राज्यमंत्री प्रतिमा बागरी रही मुख्य अतिथि, अभय महाजन रहें विशिष्ट अतिथि
कुलगुरु प्रो भरत मिश्रा ने की अध्यक्षता
चित्रकूट, 28 अक्टूबर 2024। महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय में आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन प्रदेश सरकार की नगरीय विकास और आवास राज्य मंत्री श्रीमती प्रतिमा बागरी ने किया। विशिष्ट अतिथि दीन दयाल शोध संस्थान के संगठन सचिव अभय महाजन रहें। अध्यक्षता कुलगुरु प्रो भरत मिश्रा ने की। इस अवसर पर अतिथियों का स्वागत, तकनीकी सत्रों के प्रतिवेदन, वाचन,पुस्तक ,विमोचन,प्राध्यापकों, वैज्ञानिकों, शोधार्थियों एवं विद्यार्थियों को अवार्ड प्रदान किया गया। बाल्मीकि सभागार में आयोजित समापन सत्र को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि और राज्य मंत्री श्रीमती प्रतिमा बागरी ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण समस्त विश्व की एक महत्वपूर्ण आवश्यकता बन गई है। यही कारण है कि संयुक्त राष्ट्र संघ के सतत विकास लक्ष्यों की घोषणा के सत्रह लक्ष्यो में से छह लक्ष्य पर्यावरण संरक्षण संबंधित है, जिन्हें वर्ष 2030 तक प्राप्त करना, विश्व के प्रत्येक राष्ट्र का लक्ष्य रखा गया है।
आज जरूरत है कि प्रत्येक व्यक्ति एक पेड़ लगाये। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा किए गए एक पेड़ मां के नाम के आवाहन को आत्मसात करते हुए वैज्ञानिकों और शोधार्थियों से पेड़ लगाने आग्रह किया। उन्होंने क्रूनो नेशनल पार्क में लुप्त हो रहे जीवो को पुनर्वासित करने एवं ऐसे अनेक अभ्यारणों की स्थापना और जंगली जानवरों को संरक्षण करने का आवाहन किया। श्रीमती बागरी ने जल संरक्षण के लिए राष्ट्रीय एवं प्रदेश स्तर पर किए जा रहे कार्यों से संबंधित जानकारी साझा की।
विशिष्ट अतिथि और दीन दयाल शोध संस्थान के संगठन सचिव अभय महाजन ने भारतरत्न राष्ट्र ऋषि नाना जी देशमुख द्वारा स्थापित की गई जल संरक्षण गतिविधियो और पर्यावरण संरक्षण के सार्थक प्रयासो बताते हुए कहा कि इस संगोष्ठी के माध्यम से ग्रामीण विकास के क्षेत्र में रोजगार के नए अवसरों को खोजने और सृजन की दिशा में प्रयास होना चाहिए। उन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षण में किसान की अहम भूमिका रहती उनके माध्यम से जल संरक्षण का कार्य उत्तम तरके से किया जा सकता है। अध्यक्षता कर रहे कुलगुरु प्रो भरत मिश्रा ने सुझाव दिया कि इस संगोष्ठी में आए विचारों और कार्य अनुभवों को चित्रकूट संगोष्ठी रिपोर्ट के रूप में प्रकाशित करना चाहिए।
उन्होंने नित नवीन शोध कार्य करने पर बल दिया तथा नये शोधार्थियों से देश हित में शोध करने की अपील की।
इस अवसर पर अतिथियों ने आयोजन सचिव डॉ उमेश कुमार शुक्ला की नवीन पुस्तक कृषि वन्य जीवन और सामुदायिक विकास का विमोचन किया गया । कार्यक्रम संयोजक डॉ उमेश कुमार शुक्ला ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि कृषि एवं पशुपालन तथा ग्रामीण जन भारत के विकास में अहम भूमिका निभा रहे हैं। डॉ शुक्ला ने बताया कि संगोष्ठी में आठ राज्यों यथा: पंजाब,बिहार, उत्तराखंड, उड़ीसा,दिल्ली, उत्तर प्रदेश ,मध्य प्रदेश एवं छत्तीसगढ़ के विभिन्न विषयों के वैज्ञानिक प्रतिनिधियो ने सहभागिता किया। वैज्ञानिकों द्वारा जल संरक्षण, कचरा प्रबंधन,पर्यावरण संरक्षण,ई वेस्ट मैनेजमेंट गौरैया, तोता एवं मैना का संरक्षण संवर्धन, नदियों का पुनरुद्धार ,वायु प्रदूषण ,पशु संवर्धन , तथा कृषि एवं ग्रामीण विकास जैसे विषयों को छह विभिन्न तकनीकी सत्रों के माध्यम से रखा गया। पोस्टर प्रजेंटेशन सत्र में छब्बीस प्रतिभागियों द्वारा जंगलों का संरक्षण ,नैना टेक्नोलॉजी के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण, सतत कि विकास में पर्यावरण की भूमिका ,विज्ञान एवं पर्यावरण ,ग्रामीण विकास में महिलाओं की भूमिका ,कृषि विकास के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण ,जैविक कृषि का महत्व, पर्यावरण एवं मानव जल ही जीवन है, पॉलीथिन उन्मूलन, ध्वनि प्रदूषण ,ह्यूमन राइट्स आदि विषयों पर अपना प्रस्तुतीकरण दिया। 11 वैज्ञानिकों द्वारा आमंत्रित व्याख्यान दिए गए, जिसमें मुख्य रूप से प्रो अनिल तिवारी बिहार,प्रो सुमन मोर पंजाब, प्रो रूपाली सत्संगी आगरा, आहुति सिंह वाराणसी आदि रहे।
संगोष्ठी मे विभिन्न प्रकार के पुरस्कार इंस्टीट्यूट आफ टेक्निकल एंड साइंटिफिक रिसर्च जयपुर राजस्थान के द्वारा उत्कृष्ट कार्य करने हेतु दिया गया, जिसमें यंग साइंटिस्ट अवार्ड अंजलि तिवारी, रोशनी सिंह,रेनू पटेल, वेदांत शुक्ला,अंकुर द्विवेदी, अंकित तिवारी, प्रकाश भारती अंकित गुप्ता,शालिनी सिंह , अक्षय सिंह ,आदित्य सिंह, दीक्षा मरावी, जितेंद्र द्विवेदी, शिवानी तिवारी ,विजय त्रिपाठी एवं प्राजंलि साथ ही सीनियर साइंटिस्ट और इमीनियेन्ट रिसर्चर अवार्ड डा.लक्ष्मी द्विवेदी , डा.मेघा दूबे , डा अपर्णा सिंह, डॉक्टर बृजेश शुक्ला डॉ संतोष कुमार तथा फेलोशिप अवार्ड प्रो आई .पी त्रिपाठी ,प्रो अमरजीत सिंह , डॉ आञ्जनेय पांडे ,डॉ जयंत राय ,डॉ मयंक दुबे एवं एस पी मिश्रा को दिया गया। सेमिनार रिपोर्ट डॉ शिवेशवर राय द्वारा प्रस्तुत किया गया तथा कार्यक्रम का संचालन प्रो हरिशंकर कुशवाहा ने किया।