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जब प्रभु के चरण को जनक ने धोया तो देवता भी चकित हो गए

घुघली। जिसका चरण स्पर्श कर गौतम मुनि की स्त्री अहिल्या ने परमगती पाईं। जिन चरन कमलों का मकरंद रस शिव जी के मस्तक पर विराजमान है। जिसको देवता पवित्रता का का सीमा बताते हैं। मुनि और योगी जन अपने मन को भौरा बनाकर जिन चरन कमलों का सेवन करके मनोवांछित गति प्राप्त करते हैं। उन्हीं…

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