परिवार में बढ़ रहे मतभेद और कलह कैसे दूर करें,बता रहे है ज्योतिषाचार्य एवं कर्मकांड विशेषज्ञ पं.वेद प्रकाश शुक्ल
शनिदेव यदि कुंडली के तृतीय, षष्ठ और एकादश भाव में आसीन हों, तो अपनी दशा में हानि नहीं, लाभ का कारक बनते हैं। ऐसे में, शनि से संबंधित कर्म अपार धन, संपत्ति व सफलता का कारक बनते हैं। तेल, चमड़े, लोहे, स्टील, मशीनरी, सर्विसिंग, कोयले, खनिज क्षेत्र में बड़ी सफ़लता देते हैं। इसे आजमाएं यदि…