वाणिज्य मंत्रालय ने यूरोपीय संघ के स्टील शुल्क के बदले में नए शुल्क लगाने पर बातचीत शुरू की!
वाणिज्य मंत्रालय ने यूरोपियन यूनियन (ईयू) के चुनिंदा उत्पादों पर उच्च आयात शुल्क लगाने के लिए संबंधित सरकारी विभागों और मंत्रालयों से बातचीत शुरू कर दी है। यह कदम भारत के उत्पादों पर ईयू में इस्पात पर आयात शुल्क लगाए जाने के जवाब में किया जा रहा है।
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘हम अंतिम रूप (उत्पादों के बारे में) देने की प्रक्रिया में हैं। हमने संबंधित मंत्रिस्तरीय विभागों से उत्पादों को चुनने पर विचार-विमर्श किया है ताकि हम उन पर शुल्क लगा सकें।’
भारत ने बीते सप्ताह विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) को सूचना दी थी कि यूरोपीय व्यापार संगठन ने स्टील पर साल 2018 से लगाए गए अतिरिक्त आयात शुल्क को अब जून 2025 तक बढ़ा दिया है। लिहाजा भारत ने इसके जवाब में कदम उठाने का फैसला किया है।
यूरोपीय संघ में स्टील की 26 किस्मों के आयात पर अनंतिम सुरक्षा उपाय के रूप में वर्ष 2018 में पहली बार शुल्क लागू किए गए थे। इस सुरक्षा उपाय को टैरिफ रेट कोटा (टीआरक्यू) के रूप में पेश किया गया था और कोटे के अलावा किसी भी स्टील आयात पर 25 फीसदी अतिरिक्त शुल्क लगता है।
हालांकि यह उपाय जून 2021 तक ही लागू रहने की उम्मीद थी, लेकिन इसका बाद में विस्तार 30 जून, 2024 तक हो गया था। ईयू ने इस साल जून में स्टील के आयात पर सुरक्षा शुल्कों का विस्तार जून 2026 तक कर दिया। इसके पीछे सोच यह बताई गई कि ईयू के स्टील उत्पादकों के ‘आर्थिक नुकसान को रोका जाए’। दरअसल, वैश्विक स्तर पर इस्पात की ज्यादा उत्पादन क्षमता और चीन के उत्पादों का एशिया के देशों के जरिये इस व्यापार ब्लॉक में बढ़ते निर्यात से यूरोपीय संघ चिंतित था।
अधिकारी ने बताया, हमने उनसे (ईयू) कई बार इस बारे में विचार-विमर्श किया था कि उन्हें भारत को अतिरिक्त शुल्क में नहीं रखना चाहिए था, इसके बावजूद उन्होंने अतिरिक्त शुल्क पर जोर देना जारी रखा। इस बारे में हम उनसे लंबे समय से बातचीत कर रहे हैं। अंतत: हमें जवाबी शुल्क लगाने पर गंभीरता से विचार करना पड़ा। अधिकारी ने बताया, ‘हम भारत के व्यापार को हुए घाटे के बराबर ही संबंधित उत्पादों पर अतिरिक्त शुल्क लगाएंगे।
बीते पांच वर्षों में भारत का करीब 4.4 अरब डॉलर का निर्यात प्रभावित हुआ है और ईयू ने शुल्क लगाकर 1.1 अरब डॉलर का आयात कर जुटाया है। भारत की योजना ईयू से आने वाले उत्पादों पर बराबर राशि का शुल्क लगाने की योजना है।
भारत ने दो वर्ष पहले ईयू के 22 उत्पादों पर 15 फीसदी का अतिरिक्त आयात शुल्क लगाया था। इन उत्पादों में व्हिस्की, यूके से आने वाला चीज भी शामिल था।
यह स्टील उत्पादों पर ब्रिटेन के अंकुश लगाने के कदम के जवाब में उठाया गया था। दिल्ली स्थित थिंक टैंक जीटीआरआई के अनुसार भारत का स्टील उद्योग पहले ही चीन के सस्ते आयात से जूझ रहा है और उसे ईयू के कॉर्बन सीमा समायोजन प्रणाली (सीबीएएम) की जरूरतों से निपटने की चुनौतियों का भी सामना करना पड़ रहा है। सीबीएएम जनवरी 2026 से लागू होना है। जीटीआरआई ने अपनी रिपोर्ट में कहा, ‘ईयू के 2018 से सुरक्षात्मक उपाय लागू किए जाने के बाद भारत से ईयू को होने वाले निर्यात की मात्रा काफी गिर गई है। इससे भारत को महत्त्वपूर्ण वित्तीय घाटा हुआ है।