सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों (एमएसएमई) की मदद करने और उनकी ऋण अदायगी क्षमता में सुधार करने के लिए केंद्र सरकार वित्त वर्ष 2025 के पूर्ण बजट में एमएसएमई के लिए गैर-निष्पादित आस्तियों (एनपीए) के वर्गीकरण अवधि को मौजूदा 90 दिनों से बढ़ाकर 180 दिन करने पर विचार कर रही है। इस मामले से अवगत एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने यह जानकारी दी।
अपनी पहचान जाहिर न करने की शर्त पर वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘एमएसएमई की मदद करने और उन्हें छूट प्रदान करने के लिए सरकार एनपीए अवधि को बढ़ा सकती है। फिलहाल एनपीए अवधि 90 दिनों की है, लेकिन इसे बढ़ाकर 180 दिन किया जा सकता है। इसे बजट में शामिल किया जा सकता है।’
एमएसएमई देश में रोजगार सृजन के लिहाज से काफी महत्त्वपूर्ण हैं। देश के सकल मूल्यवर्धन में उसका योगदान करीब 29 फीसदी है जबकि निर्यात में एमएसएमई करीब 45 फीसदी योगदान करते हैं। अक्सर एमएसएमई को समय पर भुगतान हासिल करने में कठिनाई होती है और इसी वजह से वे समय पर ऋण की अदायगी नहीं कर पाते हैं। सरकार ने अप्रैल 2024 से एसएमई से खरीदी गई वस्तुओं एवं सेवाओं के लिए भुगतान 45 दिनों में करना अनिवार्य कर दिया है।
इस बाबत जानकारी के लिए वित्त मंत्रालय को भेजे गए ईमेल का खबर लिखे जाने तक कोई जवाब नहीं आया। कोविड-19 वैश्विक महामारी के दौरान भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने सीमित अवधि के लिए एनपीए वर्गीकरण अवधि को 90 दिनों से बढ़ाकर 180 दिन कर दिया था।
अधिकारी ने बताया कि एमएसएमई के लिए विशेष उल्लेख खातों (एसएमए) की समय अवधि में भी छूट दिए जाने की संभावना है। एसएमए ऋण खातों को बैंक द्वारा दिया जाने वाला वर्गीकरण है। इससे उन्हें संभावित एनपीए खातों की पहचान करने में मदद मिलती है। अधिकारी ने कहा कि एसएमए शून्य को 30 दिनों से बढ़ाकर 60 दिन, एसएमए 1 को 60 दिनों से बढ़ाकर 90 दिन और एसएमए 2 को 90 दिनों से बढ़ाकर 120 दिन किए जाने की संभावना है।
आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2024 में बैंक ऋण बकाये में एमएसएमई की हिस्सेदारी महज 28 फीसदी थी, जबकि शेष 72 फीसदी हिस्सेदारी बड़ी कंपनियों की थी। एमएसएमई मंत्रालय ने 2023 में राज्य सभा को दिए एक जवाब में कहा कि दिसंबर, 2018 में आरबीआई द्वारा गठित एमएसएमई विशेषज्ञ समिति ने इस क्षेत्र में कुल ऋण अंतर 20-25 लाख करोड़ रुपये के दायरे में होने का अनुमान लगाया है।
एमएसएमई मंत्रालय ने जुलाई 2023 में राज्य सभा को सूचित किया कि अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों द्वारा एमएसएमई को दिए गए कुल ऋण 14.3 फीसदी घटकर 1.31 लाख करोड़ रुपये रह गया जो वित्त वर्ष 2022 में 1.54 लाख करोड़ रुपये था।
पंजाब ऐंड सिंध बैंक के पूर्व प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी कृष्णन शंकरसुब्रमण्यन ने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि एनपीए और एसएमए वर्गीकरण के लिए मियाद बढ़ाए जाने से बैंक की परिसंपत्ति गुणवत्ता पर कोई खास नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
आरबीआई के पूर्व कार्यकारी निदेशक चंदन सिन्हा ने कहा कि एनपीए वर्गीकरण में बदलाव के लिए बैंकिंग विनियमन अधिनियम में बदलाव करने की आवश्यकता नहीं होगी।