भारत युद्ध की नहीं, वरन बुद्ध की भूमि है- डॉ. मोहन भागवत जी
नागपुर सामाजिक परिवर्तन से ही व्यवस्था में परिवर्तन होता है. इसके लिए सबसे पहले आध्यात्मिक जागरण की आवश्यकता होती है. आक्रान्ताओं ने जब भारत पर आक्रमण किया तो समाज उनके अत्याचारों से त्रस्त हुआ, तब संतों ने आध्यात्मिक जागरण कर लोक में निर्भयता का भाव जगाया. हमें भी अपने व्यवहार में आत्मीयता और एकात्मता को…