दुनिया में समय और कालगणना के लिए अनेक वर्ष और सम्वत प्रचलित हैं इसमें मुख्य रूप से विक्रम संवत शक संवत हिजरी संवत इसाई संवत कलि संवत युधिष्ठिर एवं श्री कृष्ण संवत प्रमुख हैं इस समय विक्रम संवत 2081 शक संवत 1945 ई सन 2024 कलि संवत 5126 और श्री कृष्ण संवत 5250 चल रहा है अब हम भारतीय नया वर्ष और अन्य नए वर्ष का आकलन करके देखते हैं कि क्यों देश काल समय परिस्थित और विज्ञान तथा धर्म के दर्पण में हमारा भारतीय वर्ष सर्वश्रेष्ठ है और सबसे अधिक वैज्ञानिक है इसी परिपेक्ष्य में यह जान लेना आवश्यक है कि भारतीय 12 महीने 360 दिन के होते हैं और सभी महीने 30 दिन के होते हैं जबकि इस्लामी वर्ष 354 दिन का होता है और इसाई वर्ष 365 दिन का होता है*
भारतीय नव वर्ष
नया भारतीय वर्ष चैत्र माह के शुक्ल पक्ष प्रथम दिन से शुरू होता है जबकि इस्लामी नया वर्ष शुरू होने का कोई निश्चित समय नहीं है और नया क्रिश्चियन वर्ष 1 जनवरी से प्रारंभ होता है इसमें हम सर्वप्रथम भारतीय नव वर्ष का विश्लेषण करते हैं जो बसंत ऋतु में उजाले पक्ष में शीतल मंद सुगंधित मलय पवन के झोंकों के साथ शुरू होता है और चारों ओर आनंद उल्लास उमंग का वातावरण होता है खेतों में चारों ओर पकी हुई फसलें सुनहरी गेहूं की बालियां झूम रही होती हैं पेड़ों में नए-नए सुनहरे कोपलें और पत्ते आते हैं चारों ओर आम के वृक्ष सुगंधित बौर से लदे रहते हैं और सभी वृक्ष पादप लताएं बल्लरी और जंगल पुष्पित पल्लवित रहते हैं और फलों से लदे होते हैं नदियों का पानी और आसमान भी बिल्कुल स्वच्छ होता है चारों ओर न अधिक गर्मी और न अधिक ठंड का वातावरण होता है जलवायु बहुत ही सुंदर और प्रकृति अपने जीवन के चरम रूप पर होती है !
भारतीय महीन के नाम चैत्र वैशाख ज्येष्ठ आषाढ़ सावन भादो क्वार कार्तिक अगहन पूष माघ और फागुन है यह वास्तव में अपने आप वैज्ञानिक दृष्टि से प्रकृति का नव वर्ष होता है धरती के स्वर्ग कश्मीर से पृथ्वी के स्वर्ग कन्याकुमारी वर्षा और हरियाली के स्वर्ग असम चेरापूंजी के पहाड़ियों से शुष्कता और वीरानी के स्वर्ग राजस्थान तक फैले हुए दिव्य भारतवर्ष के लिए इसे बसंत ऋतु और नए वर्ष का समय कहा जाता है*
ईसाई नववर्ष
ईसाई नव वर्ष 1 जनवरी से प्रारंभ होता है इसमें भी भारतीय नए साल की तरह 12 महीने होते हैं लेकिन यह सभी महीने कभी कोई 28 दिन का कभी कोई 29 दिन का कोई 30 दिन और कोई 31 दिन का रहता है और कुल मिलाकर 365 दिन का होता है यह प्रकृति और विज्ञान के विरुद्ध है इन वर्ष के महीनों के नाम जनवरी-फरवरी मार्च अप्रैल मई जून जुलाई अगस्त सितंबर अक्टूबर नवंबर और दिसंबर है जब क्रिश्चियन नव वर्ष शुरू होता है तब प्रकृति सुषुप्त अवस्था में होती हैं पूरी दुनिया प्रचंड ठंड बर्फ के तूफान भयंकर शीतलहरी और बर्फबारी से जूझ रहे होती है अधिकांश लोग अपने घरों में बंद पड़े रहते हैं मनुष्य पशु पक्षी पेड़ पौधे सभी ठंड से कांपते रहते हैं और घरों में पड़े रहते हैं इस समय पादप वृक्ष लताएं बल्लरी पेड़ पौधे जंगल सभी वीरान रहते हैं जीवन में कहीं कोई उमंग और उल्लास नहीं होता है हर तरफ शरीर को चीरने वाली बर्फ की हवा चलती रहती है फल फूल नई-नई कोपल पत्तियां सुगंधित हवा कहीं कुछ भी नहीं रहती है इसलिए यह सबसे अधिक प्राकृतिक और विज्ञान विरुद्ध नववर्ष माना जाता है उल्लेखनीय है कि पहले अंग्रेजी वर्ष भी चैत्र माह में ही शुरू होता था बाद में इसे बदलकर जनवरी से कर दिया गया
भारतीय नव वर्ष 2081
इस नए वर्ष का प्रचलन ईसा पूर्व 57 ईस्वी में हुआ जब सम्राट विक्रमादित्य ने दुनिया की सबसे क्रूर और भयानक आक्रमणकारी जाति शकों को भारत से पूरी तरह नष्ट करके सनातन धर्म की यश पताका फहरा का संपूर्ण भारत को एकता के सूत्र में बांधा और उनकी विजय पताका पाकिस्तान अफ़गानिस्तान होते हुए अरब प्रायद्वीप मक्का मदीना तक पहुंच गई थी और पूर्व में श्रीलंका इंडोनेशिया मलेशिया तक उनका साम्राज्य फैल गया था तब उन्हें शकारि विक्रमादित्य के नाम से विभूषित करके चंद्रगुप्त विक्रमादित्य नाम दिया गया जो कलयुग के सबसे प्रतापी और सबसे न्यायी सम्राट थे तब से संपूर्ण भारत वर्ष में यही विक्रम संवत नव वर्ष के नाम से मनाया जाता है और आज ही के दिन कलि संवत विक्रम संवत और युधिष्ठिर संवत भी शुरू होता है जिस तरह आज क्रिश्चियन वर्ष को अंतर्राष्ट्रीय वर्ष माना जाता है वैसे हजारों वर्षों तक भारत का विक्रम संवत ही संपूर्ण विश्व का अंतरराष्ट्रीय वर्ष माना जाता था
कब से और कैसा है भारतीय नव वर्ष
कब से और कैसा है भारतीय नव वर्ष
इस वर्ष भारतीय नव वर्ष चैत्र माह के प्रथम दिन से उजाले पाख मंगलवार से प्रारंभ हो रहा है जो अंग्रेजी वर्ष के अनुसार 9 अप्रैल का दिन है यद्यपि और नवरात्रि 8 अप्रैल को रात में 11:50 से लग रही है जो 9 अप्रैल को रात में 8:30 तक रहेगी लेकिन उदया तिथि के अनुसार नया वर्ष और नवरात्रि 9 अप्रैल को ही माना जा रहा है देशकाल और परिस्थितियों के अनुसार यह नया वर्ष अति महत्वपूर्ण है इस नए वर्ष पर मंगल राजा और शनि मंत्री है और देवी मां का आगमन घोड़े पर होकर प्रारंभ हो रहा है नए भारतीय वर्ष का श्रीगणेश अमृत योग सर्वार्थ सिद्धि योग और शश नामक राजयोग से शुरू हो रहा है
इस वर्ष के ग्रहों का योग
इस वर्ष का आरंभ बजरंगबली के दिन मंगलवार से हो रहा है इसलिए राजा मंगल है और शनि मंत्री हैं जिस दिन से नया वर्ष शुरू होता है वही ग्रह उस वर्ष का राजा होता है इस वर्ष के संवत का नाम क्रोधी या कालयुक्त होगा इस वर्ष सस्येश मंगल दुर्गेश शुक्र धनेश चंद्रमा रसेश बृहस्पति धान्येश शनि नीरसेश मंगल फलेश शुक्र और मेघेश शुक्र है रेवती और अश्विनी नक्षत्र का योग है नए वर्ष में चंद्रमा मीन राशि में और शनि कुंभ राशि में रहेगा दुर्ग फल मेघ का स्वामी शुक्र है अर्थात सबसे अधिक विभाग शुक्र ग्रह को मिला है इसलिए इस वर्ष में महिलाओं की प्रधानता रहेगी*
चैत्र शुक्ल पक्ष प्रथम दिन नया वर्ष मनाने का कारण
इस दिन ही भारत का नया वर्ष इसलिए शुरू होता है क्योंकि इसी दिन भगवान ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना प्रारंभ किया था इसी दिन भगवान श्री राम युधिष्ठिर विक्रमादित्य और शालिवाहन सम्राट का राज्याभिषेक हुआ था इसी दिन भगवान झूलेलाल की जयंती होती है इसी दिन मत्स्य अवतार हुआ था सिखों के दूसरे गुरु अंगद देव का जन्म भी आज ही के दिन हुआ था आज के दिन ही आर्य समाज और राष्ट्रीय स्वयं संघ की स्थापना का दिवस भी है और सौरमंडल में धरती पर आज के दिन से ही जाड़े का अंतिम रूप से विदाई और गर्मी का वास्तविक रूप से प्रारंभ होता है इन सभी कारणों से आज के दिन ही नव वर्ष शुरू करते हैं और सनातन धर्म में अर्थात जो लोग मुसलमान ईसाई या यहूदी नहीं है उनका सारा काम हमेशा शुक्ल पक्ष अर्थात उजाले पाख से ही शुरू होता है
नए वर्ष के ग्रहों का प्रभाव और देश-विदेश की भविष्यवाणी
नए वर्ष का प्रारंभ घोड़े पर सवार दुर्गा देवी के आगमन से हो रहा है इस प्रकार पूरी दुनिया में हिंसा मार काट युद्ध शीत युद्ध आतंक उन्माद और उग्रवाद अपराध और एवं हिंसा महंगाई बेरोजगारी का बोलबाला रहेगा मंगल और शनि की प्रधानता के कारण जहां एक ओर अपराध और क्रूर कर्म बढ़ेंगे वहीं पर ईश्वर का न्याय और धरती का न्याय दोनों अपराधियों को दंड देने में सक्षम होगा प्रचंड बाढ़ वर्ष के साथ मंगल के अंगारक प्रभाव से बीच-बीच में भयानक सूखा भी पड़ेगा इस वर्ष लाल ग्रह मंगल के प्रभाव से भारत की सारी धरती गर्मी से लाल हो जाएगी और यही हाल मेक्सिको अरब प्रायद्वीप पाकिस्तान बांग्लादेश और विषुवत रेखीय प्रदेशों चीन और दक्षिणी मध्य यूरोप का भी रहेगा मंगल के वक्री प्रभाव के कारण जैव रासायनिक परमाणु नाभिकीय युद्ध का प्रक्षेपास्त्रों और भयंकर अस्त्र-शस्त्र के द्वारा युद्ध का खतरा बना रहेगा!
विश्व भर में अशांति का वातावरण रहे चुनाव में सत्ता रूढ़ पार्टी की विजय होगी और फल फसलों जड़ी बूटियां और फूलों का उत्पादन प्रचुर होगा जनता में विशेष कर महिलाओं में क्रोध हिंसा और उन्माद की प्रचुरता रहेगी इस वर्ष वायु के प्रबल वेग के कारण महा भयंकर चक्रवात महा चक्रवात सुनामी ज्वालामुखी विस्फोट और प्रचंड भूकंप पैदा होंगे जिससे चीन जापान कोरिया ताइवान इंडोनेशिया मलेशिया भारत अमेरिका मध्य यूरोप ऑस्ट्रेलिया के कुछ भाग और दक्षिणी अमेरिका में भयंकर विनाश पैदा होगा !
रूस और यूक्रेन रूस और अरब इजरायल और अमेरिका का युद्ध का दायरा बढ़ेगा चीन द्वारा नए-नए हिंसात्मक उपाय से युद्ध भड़क सकता है पूरी दुनिया में अनेक भागों में अकाल और भुखमरी फैलेगी जीवाणु और विषाणु संबंधित भयानक रोग पशु पक्षियों और मनुष्य द्वारा फ़ैल जाएंगे महंगाई नियंत्रण से परे हो जाएगी जमकर घूसखोरी और भ्रष्टाचार होगा लेकिन अधिकांश पकड़कर जेल में जाएंगे अंतरिक्ष और दवा के क्षेत्र में बहुत अधिक विकास होगा परंतु उसका लाभ सामान्य जनता को नहीं मिलेगा यूरोप अमेरिका चीन कोरिया जापान दक्षिण पूर्वी एशिया और अफ्रीका के देशों में प्रचंड विनाश लीला मचेगी भारत के लगभग सभी अंतरिक्ष अनुसंधान सफल होंगे केवल एक ही विफल होगा और आसमान से धरती पर उल्का पिंडों की प्रबल टक्कर होगी कई अंतरिक्ष अभियान सफल होंगे परग्रहीएलियंस और अमेरिका और रूस के झूठे दावों की पोल खुलेगी डॉ दिलीप कुमार सिंह