मस्जिद कमेटी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसमें हाईकोर्ट ने इस विवाद से जुड़े 15 मुकदमों को एक साथ जोड़कर सुनवाई करने का लिया था फैसला
हाईकोर्ट का कहना था कि ये सभी मुकदमे एक ही तरह के हैं, जिनमें एक ही तरह के सबूतों के आधार पर होना है फैसला ……लिहाजा कोर्ट का समय बचाने के लिए ये बेहतर होगा कि इन मुकदमों पर एक साथ हो सुनवाई……..
हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट का खटखटाया था दरवाजा, लेकिन वहां से उसे नाउम्मीदी ही लगी हाथ ……
गौरतलब है कि पिछले वर्ष इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मस्जिद विवाद से जुड़े सभी 15 मामले सुनवाई के लिए मंगा लिए थे अपने पास……
बताते चलें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मथुरा में शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने की मांग वाले वाद की पोषणीयता को चुनौती देने के संबंध में दायर याचिका पर अगली सुनवाई 20 मार्च की है तय …….
मूल वाद में दावा किया गया है कि शाही ईदगाह मस्जिद, कटरा केशव देव मंदिर की 13.37 एकड़ भूमि पर बनाई गई है……इस मामले में मुस्लिम पक्ष की अधिवक्ता तसलीमा अजीज अहमदी ने दलील दी कि उनके पक्ष ने 12 अक्टूबर 1968 को एक समझौता किया था, जिसकी पुष्टि 1974 में निर्णित एक दीवानी वाद में की गई……
एक समझौते को चुनौती देने की समय सीमा तीन वर्ष है, लेकिन वाद 2020 में किया गया दायर इस तरह से समय सीमा से बाधित है मौजूदा वाद……
तसलीमा अजीज अहमदी ने यह भी कहा कि यह वाद शाही ईदगाह मस्जिद के ढांचे को हटाने के बाद कब्जा लेने और मंदिर बहाल करने के लिए किया गया है दायर ……वाद में की गई प्रार्थना दर्शाती है कि वहां मस्जिद का ढांचा है मौजूद और प्रबंधन समिति के पास है उसका कब्जा…..
मुस्लिम पक्ष की अधिवक्ता ने दलील दी, ‘इस प्रकार से वक्फ की संपत्ति पर एक सवाल / विवाद किया गया है खड़ा…… ऐसे में वक्फ कानून के प्रावधान होंगे लागू और इस तरह से इस मामले में सुनवाई वक्फ अधिकरण के न्याय क्षेत्र में आता है न कि दीवानी अदालत के अधिकार क्षेत्र में……..