सावन की विनायक चतुर्थी पर जरूर पढ़ें यह व्रत कथा, हर संकट होगा दूर!

    विनायक चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा करने से जीवन के संकटों से मुक्ति मिलती है. साथ ही इस दिन व्रत कथा का पाठ करने से श्री गणेश की कृपा होती है और उनका सानिध्य प्राप्त होता है.

    आज सावन की विनायक चतुर्थी है और इस व्रत करने से सभी और अपार सुख की प्राप्ति होती है. विनायक चतुर्थी के व्रत को करने वाले भक्तों के लिए इस कथा का पाठ करना अनिवार्य है. ऐसी मान्यता है कि सावन इस कथा का पाठ किए बिना वत का पूर्ण फल नहीं मिलता है.

मंजूलता शुक्ला

इस समय सावन का महीना चल रहा है. सावन माह की विनायक चतुर्थी का व्रत आज यानी 8 अगस्त 2024 को किया जा रहा है. पंचांग के अनुसार, हर माह में प्रदोष व्रत की तरह ही दो बार चतुर्थी का व्रत किया जाता है. एक शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि का और दूसरा शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर. कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी के नाम से जाना जाता है. दोनों ही चतुर्थी में भगवान गणेश की पूजा की जाती है

जिस प्रकार त्रयोदशी तिथि भगवान शिव को समर्पित होती है. वैसे ही, विनायक चतुर्थी के दिन गणेश जी की पूजा का विधान है. सावन विनायक चतुर्थी के दिन गणेश जी की पूजा करने से श्री गणेश की कृपा बनी रहती है और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है. साथ ही शुभ कार्य की बाधाएं भी दूर होती हैं. विनायक चतुर्थी व्रत में कथा सुनने और पढ़ने का विशेष महत्व माना गया है. अगर आप चतुर्थी तिथि का व्रत नहीं कर रहे हैं, तो कथा सुनने मात्र से जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं. ऐसे में आइए जानते हैं विनायक चतुर्थी व्रत की कथा.

विनायक चतुर्थी व्रत कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार भगवान शिव और जगत जननी माता पार्वती नर्मदा नदी के किनारे बैठकर चौपड़ खेल रहे थे. तभी यह सवाल खड़ा हुआ कि इस खेल में हार और जीत का फैसला कौन करेगा. इसका फैसला लेने के लिए भगवान शिव ने एक कुछ तिनके एकत्रित कर एक पतला बनाया और उसमें प्राण डाल दिए.

इसके बाद भगवान शिव ने उस बालक से कहा कि हमारे इस चौपड़ के खेल में तुम्हें हार-जीत का निर्णय करना है. चौपड़ का खेल तीन बार खेला गया और तीनों बाद माता पार्वती जीत गईं, लेकिन जब उसे बालक से हार जीत का फैसला करने को कहा गया, तो उसने माता पार्वती की बजाय भगवान शिव को विजयी बताया.

माता पार्वती ने दिया ये श्राप

उस बालक का यह गलत निर्णय सुनकर माता पार्वती बहुत क्रोधित हुईं और क्रोध में आकर उन्होंने उस बालक को विकलांग यानी अपाहिज होने का श्राप दे दिया. बाद में उस बालक ने अपनी गलती के लिए माता पार्वती से माफी मांगी औ कहा, “यह मुझसे भूलवश हो गया है. माता कृप्या आप इस श्राप को वापस ले लीजिए.”

इस पर माता पार्वती ने कहा कि श्राप को वापस नहीं लिया जा सकता है लेकिन इसका एक समाधान है. माता पार्वती ने कहा कि यहां श्री गणेश जी की पूजा के लिए कुछ नागकन्या आएंगी, उनके कहे अनुसार तुम्हें व्रत करना होगा, जिससे तुम इस श्राप से मुक्त हो जाओगे.

बालक ने लगातार 21 दिनों तक किया व्रत

बालक कई वर्षों तक श्राप से पीड़ित रहा और कुछ समय बाद वहां कुछ नागकन्या आईं. तब उस बालक ने उनसे श्राप से मुक्ति के लिए व्रत की विधि पूछी तो उन्होंने गणेश जी के व्रत की विधि उस बालक को बताई. फिर उस बालक ने पूरी श्रद्धा से लगातार 21 दिनों तक भगवान श्री गणेश का व्रत और पूजन किया.

उस बालक की श्रद्धा देखकर भगवान गणेश प्रसन्न हुए और उस बालक से वरदान मांगने को कहा. बालक ने भगवान गणेश से प्रार्थना की और कहा कि, हे विनायक, मुझे इतने शक्ति दें कि मैं अपने पैरों से चलकर कैलाश पर्वत पर जा सकूं और इस श्राप से मुक्त हो जाऊं. भगवान गणेश ने बालक को आशीर्वाद दे दिया और अंतर्ध्यान हो गए.

बालक को मिली शाप से मुक्ति

इसके बाद बालक ने कैलाश पर्वत पर भगवान महादेव को शाप मुक्त होने की कथा सुनाई. चौपड़ वाले दिन से माता पार्वती भगवान शिव से रुष्ट हो गई थीं. बालक के बताए अनुसार, भगवान शिव ने भी 21 दिनों का भगवान गणेश का व्रत किया. व्रत के प्रभाव से माता पार्वती महादेव से प्रसन्न हो गईं. मान्यता है कि भगवान गणेश की जो सच्चे मन से पूजा अर्चना और आराधना करता है, उसके सभी दुख दूर हो जाते हैं. साथ ही कथा सुनने व पढ़ने मात्र से जीवन में आने वाले सभी विघ्न दूर हो जाते हैं.

(लेखिका यूपी जागरण डॉट कॉम(upjagran.com(A Largest Web News Channel Of Incredible BHARAT)की विशेष संवाददाता एवं धार्मिक मामलो की जानकार हैं )