हिंदू, हिंदुत्व और हिंदुइज्म, क्या मानते हैं नेता, वेद, पुराणों में नहीं है जिक्र?

 

                                         हिमालयात् समारभ्य यावत् इन्दु सरोवरम्।
                                               तं देवनिर्मितं देशं हिन्दुस्थानं प्रचक्षते॥
अर्थात : हिमालय से प्रारंभ होकर इन्दु सरोवर (हिन्द महासागर) तक यह देव निर्मित देश हिन्दुस्थान कहलाता है।

हाल ही में हिंदू, हिंदुत्व और हिंदुइज्म को लेकर नेताओं ने अपनी अपनी राय जाहिर की है जिसको लेकर विवाद भी हुआ है। राहुल गांधी हिंदू और हिंदुत्व में फर्क करते हैं और कहते हैं कि हिंदुत्व नफरत सिखाता है। राहुल गांधी कहते हैं कि जो लोग समस्या का सामना खड़े होकर करते हैं वो हिन्दू हैं और जो समस्या के सामने डर से सिर झुका देते हैं उनकी विचारधारा हिन्दुत्व है।

इसी के साथ हाल ही में कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने कहा कि किसी भी वेद या पुराण में हिन्दू या हिन्दुत्व शब्द का उल्लेख नहीं है। उन्होंने ये भी कहा कि हिन्दू जो है, उनको हिन्दुत्व और हिंदुत्ववादी होना चाहिए। आओ जानते हैं हिन्दू, हिन्दुत्व और हिंदुइज्म के साथ ही कि क्या शास्त्रों में है इसका उल्लेख?

1. अर्थ को जानें : हिन्दुत्व का अर्थ भाव से उसी तरह है जिस तरह की मातृ का मातृत्व, देव का देवत्व, अपने का अपनत्व, मनुष्य का मनुष्यत्व अर्थात मानवीयता। त्व एक प्रत्यय है। इसी तरह हिन्दू का हिंदुत्व होता है। हिंदुइज्म का अर्थ हिन्दूवाद होता है, जबकि हिन्दू कोई वाद नहीं है यह गढ़ा गया शब्द है। कई विद्वान मानते हैं कि हिन्दू उसे कहते हैं जो हिंसा और हीनता बोध को दूर करे। बोध अर्थात भाव।
2. हिन्दू शब्द की उत्पत्ति का रहस्य : 
– वेदों में सप्तसिंधु और सिंधु शब्द का प्रयोग हुआ है। सिंधु एक नदी है। ईरानी या पारसी इसे हिन्दुश कहते थे और ग्रीक इंडस। यह इंडस ही आगे चलकर इंडिया हो गया। ‘इंडिका’ का प्रयोग मेगास्थनीज ने किया है जो 354 ईसा पूर्व हुए चंद्रगुप्त मोर्य के समय पाटलीपुत्र में रहा था। उसी ने  इंडिका नामक किताब लिखी।
– कहते हैं कि मेगास्थनीज भारत पहुंचने से पूर्व वह बख़्त्र, बाख्त्री (बैक्ट्रिया), गान्धार, तक्षशिला (टेक्सला) भी रुकता हुआ आया था जहां हिन्द, हिन्दवान, हिन्दू जैसे शब्द प्रचलित थे। संभव: उसने ग्रीक स्वरतन्त्र के अनुरूप इनके इंडस, इंडिया जैसे रूप ग्रहण किए।
– कुछ विद्वान मानते हैं कि हिन्दुश शब्द तो ईसा से भी 2 हजार साल पहले अक्कादी सभ्यता में पाया गया है। उस वक्त ऋग्वेद लिखा गया था।
– अफगानिस्तान में एक पहाड़ी क्षेत्र है जिसे हिन्दूकुश कहते हैं जोकि हिमालय रेंज की कारोकरम पहाड़ियों का अंतिम हिस्सा है। माना जाता है कि हिन्दू शब्द की उत्पत्ति हिमालय और हिन्द महासागर के कारण हुई।
– दरअसल, ‘हिन्दू’ नाम तुर्क, फारसी, अरबों आदि के प्रभाव काल के दौर से भी पहले से चला आ रहा है जिसका एक उदाहरण हिन्दूकुश पर्वतमाला का इतिहास है।
– कई विद्वान मानते हैं कि सिंधु नदी के कारण इस देश का नाम हिन्द हुआ और इस नदी के आसपास रहने वालों को हिन्दू कहा जाने लगा।
– कहते हैं कि हिन्दू शब्द दरअसल ग्रीक, अरब, अक्काद, पर्शियन सम्बन्धों का परिणाम है।
– एक मत यह कि है कि ‘हिन्दू’ शब्द ‘इन्दु’ जो चन्द्रमा का पर्यायवाची है, से बना है। अत: चीन के लोग भारतीयों को ‘इंतु’ या ‘हिन्दू’ कहने लगे। कहा जाता है कि चीनी यात्री ह्वेनसांग के भारत आगमन के समय भी हिन्दू शब्द प्रचलित था।
– ईरान के सबसे प्राचीन धर्म पारसी धर्म की पुस्तक अवेस्ता या ज़ेंद में हिन्द शब्द मिलता है। ऋग्वेद के बाद अवेस्ता या ज़ेंद लिखी गई थी। पारसी धर्म के संस्थापक जरथुस्त्र का काल करीब 700 ईसापूर्व का था।
 इस तरह हिन्द के साथ जुड़ कर हिन्दुस्तान बना। हिन्दुस्तान जहां हिन्दू रहते हैं। यही कारण रहा होगा कि यहां अधिकतर लोगों द्वारा बोली जाने वाली भाषा हिन्दी हो गई।
4. हिन्दू शब्द का शास्त्रों में उल्लेख :
– कहते हैं कि हिन्दू नाम पूर्णतया भारतीय है। भारत की प्राकृत भाषा से उत्पन्न हुआ शब्द है। इस शब्द के संस्कृत व लौकिक साहित्य में व्यापक प्रमाण मिलते हैं।
– ‘हिन्दू’ शब्द का मूल निश्चित रूप से वेदादि प्राचीन ग्रंथों में विद्यमान है। उपनिषदों के काल के प्राकृत, अपभ्रंश, संस्कृत एवं मध्यकालीन साहित्य में ‘हिन्दू’ शब्द पर्याप्त मात्रा में मिलता है। अनेक विद्वानों का मत है कि ‘हिन्दू’ शब्द प्राचीनकाल से सामान्यजनों की व्यावहारिक भाषा में प्रयुक्त होता रहा है।
– जब प्राकृत एवं अपभ्रंश शब्दों का प्रयोग साहित्यिक भाषा के रूप में होने लगा, उस समय सर्वत्र प्रचलित ‘हिन्दू’ शब्द का प्रयोग संस्कृत ग्रंथों में होने लगा। ब्राहिस्पत्य, कालिका पुराण, कवि कोश, राम कोश, कोश, मेदिनी कोश, शब्द कल्पद्रुम, मेरूतंत्र, पारिजात हरण नाटक, भविष्य पुराण, अग्निपुराण और वायु पुराणादि संस्कृत ग्रंथों में ‘हिन्दू’ शब्द जाति अर्थ में सुस्पष्ट मिलता है। पौराणिक साहित्य एवं तंत्र गृन्थों आदि में भी प्रचुरता से हिन्दू शब्द अनेक स्थलों में विद्यमान है जैसे–
श्लोक : हिमालयात् समारभ्य यावत् इन्दु सरोवरम्।
तं देवनिर्मितं देशं हिन्दुस्थानं प्रचक्षते॥- बृहस्पति आगम
अर्थात : हिमालय से प्रारंभ होकर इन्दु सरोवर (हिन्द महासागर) तक यह देव निर्मित देश हिन्दुस्थान कहलाता है।
हिन्दू धर्म प्रलोप्तारो जायन्ते चक्रवर्तिन : !
हीनं च दुशयत्येव हिन्दूरित्युच्यते प्रिये !!
( मेरुतंत्र प्रकाश )
हिनस्ति तपसा पापान देहिकान् दुष्टमानसान !
हेतिभिः शत्रु वर्गं च स हिन्दुर भिधीयते !!
( पारिजात हरण )
यवन रैवनिः क्रांता हिन्दवो विन्ध्य्माविशन् !!
( शांग्धर पद्दति /कालिका पुराण)
हीनं दूषयति इति हिन्दू: !! ( शब्द कल्पद्रुम कोष)
ओंकार मूल मंत्राद्यः पुनर्जन्म दृढ़ाशयः !
गो भक्तो भारत गुरु हिन्दुर्हिसन दूषकः !!
( माधव दिग्विजय )
हिंसया दूयते यश्च सदाचरण तत्परः !
वेद गोप्रतिमासेवी स हिन्दूमुख शब्द भाक् !!
( वृद्ध स्मृति )
हिन्दुर्हिंदुश्च हिन्दवः !!
( मेदनी कोष )
हालांकि उपरोक्त ग्रंथ कब लिखे गए इसमें विद्वानों के बीच मतभेद जरूर है परंतु यह तय है कि हिन्दू शब्द ईसा से करीब 700 वर्ष पूर्व भी प्रचलित था। तभी तो मेगास्थनीज का ‘इंडिका’ शब्द बना। उल्लेखनीय है कि हिन्दुओं को ही आर्य, वैदिक और सनातनी कहा गया है, उसी तरह जिस तरह कि अन्य धर्म के लोगों को भी 3-4 नामों से पुकारा जाता है।

संकलन : मंजूलता शुक्ला 
(लेखिका यूपी जागरण डॉट कॉम (upjagran.com ,A Largest Web News Channel Of Incredible BHARAT)की विशेष संवाददाता एवं धार्मिक मामलो की जानकार हैं )