प्रधानमंत्री मोदी (Prime Minister Modi) बीते शनिवार को अरुणाचल प्रदेश गए थे और वहां पर उन्होंने चीनी सीमा के निकट 13 हजार फीट की ऊंचाई पर बनाई गई सेला टनल को राष्ट्र को समर्पित किया था। यह विश्व में बनी सबसे ऊंची टनल है जिससे पूरे वर्ष आवागमन जारी रहेगा और सेना की वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) तक पहुंच बरकरार रहेगी।
पीटीआई, बीजिंग। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के अरुणाचल प्रदेश दौरे पर चीन ने कूटनीतिक विरोध जताया है। कहा है कि भारत के इस तरह के कदम दोनों देशों के सीमा से जुड़े मामलों को जटिल बनाएंगे। प्रधानमंत्री मोदी बीते शनिवार को अरुणाचल प्रदेश गए थे और वहां पर उन्होंने चीनी सीमा के निकट 13 हजार फीट की ऊंचाई पर बनाई गई सेला टनल को राष्ट्र को समर्पित किया था।
यह विश्व में बनी सबसे ऊंची टनल है जिससे पूरे वर्ष आवागमन जारी रहेगा और सेना की वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) तक पहुंच बरकरार रहेगी। 825 करोड़ रुपये की लागत से बनी यह टनल असम के तेजपुर जिले को अरुणाचल प्रदेश के पश्चिमी कामेंग जिले से जोड़ती है। अरुणाचल प्रदेश को दक्षिणी तिब्बत बताने वाले चीन ने इस बार प्रधानमंत्री मोदी के दौरे पर विरोध जताया है।
सीमा का मसला और ज्यादा हो जाएगा जटिल
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने कहा कि जेंगनान चीन का क्षेत्र है। भारत वहां की स्थिति में बदलाव न करे, इससे सीमा का मसला और ज्यादा जटिल हो जाएगा। प्रवक्ता ने बताया कि भारत को इस बारे में उचित माध्यम से चीन के असंतोष से अवगत करा दिया गया है। विदित हो कि चीन अरुणाचल प्रदेश को जेंगनान बताता है।
भारत ने हर बार चीन के दावे को किया खारिज
वैसे अरुणाचल प्रदेश में होने वाले किसी भी बड़े कार्यक्रम और प्रमुख व्यक्ति के दौरे पर चीन परंपरागत रूप से विरोध जताता रहा है। जबकि भारत हर बार चीन के इस दावे को खारिज करता रहा है और अरुणाचल प्रदेश को देश का अभिन्न हिस्सा बताता रहा है। भारत ने अरुणाचल प्रदेश के शहरों के नाम बदलने की चीन की हरकत को भी फिजूल करार दिया है।