अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप की सत्ता में वापसी के बाद दुनिया में नए सियासी समीकरण बन रहे हैं। अमेरिकी और रूस जैसे ताकतवर देश भारत और चीन के महत्व को समझते हैं। इस बीच चीन ने भारत से संबंध सुधारने के संकेत दिए हैं। दोनों देशों ने कूटनीतिक बातचीत के माध्यम से संबंध सामान्य बनाने के प्रयास किए हैं।
नई दिल्ली: अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप की वापसी के बाद से ही वर्ल्ड ऑर्डर बदलता नजर आ रहा है। एक बड़े बाजार के तौर पर पूरी दुनिया की निगाहें चीन और भारत की तरफ देख रही हैं। अमेरिका और रूस जैसे शक्तिशाली देश भी चीन और भारत के महत्व को अच्छे से समझते हैं। इस बीच ताज्जुब की बात तो यह है कि एलएसी पर भारत को आंख दिखाने वाले चीन के तेवर लगातार नरम पड़ते जा रहे हैं। चीन अब भारत से अच्छे रिश्ते की पेशकश कर रहा है।
दरअसल चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने शुक्रवार को कहा कि भारत और चीन के संबंधों में पॉजिटिव डिवलेपमेंट हुआ है और पूर्वी लद्दाख में 4 साल से अधिक समय तक चले सैन्य गतिरोध के पिछले वर्ष समाप्त होने के बाद सभी स्तरों पर उत्साहजनक नतीजे प्राप्त हुए हैं।
वांग ने यह टिप्पणी अपनी वार्षिक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान की। उनसे पूछा गया था कि दोनों देशों के बीच संबंधों में लंबे समय तक चले गतिरोध को समाप्त करने के बाद चीन द्विपक्षीय संबंधों को किस तरह देखता है। वांग ने कहा, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच रूस के कजान शहर में सफल बैठक के बाद पिछले वर्ष चीन-भारत संबंधों में सकारात्मक प्रगति हुई है।’
भारत से रिश्तों पर क्या बोला चीन?
भारत और चीन के बीच LAC पर तनाव के बाद दोनों देश रिश्तों को सामान्य बनाने की कोशिश कर रहे हैं। पिछले साल कजान में प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात के बाद, दोनों देशों ने उच्च-स्तरीय बातचीत शुरू की है। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और विदेश सचिव विक्रम मिस्री जैसे अधिकारी तनाव कम करने और संबंधों को सामान्य बनाने के लिए चीनी अधिकारियों के साथ बातचीत कर रहे हैं। वांग यी ने कहा कि दोनों देशों के पास अपनी सीमाओं में शांति बनाए रखने और मतभेदों का उचित समाधान ढूंढने की क्षमता है। उन्होंने कहा कि सीमा विवाद को पूरे रिश्ते पर हावी नहीं होना चाहिए।
कैसे पटरी पर आया चीन?
हाल ही में ब्रिटेन दौरे पर गए विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भारत-चीन के रिश्तों पर पूछे गए सवाल पर सीधा और स्पष्ट जवाब दिया। यह जवाब चीन की आंखें खोलने वाला है। दरअसल, एस जयशंकर ने लंदन के थिंक टैंक चैथम हाउस में ‘भारत का उदय और विश्व में भूमिका’ विषय पर चर्चा की। इस दौरान उनसे सवाल पूछा गया कि भारत, चीन के साथ किस तरह का रिश्ता चाहता है।
जयशंकर ने चीन की आंखें खोली
सवाल के जवाब में विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने साफ-साफ कहा कि हमारे बीच बहुत ही अनोखे संबंध हैं। हम दुनिया के इकलौते दो देश हैं, जिनकी आबादी एक अरब से ज्यादा है। हम दोनों का इतिहास लंबा है, जिसमें समय के साथ उतार-चढ़ाव आए हैं। उन्होंने आगे कहा, आज, दोनों देश प्रगति की राह पर हैं। यही चुनौती है और हम सीधे पड़ोसी भी हैं। चुनौती यह है कि जैसे-जैसे कोई देश आगे बढ़ता है, दुनिया और उसके पड़ोसियों के साथ उसका संतुलन बदलता है।’ जयशंकर के जवाब से साफ है कि चीन, भारत के साथ तनातनी रखकर अपनी प्रगति को प्रभावित करेगा। इससे कुछ हासिल नहीं होने वाला।