माघी की पूर्णिमा और संत रविदास जयंती

माघी की पूर्णिमा और संत रविदास जयंती माघ महीने की पूर्णिमा अत्यंत ही पवित्र मानी जाती है वैसे तो सनातन धर्म में हर एक पूर्णिमा पवित्र और विशिष्ट होती है लेकिन माघ माह की पूर्णिमा का एक अलग ही महत्व है इस महीने की पूर्णिमा बसंत ऋतु में पडती है और उसके तुरंत बाद फागुन महीना शुरू हो जाता है कहावत है ठंडी हवा मग में चलती पाला पड़ता खेती जलती माघ महीने की पूर्णिमा के दिन माना जाता है कि देवता और दिव्य शक्तियां गंगा नदी में स्नान करने आते हैं इस दिन गंगा नदी में स्नान करना परम पवित्र और पुणे फलदाई होता है लेकिन अगर ऐसा संभव न हो तो किसी भी नदी तालाब झील झरने पर या घर गंगाजल मिलाकर स्नान करने पर भी महान पूर्ण फल की प्राप्ति होती है* 

    माघ पूर्णिमा को भगवान श्री विष्णु और माता श्री लक्ष्मी की पूजा होती है भगवान श्री विष्णु को पीले रंग की मिठाई और वस्त्र तथा माता लक्ष्मी को सफेद रंग की मिठाई चढ़ाई जाती है माघ महीने में सर्दी और गर्मी बराबर होती है इसके बाद गर्मी की ऋतु धीरे-धीरे बढ़ने लगते हैं माघ महीने को फसलों का समय कहा जाता है और माग की पूर्णिमा तक रवि की अधिकांश फैसले जैसे गेहूं मटर चना सरसों अरहर पकाना शुरू हो जाती हैं इसलिए भी इस पूर्णिमा का अपार महत्व है इस वर्ष माघ की पूर्णिमा 24 फरवरी शनिवार के दिन पड़ रही है और इसी दिन रविदास की जयंती भी है
     महान संत शिरोमणि भक्ति रविदास का जन्म भी रविवार के दिन माघ महीने की पूर्णिमा को हुआ था जिसके कारण इनका रविदास कहा जाता है जो बिगाड़ कर रविदास हो गया है कहीं कहीं इनका रोहिदास भी कहा गया है इनका जन्म परम पवित्र प्राचीनतम नगरी वाराणसी के सीर गोवर्धनपुर गांव में हुआ है जहां पर इनका एक भव्य मठ है और जहां पर भारत से ही नहीं पूरी दुनिया से लोग उनका दर्शन और पवित्र फल अपने शेयर गोवर्धनपुर गांव आते हैं जो वाराणसी कैंट रेलवे स्टेशन और वाराणसी बस अड्डे के पास ही स्थित है इनका जन्म 1376 ई को और मृत्यु 1540 ई को हुई थी इस प्रकार या 174 वर्ष जीवित रहे रविदास जी के पिताजी का नाम संतोष दास रग्घू और माता जी का नाम कर्मा देवी कलसा था उनके दादाजी कालूराम तथा दादी लखपत्ती देवी थी उनकी पत्नी का नाम श्रीमती लोना जी और पुत्र का नाम श्री विजय दास था भक्त कवि रविदास भी प्रख्यात वैष्णव संत रामानंद जी के शिष्य और कबीर जी के गुरु भाई थे
   कबीर दास जी ने इन्हें संत शिरोमणि कहा अनेक बड़े-बड़े राजा रानी उनके शिष्य थे जिनमें मीराबाई और मेवाड़ की महारानी का नाम उल्लेखनीय है अपनी शक्ति और भक्ति तथा साधना से रविदास जी परम सिद्ध हो गए थे और उन्हें अपने चर्मकार का काम और जूते बनाते हुए अपार हर्ष आनंद की प्राप्ति होती थी इनके बारे में अनेक चमत्कार पूर्ण कहानी हैं
  एक बार की बात है एक व्यक्ति गंगा स्नान के लिए जा रहा था उसने संत रविदास से भी गंगा स्नान करने की प्रार्थना किया तो रविदास जी ने कहा भाई मुझे समय पर जूता बना कर देना है यह सिक्का लो मेरी तरफ से गंगा मां को दे देना लौटते समय जब स्नान के बाद उसे व्यक्ति ने सिक्का गंगा मां में डालना चाहा तो भगवती गंगा स्वयं आकर अपने हाथों में उस सिक्के को ग्रहण की यह देखकर वह व्यक्ति भाव विभोर हो गया और रविदास जी को जब सारी बात बताया तो रविदास जी ने खुद उसके पैर छूकर कहा तुम भगवती गंगा का साक्षात दर्शन पाकर परम पवित्र हो गया हूं
  इसी प्रकार एक बार की बात है एक अभिमानी राजा रविदास जी को सोने का कंगन दान किया रविदास जी ने उसे अपने चमड़ा भिगोने वाली कठौती में रख दिया यह देखकर राजा को बहुत क्रोध हुआ तब रविदास जी ने उनसे कठौती में हाथ डालकर अपना कंगन निकालने को कहा जब राजा ने कंगन निकलना चाहा तो उनके कंगन से भी शुद्ध और अत्यंत ही शानदार एक से बढ़कर एक कंगन भरे पड़े थे यह देखकर वह राजा लज्जित हो गया उनके लाखों शिष्य और उनकी यश कीर्ति देखकर एक मुस्लिम पीर उन्हें अपना शिष्य बने यह सोच कर आया कि इससे लाखों मुसलमान एक साथ हो जाएंगे लेकिन इसका उलटा हुआ जब वह उनके पास आया तो खुद अपने साथ और अपने सारे मुस्लिम शिष्यों के साथ वह हिंदू हो गया
   कबीर दास जी की तरह रविदास जी ने भी सनातन धर्म की अपार सेवा की और उसकी बुराइयों से मुक्त किया उच्च नीच के बंधन से निकाला और मानव मात्र की समानता का उपदेश दिया आज के मनुष्य और राजनेता और अधिकारी लोग अगर इसे कुछ शिक्षा लेते तो देश पूरे विश्व में सबसे आगे हो जाता
   एक बार की बात है कि एक नवविवाहिता महिला का कंगन गंगा में स्नान करते गिर गया वह महिला डर के मारे फूट-फूट कर रोने लगी तो किसी ने बताया कि संत रविदास जी परम दयालु हैं उनके पास जाओ तो शायद तुम्हारा कंगन मिल जाए इस पर वह महिला रोते-रोते संत रविदास जी के पास गई सारी बात सुनकर उन्होंने कहा कि जो गंगा नदी में कंगन खोया है तो वहीं मिलेगा और उसे महिला को महान आश्चर्य हुआ जब वह फिर से गंगा स्नान करने लगी तो वह कंगन उसको मिल गया
   संत रैदास ने देश को मुस्लिम आक्रमण और मुसलमान बनने की प्रक्रिया को चट्टान की तरह रोका और लाख प्रयास करने के बाद भी मुस्लिम शासक और मुस्लिम धर्म गुरु उनका कुछ बिगाड़ न पाए आज संत शिरोमणि महान भक्त रविदास जी को उनके जयंती पर कोटि-कोटि अभिनंदन और नमन है !
डॉ. दिलीप कुमार सिंह (अधिवक्ता एवं मौसम विज्ञानी )