कोई हताहत नहीं हुआ।