पराक्रम, न्याय और धर्म की प्रतीक राजमाता अहिल्या बाई होल्कर

अहिल्याबाई होल्कर, भारतीय इतिहास में एक ऐसी महान महिला शासक रही हैं, जिन्होंने अपने अद्वितीय प्रशासनिक कौशल, धार्मिक निष्ठा और जनकल्याणकारी कार्यों से एक मिसाल कायम की। उनका जन्म 31 मई 1725 को महाराष्ट्र के चौंडी नामक गाँव में हुआ था। उनके पिता मानकोजी शिंदे एक ग्राम प्रधान थे, और उनका परिवार सामान्य लेकिन धार्मिक…

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भईया दूज विशेष :भईया दूज का महत्व समाप्त करने की कुचेष्टा से ही रक्षाबंधन को भाई-बहन का उत्सव बनाने का षड्यंत्र रचा गया

भाई-बहन का असली उत्सव भ्रातृ द्वितीया अर्थात् भईया दूज की हार्दिक शुभकामनाएँ। भईया दूज का महत्व समाप्त करने की कुचेष्टा से ही रक्षाबंधन को भाई-बहन का उत्सव बनाने का षड्यंत्र रचा गया। रक्षाबंधन में तो पुरोहित द्वारा समाज के लोगों को रक्षासूत्र बांधने का विधान है। अकबर-कर्णावती के भाई-बहन का झूठा आख्यान सुनाकर इसे भाई-बहन…

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शिक्षा और सशक्तिकरण का महत्व………

    यह कहानी उन सभी बेटियों के लिए एक प्रेरणा है जो जिंदगी में किसी भी तरह की मुश्किलों का सामना कर सकती हैं। बेटियों को अच्छी शिक्षा और परवरिश देना बेहद जरूरी है, ताकि अगर कभी उन्हें कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़े, तो वे खुद वज़ीर बनकर अपने और अपने परिवार के…

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जो सुन रहे हम आज,ये छटपटाहट है।हमारे जगने से बेचैनी हैये उसीकी आहट है.. विक्रम सिंह “विक्रम”की बेहतरीन राष्ट्रवादी कविता का आन्नद ले

जो सुन रहे हम आज, ये छटपटाहट है। हमारे जगने से बेचैनी है ये उसीकी आहट है।। शुर में  मिलते न शुर, उसीकी बौखलाहट है। ये छटपटाहट है।। यकीन था सोते रहेंगें, जागे तो घबराहट है। ये छटपटाहट है।। सच्चाई समझ में आई, उसीकी कुलबुलाहट है। ये छटपटाहट है।। आंखें चौधिया रही अब, हमारी जगमगाहट…

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श्राद्ध–पितर होने के लिए पुण्यो की पर्वत जैसी ऊंचाई चाहिए

श्राद्ध,,       एक मित्र कह रहे थे कि श्राद्ध में कौवे को खीर इसलिए खिलाई जाती है क्यूंकि यह उनका प्रजनन काल है,, वे पुष्ट हो सकें,,कोई प्रश्न उठाये कि कौवे को खीर क्यों खिलाते हैं तो उसमें इतना रक्षात्मक होने की क्या आन पड़ी है,, अरे खिलाते हैं, हमारी खीर हमारा कोवा…

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महान व्रत जीवात्पुत्रिका या जिउतिया महापर्व

जीवत्पुत्रिका व्रत      जीवत्पुत्रिका या जिउतिया व्रत सबसे कठिन व्रतों में से एक माना जाता है इसमें माताएं अपने संतान के लिए दिनभर रात भर निर्जला अर्थात बिना पानी पिए रहती है और इस प्रकार यह छठ पूजा या करवा चौथ के समान बेहद कठिन व्रत है        कब मनाया जाता है…

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कृष्ण के राष्ट्र-नायक स्वरूप और राष्ट्र-निर्माण की रचना प्रक्रिया को समझना होगा….

!कर्षति आकर्षति इति कृष्णः!!     कृष्ण के अनंत स्वरूप हैं। अपनी-अपनी मूल प्रकृति के अनुसार भारत की हर भाषा, हर बोली, हर  सांस्कृतिक-समूह, हर उपासना पद्धति, हर प्रान्त-जनपद ने कृष्ण को बारम्बार सुमिरा है। हर दर्शन परम्परा, हर एक आयातित निर्यातित विचारधारा ने कृष्ण को येन केन प्रकारेण भजा है। अद्वैत, द्वैत, द्वैताद्वैत हो…

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पुण्य तिथि -रामकृष्ण परमहंस की महासमाधि

पुण्य-तिथि रामकृष्ण परमहंस की महासमाधि     श्री रामकृष्ण परमहंस का जन्म फागुन शुक्ल 2, विक्रमी सम्वत् 1893 (18 फरवरी, 1836) को कोलकाता के समीप ग्राम कामारपुकुर में हुआ था। पिता श्री खुदीराम चट्टोपाध्याय एवं माता श्रीमती चन्द्रादेवी ने अपने पुत्र का नाम गदाधर रखा था। सब उन्हें स्नेहवश गदाई भी कहते थे।      बचपन…

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बलिदान-दिवस सर्वस्व बलिदानी दम्पति : फुलेना बाबू व तारा रानी

16 अगस्त/बलिदान-दिवस सर्वस्व बलिदानी दम्पति  : फुलेना बाबू व तारा रानी स्वाधीनता संग्राम में देश के हर भाग से लोगों ने प्राणाहुति दी। सिवान, बिहार के फुलेना बाबू तथा उनकी पत्नी श्रीमती तारा रानी ने इस यज्ञ में अपना पूरा परिवार अर्पण कर अपना नाम स्वर्णाक्षरों में अंकित कराया है। अगस्त 1942 में ‘भारत छोड़ो…

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