वात्सल्य:”हे विश्व के भ्रमित मर्दो ,औरत दिल से कमजोर नहीं होती ,वो तो बस ‘माँ’ होती है..!

वो विधवा थी पर श्रृंगार ऐसा कर के रखती थी कि पूछो मत।     बिंदी के सिवाय सब कुछ लगाती थी। पूरी कॉलोनी में उनके चर्चे थे। उनका एक बेटा भी था जो अभी नौंवी कक्षा में था । पति रेलवे में थे उनके गुजर जाने के बाद रेलवे ने उन्हें एक छोटी से…

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