पांच करोड़ की लागत से लगा सोलर पैनल, आज तक नहीं हो सका चालू

करंजाकलावीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय परिसर में पांच करोड़ की लागत से भवनों पर सोलर पैनल लगाया गया था। यह आठ महीने पहले अंक अर्जित करने के लिए नैक मूल्यांकन के समय लगा था। नैक टीम निरीक्षण करके चली गई लेकिन आज तक विभिन्न भवनों पर लगे सोलर पैनल को अभी तक सप्लाई के लिए नहीं जोड़ा गया। जिससे अभी भी विश्वविद्यालय का 20 से 25 लाख रुपये बिजली का बिल आ रहा है।

        वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विद्यालय में पूर्व कुलपति प्रोफेसर निर्मला एस मौर्या के कार्यकाल के दौरान पांच वर्ष पहले सोलर पैनल लगाने का प्रस्ताव आया था। इसके बाद वित्त विभाग से पांच करोड़ रुपये की लागत से सोलर पैनल लगवाने का बजट भी पास हो गया। रूफटॉप पर सोलर पैनल को स्थापित कर दिया गया। इस दौरान नैक मूल्यांकन में विश्वविद्यालय ने अपने बेहतर प्रदर्शन को दिखाने के लिए विकास कार्य में उसे भी जोड़ दिया। नैक टीम के निरीक्षण के दौरान विश्वविद्यालय ने ए-प्लस ग्रेड भी हासिल किया था। इस दौरान पूर्व कुलपति प्रोफेसर निर्मला एस मौर्या का कार्यकाल समाप्त हो गया। निरीक्षण के बीते आठ महीने से ज्यादा का समय हो गया लेकिन अभी तक विश्वविद्यालय प्रशासन ने सोलर पैनल की सप्लाई किसी भी संकायों से जोड़ा नहीं है। जिसमें प्रमुख रूप से प्रशासनिक भवन, कला संकाय, विज्ञान संकाय, रज्जू भैया संस्थान, इंजीनियरिंग विभाग एवं फार्मेसी के भवन आदि हैं।

बिजली बिल की बचत के उद्देश्य लगाए गए सोलर पैनल अब सिर्फ शोपीस बनकर रह गए हैं। कई सोलर पैनल में जंग सा लग गया है। पिछले आठ महीने से विश्वविद्यालय में लगे सोलर पैनल से एक भी लाइट व पंखे नहीं चले हैं। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि यदि पांच करोड़ रुपये खर्च करके भी विश्वविद्यालय बिजली की बचत नहीं कर पा रहा है तो क्या सिर्फ नैक टीम के दिखावे के लिए सोलर पैनल लगाया गया।

सोलर पैनल को भवनों के सप्लाई से जोड़ने की प्रक्रिया चल रही है। प्रयास है कि जल्द सोलर पैनल के कनेक्शन से विश्वविद्यालय के सभी संकायों को और प्रशासनिक भवन को भी जोड़ा जाएगा।
-महेंद्र कुमार, कुलसचिव, पूर्वांचल विश्वविद्यालय