मुंबई: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव का प्रचार-प्रसार अपने चरम पर है. महाराष्ट्र की सियासत का सिकंदर बनने के लिए जोर आजमाइश हो रही है. एक ओर महायुति सत्ता बरकरार रखने को बेताब है तो दूसरी ओर एमवीए बाजी पलटने के लिए दमखम लगा रहा है. इस बीच महायुति में साथ-साथ होने के बावजूद मंच पर साथ तस्वीरें नहीं दिख रही हैं. जी हां, महायुति सरकार में शामिल अजित पवार गुट की एनसीपी ने पीएम मोदी की मुंबई रैली में हिस्सा नहीं लिया. न तो अजित पवार पीएम मोदी की रैली में शामिल हुए और न ही उनकी पार्टी का कोई दिग्गज नेता शामिल हुआ.
दरअसल, पीएम मोदी ने गुरुवार को मुंबई के शिवाजी पार्क मैदान में एक जनसभा को संबोधित किया. इस रैली में अजित पवार शामिल नहीं हुए. तुर्रा तो यह कि उनकी पार्टी एनसीपी का भी कोई दिग्गज नेता शामिल नहीं हुआ. हालांकि, शिंदे गुट की शिवसेना और अठावले की पार्टी के सीनियर नेता मौजूद रहे. डिप्टी सीएम होने के बावजूद पीएम मोदी की रैली में अजित पवार का न शामिल होना कई सवाल खड़े कर रहा है. भाजपा के साथ गठबंधन में होने के बावजूद अजित पवार की गैरमौजूदगी के कई मायने तलाशे जा रहे हैं.
महायुति में दरार तो नहीं?
अजित पवार लगातार ऐसे संकेत दे रहे हैं, जिससे लग रहा है कि महायुति में सबकुछ सही नहीं चल रहा है. या फिर महायुति के दलों के बीच कहीं न कहीं दरार आ चुकी है. अजित पवार ने पहले नवाब मलिक के लिए भाजपा और देवेंद्र फडणवीस से सीधे तौर पर पंगा लिया. भाजपा और फडणवीस के ऐतराज के बावजूद अजित पवार ने नवाब मलिक को टिकट दिया. इसके बाद सीएम योगी और भाजपा के ‘बटेंगे तो कटेंगे’ नारे का भी खुलकर विरोध किया. अब अजित पवार ने पीएम मोदी की रैली से भी किनारा कर लिया. ये कुछ ऐसे संकेत हैं, जिससे साफ पता चल रहा है कि अजित पवार के मन में कुछ और ही खिचड़ी पक रही है.
अजित पवार की क्या मजबूरी?
अब सवाल है कि आखिर अजित पवार ऐसा कर क्यों रहे हैं? इसकी वजह लोकसभा चुनाव के नतीजे हैं. लोकसभा चुनाव में अजित की एनसीपी का हाल अच्छा नहीं रहा था. मुस्लिम वोटरों ने साथ नहीं दिता था. अजित पवार को डर है कि कहीं उनसे फिर मुस्लिम वोटर खिसक न जाएं. यही वजह है कि भाजपा विरोध के बावजूद उन्होंने नवाब मलिक और उनकी बेटी सना मलिक को मैदान में उतारा है. इतना ही नहीं, अजित पवार की एनसीपी ने बाबा सिद्दीकी के बेटे जीशान सिद्दीकी को भी टिकट दिया. मुस्लिम वोटर नाराज न हो जाएं, इसलिए अजित पवार सीएम योगी के बटेंगे तो कटेंगे नारे का भी खुलकर विरोध कर रहे हैं. महाराष्ट्र में 20 नवंबर को वोटिंग है और 23 को रिजल्ट आएंगे.