भारतीय रिजर्व बैंक ने नीतिगत रीपो दर पर रखा लंबा विराम

ARUN SINGH(Editor)

एमपीसी का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष में हेडलाइन मुद्रास्फीति औसतन 5.4 फीसदी रहेगी। हालांकि उसका यह भी अनुमान है कि 2024-25 में इस दर में कमी आएगी और यह औसतन 4.5 फीसदी रह सकती है जो लक्ष्य के करीब होगी। इस अनुमान को दो स्रोतों से खतरा हो सकता है। पहला है खाद्य कीमत। हालांकि रबी सत्र की बोआई में सुधार हुआ है लेकिन प्रतिकूल मौसम और जलाशयों का कम जल स्तर निकट भविष्य में उत्पादन पर असर डाल सकते हैं।

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने 2024 की अपनी पहली बैठक में नीतिगत रीपो दर और अपने रुख दोनों को अपरिवर्तित रखा। उसने नीतिगत रीपो दर को 6.5 फीसदी के स्तर पर ही बने रहने दिया। इस यथास्थिति की वजह एकदम साफ है।

दूसरी बात, लाल सागर क्षेत्र में इस समय उथल पुथल के हालात हैं और पश्चिम एशिया में भूराजनीतिक तनाव की स्थिति है। यह आपूर्ति श्रृंखला को बाधित कर सकता है और कीमतों पर दबाव बना सकता है। इन जोखिमों के अलावा केंद्रीय बैंक काफी सहज स्थिति में नजर आ रहा है। चालू चक्र में दरों में 250 आधार अंकों की समेकित वृद्धि हुई और उसका असर व्यवस्था में अभी भी दिख रहा है जिससे मुद्रास्फीति में कमी लाने में मदद मिलनी चाहिए। रिजर्व बैंक मौद्रिक नीति के लक्ष्यों को पाने के लिए नकदी के हालात का भी प्रबंधन कर रहा है।

भारतीय अर्थव्यवस्था में मजबूत वृद्धि केंद्रीय बैंक को इस बात की नीतिगत गुंजाइश प्रदान करती है कि वह मुद्रास्फीति प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित कर सके। चालू वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद में 7.3 फीसदी की वृद्धि अनुमानित है और एमपीसी का अनुमान है कि 2024-25 में भारतीय अर्थव्यवस्था सात फीसदी की दर से विकसित होगी। फिलहाल बाहरी खाते पर भी जोखिम नहीं दिख रहा है।

विकसित अर्थव्यवस्था वाले देशों में मुद्रास्फीति में उल्लेखनीय कमी आई है। वित्तीय बाजार इन अटकलों में व्यस्त हैं कि आखिर अमेरिकी फेडरल रिजर्व ब्याज दरों में कब कटौती करेगा। फिलहाल दरों में इजाफे की कोई संभावना नहीं नजर आ रही है। अनुमानित पूंजी प्रवाह को देखते हुए बाह्य खाते का प्रबंधन भी निकट भविष्य में मुश्किल नहीं नजर आता।

मौद्रिक नीति के मार्ग की स्पष्टता को देखते हुए रिजर्व बैंक के शीर्ष प्रबंधन ने संवाददाता सम्मेलन में पेटीएम पेमेंट्स बैंक लिमिटेड (पीपीबीएल) से जुड़े सवालों का जवाब देकर सही किया। रिजर्व बैंक ने पीपीबीएल को नए ग्राहक जोड़ने से मना कर दिया है क्योंकि उसने मार्च 2022 में नियामकीय जरूरतों का पालन नहीं किया था। उसने पीपीबीएल को 29 फरवरी के बाद जमा लेने या अन्य तरह के लेनदेन करने से भी रोक दिया है।

हालांकि पीपीबीएल के अनुपालन से जुड़े मसलों के बारे में बहुत अधिक जानकारी सामने नहीं आ सकी है। रिजर्व बैंक के नेतृत्व ने स्पष्ट किया कि निरंतर अनुपालन न होने की स्थिति में पर्यवेक्षण की कार्रवाई की गई और ऐसे कदम विनियमित की गई कंपनियों के साथ व्यापक द्विपक्षीय बातचीत के बाद ही लिए जाते हैं। ऐेसे में प्रतीत होता है कि पीपीबीएल लंबी अवधि तक

नियामकीय अनिवार्यताओं को पूरा करने में नाकाम रहा जिसके चलते नियामक को कदम उठाना पड़ा। रिजर्व बैंक को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उपभोक्ताओं को इस दौरान न्यूनतम परेशानी हो। नियामक अगले सप्ताह इस मसले से जुड़े प्रश्नों के लिए एफएक्यू (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न) प्रस्तुत करेगा जिससे इस विषय पर और स्पष्टता आनी चाहिए।