पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान को आईएमएफ से राहत पैकेज मिलने पर भारत ने चिंता जताई है। भारत ने इस पर आपत्ति जताई है कि इस फंड का इस्तेमाल सीमा पार आतंकवाद के लिए किया जा सकता है।
नई दिल्ली: पहलगाम हमले में पाकिस्तान से आए आतंकियों ने किस तरह से बेगुनाहों का कत्ल किया, उससे पूरी दुनिया वाकिफ है। ऐसे समय में अमेरिका की राजधानी वॉशिंगटन डीसी में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) जैसी संस्था से फिर से राहत पैकेज देने का प्रस्ताव पास करना चौंकाने वाला है।
भारत ने तो वोटिंग से हटकर अपनी नाराजगी जाहिर कर दी, लेकिन सवाल है कि एक तरह से आंतकी राष्ट्र के रूप में स्थापित हो चुके पाकिस्तान को एक वैश्विक संस्था की ओर से ऐसे समय में बेलआउट देने की सोच के पीछे आखिर क्या मजबूरी हो सकती है।
भारत की चिंता बेवजह नहीं है। वह देख रहा है कि कर्ज में डूबे पाकिस्तान ने आज तक राहत पैकेज के नाम पर मिले ऐसे फंड का कभी भी उचित उपयोग करने की मानसिकता नहीं दिखाई है। यही वजह है कि भारत ने इसपर यह कहकर आपत्ति जताई है कि इस, ‘फंड का राज्य प्रायोजित सीमापार आतंकवाद के लिए दुरुपयोग की संभावना’है।
पाकिस्तान के आतंकवाद की स्पॉन्सरशिप को पुरस्कार!
दरअसल, IMF में किसी प्रस्ताव के खिलाफ मतदान करने का कोई प्रावधान नहीं है। कोई देश या तो इसके पक्ष में मतदान कर सकता है या इससे दूर रह सकता है। भारत विरोध में वोट नहीं डाल सकता था, इसलिए बाहर होना ही उसकी मजबूरी बन गई। आईएमएफ की बैठक पर एक बयान में भारत ने कहा, ‘भारत ने बताया कि सीमा पार आतंकवाद के लगातार स्पॉन्सरशिप को पुरस्कृत करना, वैश्विक समुदाय को एक खतरनाक संदेश देता है, फंडिंग एजेंसियों और दाताओं की प्रतिष्ठा को जोखिम में डालता है और वैश्विक मूल्यों का मजाक उड़ाता है।
35 साल में 28 बार मेहरबानी के पीछे की मजबूरी?
यह पहली बार नहीं है कि IMF ने पकिस्तान के लिए इस तरह से खजाना खोला है। 1989 से अब तक के 35 वर्षों में पाकिस्तान को 28 बार IMF से कर्ज मिला है। पिछले पांच सालों में IMF की चार योजनाओं से पाकिस्तान को मदद मिली है। लेकिन, पाकिस्तान में सुधार के नाम पर दिखाने के लिए कुछ खास नहीं है। मशहूर पाकिस्तानी अर्थशास्त्री कैसर बंगाली भी कह चुके हैं कि उनका देश कंगाल हो गया है। उन्होंने कहा, ‘पाकिस्तान कर्ज चुकाने के लिए भी कर्ज ले रहा है।
हालत बहुत खराब है।’ फिर भी IMF बोर्ड की बैठक में पाकिस्तान को 1 बिलियन डॉलर का लोन विस्तार देना बड़ी बात है। यह लोन पाकिस्तान को IMF के एक प्रोग्राम के तहत मिलेगा। IMF ने पाकिस्तान को जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए भी 1.3 बिलियन डॉलर का क्रेडिट लाइन देने पर भी विचार किया है। इसका मतलब है, पाकिस्तान को जलवायु परिवर्तन के लिए भी पैसा मिल सकता है।