कोई आधी मुस्कान नहीं दे सकता, तो त्योहार पर भी ऐसा भेदभाव क्यों हो। सब मुस्काएं, तो उत्सव है।
फा गुन महीना है। हरियाली ने लाल-पीले टेसू का आंचल ओढ़ लिया है। माहौल के रंग होली का इशारा कर रहे हैं। अपने-अपने ढंग से उत्सव को मनाने को अंतिम रूप दिया जा रहा है।
सनातन धर्म में होलिका दहन पर को विशेष महत्व दिया गया है. इस दिन भगवान श्री कृष्ण की उपासना की जाती है और देशभर में होलिका दहन का आयोजन होता है. होलिका दहन को छोटी होली या होलिका दीपक के नाम से भी जाना जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस विशेष दिन पर पूजा-पाठ और कुछ खास उपाय करने से जीवन में आ रही कई प्रकार की समस्याएं दूर हो जाती है और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है.
वैदिक पंचांग के अनुसार, इस वर्ष होलिका दहन पर्व 24 मार्च 2024, रविवार (Holika Dahan 2024 Date) के दिन हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा. धर्म शास्त्र एवं ज्योतिष शास्त्र में होलिका दहन के महत्व को विस्तार से बताया गया है. आइए जानते हैं, होलिका दहन पर्व से जुड़े कुछ खास उपाय, जिनसे दांपत्य जीवन और व्यापार क्षेत्र में आ रही समस्याएं दूर होती हैं.
होलिका दहन के दिन अग्नि में उड़द दाल के पांच दाने डालने से कार्य क्षेत्र में आ रही समस्याएं दूर होती है और जो लोग नौकरी की तलाश कर रहे हैं, उन्हें भी जल्द सफलता प्राप्त होती है. इसके साथ इस दिन किसी जरूरतमंद व्यक्ति को जूता या छाता दान जरूर करें. ऐसा करने से भी जीवन में आ रही समस्याएं दूर होती है
होली सबके लिए है, सबको एक ही रंग में रंगने के लिए आती है, अगर इस बात पर हमारा अटूट विश्वास है, तो रंगों और मिठाइयों से सजे बाज़ार की एक फेरी लगाने के बाद, एक छोटा-सा फेरा नज़दीकी खेत खलिहानों का भी लगा लें।
होलिका दहन के दिन जरूर करें ये उपाय
ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है कि होलिका दहन के दिन विवाह में हो रही देरी को दूर करने के लिए होलिका दहन के समय सुपारी, नारियल, काला तिल और उड़द लेकर लड़का या लड़की के सिर पर सात बार घूमना चाहिए और उसे आग में अर्पित कर देना चाहिए. ऐसा करने से सकारात्मक परिणाम प्राप्त होते हैं.
होलिका दहन के दिन अग्नि में उड़द दाल के पांच दाने डालने से कार्य क्षेत्र में आ रही समस्याएं दूर होती है और जो लोग नौकरी की तलाश कर रहे हैं, उन्हें भी जल्द सफलता प्राप्त होती है. इसके साथ इस दिन किसी जरूरतमंद व्यक्ति को जूता या छाता दान जरूर करें. ऐसा करने से भी जीवन में आ रही समस्याएं दूर होती है.
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जिस व्यक्ति की कुंडली में ग्रह दोष उत्पन्न है या वह किसी विशेष ग्रह के कारण समस्या का सामना कर रहा है, उन्हें होलिका दहन के भस्म को भगवान शिव पर अर्पित करना चाहिए. इस उपाय का पालन करने से महादेव प्रसन्न होते हैं और ग्रह दोष के कारण आ रही समस्याएं दूर होती है.
पारिवारिक जीवन में सुख और समृद्धि के लिए होलिका दहन के दिन समस्त परिवार के सदस्यों के ललाट पर हल्दी का तिलक लगाएं और इसके बाद होलिका की सात बार परिक्रमा करें. ऐसा करने से पारिवारिक जीवन में आ रही समस्याएं दूर होती है.
व्यापार क्षेत्र में उन्नति के लिए होलिका दहन के दिन घर या कार्यस्थल के मुख्य द्वार पर लाल या गुलाबी गुलाल से रंगोली बनाएं और दो दीपक अवश्य जलाएं.
एक ऐसे ही हालिया फेरे के दौरान, खेत के बीचोबीच एक स्त्री को बैठे देखा था। नामालूम क्या देख रही थी, आसपास के खेतों में ओलावृष्टि और बारिश से हुई बर्बादी या अपनी तरह के उन खेतों को देख रही थी, जिनकी उस व़क्त की कम बढ़त को बेमौसम बारिश की नज़र नहीं लग पाई। या शायद वह पक्के मन की सच्ची किसान थी, जिसे मौसम की करवटों के ख़ौफ़ से ज्यादा, अपनी मेहनत के सुख का इत्मीनान था। वो शायद उस सेठानी की तरह महसूस कर रही हो, जो एक दिन अपने सारे गहने आसपास फैलाकर और उनके बीच में बैठकर संचित सम्पदा को देख उल्लसित होती है। फ़र्क़ इतना है कि हमारी अर्थव्यवस्था को खुले हाथों से बल देने वाली इस सेठानी की सम्पदा इसकी अपनी तिजोरी में नहीं जा पाती।
छोटा-सा दृश्य था, भीतर तक झकझोर गया। इस बार फागुन ने जाने कितने चेहरों से होली के पहले ही रंग छीन लिया। तक़लीफ़ तो इस बात की होती है कि देश के अन्नदाता के पास अपने दुख बांटने वाली कोई सोशल नेटवर्किग साइट नहीं है। हम शहरी अपनी ज़रा-सी हूक को स्टेटस के रूप में डालकर सैकड़ों लाइक्स और कमेंट्स बटोर लेते हैं। इनकी चीत्कारों को सुनने वाला कोई नहीं, बस आसमान की बेरुखी है और धरती की असहायता।
और हैरानी की बात तो ये है कि हम शहरी, जिन्होंने अपने (दुष्)कर्मो से इन किसानों के चेहरे का गुलाल छीना है, हम तऱक्क़ी की अंधी दौड़ में बेतहाशा भागने वाले, प्रकृति और पर्यावरण को हरपल नुकसान पहुंचाने वाले हम, इनकी तरफ़ से बेख़बर, होली मनाने के लिए तैयारियां कर रहे हैं।
ज़रा ध्यान दें हम भी। अन्न यही किसान उगाते हैं। इस अनाज से इनके घर तो नहीं भरते, हमारे पेट ज़रूर भरते हैं।
चलिए, सार्थक पहल करें।
इस बार होली पर, सिर पर हाथ रखकर बैठे किसान के मस्तक पर गुलाल सजा दें, उसके चेहरे पर मुस्कान की लाली लौटा दें, तो सही मायनों में होली हो। कर सकते हैं न हम ऐसा? शहर से खेत इतने दूर भी नहीं हैं..
(लेखिका सर्चिंग आईज हिंदी दैनिक की विशेष संवाददाता एवं धार्मिक मामलो की जानकार हैं )