
मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना होती है। महावीर स्वामी ने समाज कल्याण के लिए संदेश दिए थे। उनके बताए 5 सिद्धांत अगर कोई अपने जीवन में उतार ले तो उसका ये जन्म सफल हो सकता है। भटके हुए लोगों को राह दिखाने की ये सिद्धांत ताकत रखते हैं। आइए जानते हैं क्या हैं महावीर जी के पांच सिद्धांत। इसके साथ ही इस दिन को मनाए जाने के पीछे का इतिहास और रोचक तथ्य ।
भगवान महावीर के पंचशील सिद्धांत
अहिंसा– भगवान महावीर ने लोगों को खराब से खराब परिस्थिति में भी हिंसा से दूर रहने का संदेश दिया था।
सत्य- उनका कहना था कि जो इंसान बुद्धिमान और सत्यवादी होता है वह मृत्यु जैसे कठिन मार्ग को भी पार कर लेता है।
अस्तेय- जो लोग अस्तेय का पालन करते हैं, वे किसी भी रूप में किसी वस्तु को बिना अनुमति के ग्रहण नहीं करते।
ब्रह्मचर्य- जैन लोगों को पवित्रता और संयम के गुणों का पालन करना होता है। ताकि वह कामुक गतिविधियों से दूर रहें।
अपरिग्रह- इसका अभ्यास करने से जैन समाज के लोगों में आत्मिक चेतना विकसित होती है। वह भोग-विलास से दूरी बना लेते हैं।
क्यों मनाई जाती है महावीर जयंती?
भगवान महावीर अंतिम जैन तीर्थंकर माने जाते हैं। उनका जन्म लगभग 599 ईसा पूर्व वैशाली के प्राचीन साम्राज्य में हुआ था। उनके जन्मोत्सव के रूप में यह दिन मनाया जाता है।
महावीर जयंती से जुड़े रोचक तथ्य
भगवान महावीर का जन्म जिस जगह पर हुआ था उसे अहल्या भूमि भी कहा जाता है।
यहां महावीर की ज्ञान साधना 12 वर्ष तक चली थी।
उन्होंने 30 साल की उम्र में अपना परिवार और राज्य छोड़ दिया था।
इसके बाद वह अध्यात्म की राह पर चल दिए थे। उन्होंने जीवनकाल में कई संदेश दिए।
भारत के कुछ प्रसिद्ध जैन तीर्थ स्थल जहां महावीर जयंती भव्य तरीके से मनाई जाती है।
इनमें पालीताना, रणकपुर, श्रवणबेलगोला, दिलवाड़ा मंदिर आदि शामिल हैं।