उत्तर प्रदेश के वाराणसी की जिला अदालत ने बुधवार को ज्ञानवापी परिसर में स्थित व्यास जी के तहखाने में हिंदुओं को पूजा-पाठ करने का अधिकार देने का आदेश दे दिया। मुस्लिम पक्ष ने इस आदेश को अदालत में चुनौती देने का फैसला किया है।
हिंदू पक्ष के वकील मदन मोहन यादव ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि जिला न्यायाधीश अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने तहखाने में पूजा पाठ करने का अधिकार व्यास जी के नाती शैलेन्द्र पाठक को दे दिया है।
उन्होंने बताया कि जिला न्यायाधीश ने अपने आदेश में जिलाधिकारी को निर्देशित करते हुए कहा है कि वादी शैलेन्द्र व्यास तथा काशी विश्वनाथ ट्रस्ट द्वारा तय किए गए पुजारी से व्यास जी के तहखाने में स्थित मूर्तियों की पूजा और राग भोग कराए जाने की व्यवस्था सात दिन के भीतर कराएं।
यादव ने बताया कि पूजा कराने का कार्य काशी विश्वनाथ ट्रस्ट करेगा। ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाने के समक्ष बैठे नंदी महाराज के सामने लगी बैरीकेडिंग को हटाकर रास्ता खोला जाएगा। मुस्लिम पक्ष ने जिला अदालत के इस फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती देने का निर्णय किया है ।
मुस्लिम पक्ष के अधिवक्ता मुमताज अहमद ने कहा, आज जिला न्यायाधीश ने हिंदुओं को पूजा करने का अधिकार दे कर अपना अंतिम फैसला दे दिया है। अब हम इस फैसले के खिलाफ उच्च न्यायालय जाएंगे।
अदालत द्वारा दिए गए आदेश में कहा गया है, ‘जिला मजिस्ट्रेट वाराणसी/ रिसीवर को निर्देश दिया जाता है कि वह सेटेलमेंट प्लॉट नं. 9130 थाना—चौक, जिला वाराणसी में स्थित भवन के दक्षिण की तरफ स्थित तहखाने, जो कि वादग्रस्त सम्पत्ति है, वादी तथा काशी विश्वनाथ ट्रस्ट बोर्ड के द्वारा नाम निर्दिष्ट पुजारी से पूजा, राग-भोग, तहखाने में स्थित मूर्तियों का कराए और इस उद्देश्य के लिए सात दिन के भीतर लोहे की बाड़ आदि में उचित प्रबंध करें।’
यादव ने बताया कि ज्ञानवापी परिसर स्थित व्यासजी के तहखाने में पूजा-पाठ किए जाने संबंधी आवेदन पर जिला न्यायाधीश अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में दोनों पक्ष की तरफ से मंगलवार को बहस पूरी कर ली थी।
हिंदू पक्ष का कहना था कि नवंबर 1993 तक सोमनाथ व्यास जी का परिवार उस तहखाने में पूजा पाठ करता था, जिसे तत्कालीन मुलायम सिंह यादव सरकार के शासनकाल में बंद करा दिया गया था। अब वहां फिर से हिंदुओं को पूजा का अधिकार मिलना चाहिए।
इस पर मुस्लिम पक्ष ने आपत्ति जताते हुए कहा था कि व्यास जी का तहखाना मस्जिद का हिस्सा है लिहाजा उसमें पूजा-पाठ की अनुमति नहीं दी जा सकती।
इस बीच, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के वरिष्ठ सदस्य मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने लखनऊ में संवाददाताओं से बातचीत में कहा, इस फैसले से मायूसी जरूर है लेकिन अभी ऊपरी अदालतों का रास्ता खुला है। जाहिर है कि हमारे वकील इस फैसले को चुनौती देंगे ।