नई दिल्ली : पश्चिम बंगाल में उठ रहे डुप्लिकेट वोटर कार्ड यानी EPIC नंबर के मामले में चुनाव आयोग ने एक बार फिर से इस बात को साफ करते हुए माना है कि कुछ मतदाताओं के पास डुप्लिकेट EPIC नंबर हैं। यह समस्या 2000 में EPIC नंबरों की आवंटन प्रक्रिया में कुछ त्रुटियों के कारण हुई। लेकिन अब आयोग अगले तीन महीनों में इस समस्या को हल करने के लिए प्रत्येक वोटर को एक यूनिक राष्ट्रीय EPIC नंबर जारी करने की योजना बना रहा है।
क्या है मामला
लेकिन सवाल यह भी है कि जनवरी में जब स्पेशल समरी रिवीजन के तहत वोटर लिस्ट का पब्लिकेशन हुआ तब किसी वोटर या राजनीतिक पार्टी ने इस मामले में अपील क्यों नहीं की? जबकि हर साल वोटर लिस्ट को अपडेट करते वक्त सभी को यह अवसर दिया जाता है कि अगर उसमें या वोटर कार्ड में कोई परेशानी है तो इसकी अपील की जा सकती है। लेकिन उस वक्त इसकी अपील ना तो पश्चिम बंगाल में किसी ने डीएम या सीईओ से की और ना ही अन्य राज्य में।
आयोग ने क्या कहा
आयोग का कहना है कि भारत में मतदाता सूची दुनिया का सबसे बड़ा वोटर डेटाबेस है। जिसमें 99 करोड़ से अधिक रजिस्टर्ड वोटर हैं। मतदाता सूची को लगातार अपडेट किया जाता है। जिसका पब्लिकेशन 6-10 जनवरी 2025 को प्रकाशित किया गया था। वोटर लिस्ट अपडेट करते वक्त इसकी पारदर्शिता बनी रहे। इसलिए इस दौरान BLO और राजनीतिक दलों के बूथ स्तर के एजेंटों (BLA) को भी इसमें शामिल किया जाता है।
इसमें आपत्तियां दाखिल करने का भी अवसर दिया जाता है। इसमें अगर कोई व्यक्ति मतदाता सूची से संतुष्ट नहीं है तो वह RP अधिनियम 1950 की धारा 24 (a) के तहत DM/जिला कलेक्टर/कार्यकारी मजिस्ट्रेट के पास पहली अपील और धारा 24 (b) के तहत मुख्य निर्वाचन अधिकारी यानी सीईओ के पास दूसरी अपील दायर कर सकता है।