केंद्र सरकार गुरुवार को लोकसभा में वक्फ बिल पेश करने की तैयारी में है. इस बिल में वक्फ के नियमों में करीब 40 बदलाव के प्रस्ताव शामिल है. बिल के पास होने से वक्फ की शक्ति और संरचना में बदलाव आएगा. सरकार इसे पारदर्शी बनाने वाला कदम बता रही है.
सियासी अटकलों और चर्चा के बीच केंद्र की मोदी सरकार आठ अगस्त यानी गुरुवार को संसद में वक्फ बिल ला सकती है. सरकारी सूत्रों का कहना है कि सरकार ने वक्फ कानून में संशोधन करने से पहले विभिन्न मुस्लिम बुद्धिजीवियों और वक्फ बोर्ड के सदस्यों से सलाह-मशविरा कर लिया है.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक सरकार वक्फ बिल को पहले लोकसभा में पेश करेगी. इस पर बहस के बाद इसे राज्यसभा में पेश किया जाएगा. हालांकि, विपक्ष इस बिल को पहले स्थाई समिति में भेजने की मांग कर रहा है. स्थाई समिति में अगर वक्फ बिल को भेजा जाता है तो बिल के इस सत्र में पास होने की संभावनाएं खत्म हो जाएगी.
वक्फ कानून में आखिरी बार साल 2010 में संशोधन हुआ था. इस संशोधन के जरिए वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष को हटाने की प्रक्रिया स्थापित की गई थी. वक्फ कानून के नाम पर देश में लैंड जिहाद चल रहा है. इसे खत्म करने के लिए बिल लाया जा रहा है. बिल आने के बाद वक्फ में महिलाओं की भागीदारी बढ़ेगी.
वक्फ के नियमों में 40 बदलाव प्रस्तावित
वक्फ बिल के संसद में पेश होने से पहले इसको लेकर जो चर्चाएं हैं, उसके मुताबिक बिल में सरकार ने करीब 40 बदलावों का प्रस्ताव रखा है. इन प्रस्तावों के जरिए वक्फ अधिनियम की धारा 9 और 14 में संशोधन संभावित है. संसद से संशोधन होने के बाद वक्फ की संरचना और शक्ति पर प्रभाव पड़ेगा.
नियम बदलने के बाद वक्फ के टॉप बॉडी में महिलाओं को शामिल करना अनिवार्य होगा. साथ ही किसी भूमि को वक्फ की जमीन घोषित करने से पहले बोर्ड को उसका सत्यापन कराना होगा.
वक्फ बोर्ड एक मुसलमानों की एक संस्था है, जो संपत्तियों का प्रबंधन करता है. देश में वर्तमान में 30 वक्फ बोर्ड कार्यरत है. बिहार में सबसे ज्यादा 2 वक्फ बोर्ड (शिया और सुन्नी) है.
वक्फ दान की जमीन और उससे मिलने वाले पैसों का उपयोग मुसलमानों के विकास पर खर्च करता है. वर्तमान में वक्फ के पास करीब 8.7 लाख संपत्तियां हैं, जिनका कुल क्षेत्रफल करीब 9.4 लाख एकड़ है.