स्वयं में राम का प्राकट्य कैसे करें?

   राम जनमानस के जीवन-दर्शन हैं । परिवार , समाज , लोक , संसार सबमें एक अकेला जीव अपने को इकाई समझ , कैसे रहे कर्तव्य बोध कैसा हो ,फिर जीवन का मुख्य ध्येय कैसे सिद्ध हो , सबकुछ राम ने अपने आचरण में लाकर  प्रोत्साहना दिया है । इसीलिये उन्हे  मर्यादा -पुरुषोत्तम्  कहा गया…

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वीर योद्धा डूंगर सिंह भाटी : “बाजू मेरा और आँखें तेरी”

    राजपुताना वीरो की भूमि है। यहाँ ऐसा कोई गांव नही जिस पर राजपूती खून न बहा हो, जहाँ किसी जुंझार का देवालय न हो, जहा कोई युद्ध न हुआ हो। भारत में मुस्लिम आक्रमणकर्ताओ कोे रोकने के लिए लाखो राजपूत योद्धाओ ने अपना खून बहाया बहुत सी वीर गाथाये इतिहास के पन्नों में…

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बेहतर व्यापारिक प्रदर्शन की संभावना: भारत का निर्यात 1.3 अरब डॉलर से बढ़कर 8.9 अरब डॉलर हुआ

विश्व व्यापार संगठन ने 2024 के लिए व्यापार के आकार में वृद्धि के अपने अनुमान को संशोधित किया है। उसने इसे गत अक्टूबर के 3.3 फीसदी वृद्धि से घटाकर 2.6 फीसदी कर दिया है। वैश्विक व्यापार में धीमी वृद्धि जहां संभावनाओं को प्रभावित करेगी, वहीं भारत को उभरते परिदृश्य पर ध्यान देना चाहिए। उदाहरण के…

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पूर्वांचल के छात्र नवोन्मेषी, लगनशील और मेहनती: शेखर आनंद

   जौनपुर। वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के इनक्यूबेशन सेंटर में विशिष्ट व्याख्यान आयोजित किया गया । जिसमें हीथऑक्स-के प्राइवेट लिमिटेड स्टार्टअप कंपनी के प्रबंध निदेशक श्री शेखर आनंद तथा चार्टर्ड अकाउंटेंट श्री सुनील जायसवाल  का विशेष उद्बोधन हुआ । अतिथियों का स्वागत करते हुए इनक्यूबेशन सेंटर के कार्यकारी निदेशक प्रो अविनाश पाथर्डीकर ने कहा…

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आइये जानते है अजंता की गुफाओं के बारे में……..क्या कहती है गुफाएं

अजंता की गुफाएँ: महाराष्ट्र में औरंगाबाद के पास वाघोरा नदी के पास सह्याद्रि पर्वतमाला (पश्चिमी घाट) में स्थित हैं। इसमें कुल 29 गुफाएँ (सभी बौद्ध) हैं, जिनमें से 25 को विहार या आवासीय गुफाओं के रूप में जबकि 4 को चैत्य या प्रार्थना हॉल के रूप में इस्तेमाल किया जाता था। इन गुफाओं का विकास…

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हम खुश होते हैं इंडिया नाम लेकर……कवि विक्रम की बेहतरीन कविता का आंनद उठाये

अंग्रेज गए हमें अंग्रेजी नाम देकर। हम खुश होते है इंडिया नाम लेकर।। हमारे पास हिंदुस्तान नाम तो था ही, जो हमारे भूगोल की याद दिलाता है। हमारे पास तो भारत नाम भी था जो संस्कृति सभ्यता संस्कार दुहराता है।। न जाने क्यों हम इंडिया से चिपके है, भारत पूर्ण रूप से क्यों नही अपनाते।…

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डा विवेक कुमार सिंह बने इंडियन इकोनॉमिक एसोसिएशन के कार्यकारी सदस्य

  कानपुर !आर्मापुर पी. जी. कॉलेज, कानपुर के अर्थशास्त्र विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डा विवेक कुमार सिंह को इंडियन इकोनॉमिक एसोसिएशन का कार्यकारी सदस्य नियुक्त किया गया है। इसके साथ ही डा सिंह को IEA ने उत्तर प्रदेश का रीजनल कोऑर्डिनेटर भी नियुक्त किया है।       डा सिंह के शैक्षणिक एवं एकेडमिक अनुभवों…

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डॉ इंद्रेश कुमार जी के नेतृत्व में हिन्दी और भारतीय संस्कृति के वैश्विक प्रचार के लिए गहन चर्चा, थाईलैंड और कम्बोडिया दौरे पर 50 सदस्यी प्रतिनिधिमंडल

बैंकॉक के सोई 23 सुखुमवित स्थित भारतीय दूतावास में राजदूत नागेश सिंह द्वारा राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के वरिष्ठ नेता इंद्रेश कुमार विश्व हिन्दी परिषद महासचिव डॉ. विपिन कुमार और प्रतिनिधिमंडल के लिए चाय की मेज़बानी की गई। विदित हो इस 50 सदस्यी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व संघ के वरिष्ठ प्रचारक माननीय श्री इंद्रेश जी कर…

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चैत्र मास का अर्थ ही ‘राम’ होता है…..

पता नहीं कब से, शायद जब से धरा धाम पर राम आये तभी से सभ्यता के लिए चैत्र मास का अर्थ ही ‘राम’ होता है।     फगुआ की शाम को ढोलक पर पड़ती एक मदमाती थाप, और अनेक उल्लासित कंठों का सम्मिलित स्वर-   “ए रामा चइत महिनवा, ए राम के जनमवा ए रामा…”    यदि…

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हां मै हूं संघ का एक स्वयंसेवक….. मेरी निष्ठा फिर मुझे ले जाती है हिन्दू राष्ट्र की संकल्प की ओर

मै संघ का एक स्वयंसेवक, मै जरूरत पड़ने पर ही दिखता हूं, जब राष्ट्र को मेरी जरूरत होती है मै स्वयं भीड़ में से निकल कर आ जाता हूं, और मेरा काम समाप्त हो जाने के बाद मै फिर से भीड़ में खो जाता हूं राष्ट्र खुशहाल है तो मै प्रसन्न हो उठता हूं और…

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