गणेश चतुर्थी का महापर्व:संतान का कष्ट दूर होता है वह स्वस्थ दीर्घायु और यशवान बनता है

     गणेश चतुर्थी का महापर्व हर वर्ष माघ महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है माताएं इस व्रत को अपने संतानों की रक्षा और उसके संकट को दूर करने के लिए देवों में प्रथम पूज्य गणेश के लिए करती हैं इसलिए इस संकटा चतुर्थी भी कहा जाता है हर वर्ष इस कठिन व्रत को महिलाओं के द्वारा भोर से लेकर चंद्र उदय तक बिना जल के पिये किया जाता है इसलिए इसे निर्जला व्रत भी कहा जाता है
डॉक्टर दिलीप कुमार सिंह
  भारत में हर एक पर्व उत्सव त्योहार पूजा पाठ या व्रत हवन अनुष्ठान के पीछे वैज्ञानिक एवं आध्यात्मिक तथा प्रकृति का दृष्टिकोण छिपा हुआ है इसी तरह ग्रहों में चंद्रमा और सूर्य सर्व प्रधान माने जाते हैं क्योंकि सूर्य जीवन का आधार है और चंद्रमा पृथ्वी के सबसे निकट है और वह जीवन को सीधे-सीधे प्रभावित करता है
    बाकी नौ ग्रहों की भी अपनी अपनी कथा है इस बार शुक्रवार के दिन 17 जनवरी को गणेश चतुर्थी मनाई जाएगी क्योंकि सुबह भर में 4:06 से उसका आरंभ होगा और 18 जनवरी शनिवार के दिन 8:20 पर इसका समापन होगा इस व्रत को करने में दूब तिल मौसम के फल और फूल तथा पीले रंग और लाल रंग के वस्त्रो का विशेष महत्व है इसके साथ-साथ मिठाई अगर लड्डू हो तो सबसे अच्छा माना जाता है
      गणेश जी की पूजा आराधना करने पर संतान का कष्ट दूर होता है वह स्वस्थ दीर्घायु और यशवान बनता है इस बार गणेश चौथ में श्री गणेश जी की पूजा का विधि विधान है कि स्नान करके पीले वस्त्र धारण करें और 17 जनवरी को सुबह 5:27 से 6:21 मिनट तक या फिर 8:34 से 9:53 तक गणेश जी की पूजा आराधना या केवल ध्यान करें अगर जरूरी समझे तो गणेश जी के व्रत और कथाओं का भी उल्लेख करें इस बार चंद्रमा के उन्हें होने का समय जौनपुर और आसपास तथा मध्य भारत में 9:02 पर है इसके बाद अलग देकर गणेश जी की पूजा की जाती है जिसमें तिल और तिल के बने लड्डू मौसम के फल मिठाई लड्डू दूब का प्रयोग किया जाता है कुछ लोग इसमें कंद मूल भी शामिल करते हैं ध्यान रहे की पूजा में तुलसी के पत्तों का या तुलसी का किसी भी रूप में प्रयोग वर्जित है और जल भी तुलसी के पौधे में नहीं देना चाहिए चंद्रमा के उदय के बाद हर घर देखकर पूजा पाठ करके सादा भोजन या कंदमूल फल खाकर इस व्रत का समापन किया जाता है!
  इस कठिन निर्जला व्रत को महिलाएं अपने संतानों के लिए करती हैं इसलिए संतानों को भी चाहिए कि वह अपनी मां के प्रति समर्पित भाव से जीवन पर्यंत उनकी सेवा करके अपना जीवन धन्य बनाएं एक बात और है कि अगर बदले या कोहरा या किसी अन्य कारण से चंद्रमा नहीं दिखते हैं तो रात में 9:30 के बाद चंद्रमा और श्री गणेश का दर्शन करते हुए आराम से पारण व्रत का कर सकते हैं