ग्रामीण क्षेत्र में क़्वालिटी रिसर्च में आती हैं दिक्कतें – डॉ. तनु डंग

कार्यशाला में एआई और चैट जीपीटी पर विस्तार से की गई चर्चा

    जौनपुर। वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय जौनपुर में संकाय भवन के कांफ्रेंस हाल में चल रहे भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद,  नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित दो साप्ताहिक कार्यशाला में बुधवार को रिसर्च मेथेड यूज्ड इन मीडिया कम्युनिकेशन रिसर्च पर चर्चा की गई।

    इस अवसर पर इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय दिल्ली की जनसंचार विभाग की डॉ. तनु डंग ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) पर चर्चा करते हुए कहा कि वह ज्ञान को बढ़ा नहीं रही है बल्कि डंप कर रहा है। आजकल किसी भी स्टडी या रिसर्च में चैट जीपीटी का प्रयोग विद्यार्थी बहुत तेजी से हो रहा है। इसमें कामन आइडिया होता है । वह जो आपको दे रहा है वह दूसरे को भी दे रहा है वह भी बिना किसी संदर्भ के। उन्होंने एआई और चैट जीपीटी पर विस्तार से चर्चा की। साथ ही उनकी खामियों को बताया। कहा कि इसके इस्तेमाल से कॉपी राइट का खतरा बढ़ता है। उन्होंने शोध प्राविधि में फोकस ग्रुप डिस्कशन की अच्छाइयों पर प्रकाश डाला। साथ ही कहा कि इसमें हम कुछ प्रश्न की फ्रेमिंग करके जाते हैं लेकिन स्टडी में डायरेक्शन चेंज हो जाता है।

    उन्होंने बिहेवियर चेंज कम्युनिकेशन और क्वालिटेटिव रिसर्च के बारे में विस्तृत रूप से बताते हुए कहा कि ग्रामीण क्षेत्र में इसकी स्टडी में काफी परेशानी आती है। ट्रेंड एनालिसिस पर उन्होंने कहा कि यह किसी भी क्षेत्र के मार्गदर्शन में बहुत सहायक होता है कि वह भविष्य में कहां होना चाहता है।  यह राजस्व और लागत पर ऐतिहासिक डेटा की भी पहचान करता है और अधिक खर्च और राजस्व में गिरावट जैसे समस्या क्षेत्रों को चिह्नित कर सकता है। निवेश के साथ, प्रवृत्ति विश्लेषण उपयोगी है क्योंकि किसी स्टॉक के व्यवहार का अनुसरण करने से बाजार में उसके भविष्य के प्रदर्शन के संकेत मिल सकते हैं।

इस अवसर पर प्रो. अजय प्रताप सिंह, डॉ. मनोज पांडेय, डॉ. जाह्नवी श्रीवास्तव,डॉ. सुनील कुमार, डॉ. दिग्विजय सिंह राठौर, बब्बन कुमार,  अनुपम, श्रुति श्रीवास्तव, दीपक कुमार यादव, एजाज अहमद, डॉ. दया सिंधु, डॉ. विवेक मिश्रा, डॉ. कपिलदेव, डॉ. वीरेंद्र कुमार साहू, डॉ. दीपक कुमार दास प्रतिमा मौर्या आदि उपस्थित थीं।