जो सुन रहे हम आज,ये छटपटाहट है।हमारे जगने से बेचैनी हैये उसीकी आहट है.. विक्रम सिंह “विक्रम”की बेहतरीन राष्ट्रवादी कविता का आन्नद ले

जो सुन रहे हम आज, ये छटपटाहट है। हमारे जगने से बेचैनी है ये उसीकी आहट है।। शुर में  मिलते न शुर, उसीकी बौखलाहट है। ये छटपटाहट है।। यकीन था सोते रहेंगें, जागे तो घबराहट है। ये छटपटाहट है।। सच्चाई समझ में आई, उसीकी कुलबुलाहट है। ये छटपटाहट है।। आंखें चौधिया रही अब, हमारी जगमगाहट…

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गृह वास्तु दोष,शरीर व्याधि निवारण एवं वातावरण में शुद्धि के लिए करें हवन.ब्रह्माण्ड में स्थित सकारात्मक ऊर्जाओं का बढ़ जाता है प्रवाह,

आदिकाल से ही सनातन संस्कृति में सुख-सौभाग्य के लिए हवन-यज्ञ की परंपरा रही है। औषधीय युक्त हवन सामग्री से हवन-यज्ञ करने से पर्यावरण शुद्ध होगा, वहीं वायरस का संक्रमण भी नष्ट हो जाएगा। अनेक वैज्ञानिकों एवं धर्मगुरुओं ने कोरोना महामारी पर नियंत्रण पाने के लिए एवं वातावरण की शुद्धि के लिए हवन यज्ञ का अद्भुत…

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पितृपक्ष एवं पितृ विसर्जन विशेष

    सनातन धर्म अद्भुत अलौकिक और ईश्वर द्वारा चलाया गया धर्म है जिसे अनेक महापुरुषों ने समय-समय पर गतिशील किया है इस समस्त संसार में जो मुस्लिम क्रिश्चियन और यहूदी नहीं है वह सभी सनातन धर्म में आ जाते हैं चाहे वह नास्तिक ही क्यों ना हो क्योंकि भारत में चार्वाक नाम के महान…

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जन्म दिन विशेष :ओए भगतां, ओए मेरे शेरा, धन्य है तेरी मां, जिसने तुझे जन्म दिया

भगतसिंह की बैरक की साफ-सफाई करने वाले का नाम बोघा था। भगत सिंह उसको बेबे (मां) कहकर बुलाते थे। जब कोई पूछता कि भगत सिंह ये बोघा तेरी बेबे कैसे हुआ? तब भगत सिंह कहते, मेरा मल-मूत्र या तो मेरी बेबे ने उठाया, या इस भले पुरूष बोघे ने। बोघे में मैं अपनी बेबे (मां)…

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ब्रह्म कपाली में  पिंडदान के बाद पिंडदान या श्राद्ध कर्म करने की आवश्यकता नहीं होती, जानिए क्यों

ब्रह्म कपाली में  पिंडदान के बाद पिंडदान या श्राद्ध कर्म करने की आवश्यकता नहीं होती, जानिए क्यों। ब्रह्म कपाली में पिंडदान कब किया जाए।      वैसे तो बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने से लेकर बंद होने तक यहां पर पिंडदान का महत्व है। लेकिन, पितृपक्ष के दौरान यहां किए जाने वाले पिंडदान व तर्पण…

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श्राद्ध–पितर होने के लिए पुण्यो की पर्वत जैसी ऊंचाई चाहिए

श्राद्ध,,       एक मित्र कह रहे थे कि श्राद्ध में कौवे को खीर इसलिए खिलाई जाती है क्यूंकि यह उनका प्रजनन काल है,, वे पुष्ट हो सकें,,कोई प्रश्न उठाये कि कौवे को खीर क्यों खिलाते हैं तो उसमें इतना रक्षात्मक होने की क्या आन पड़ी है,, अरे खिलाते हैं, हमारी खीर हमारा कोवा…

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महान व्रत जीवात्पुत्रिका या जिउतिया महापर्व

जीवत्पुत्रिका व्रत      जीवत्पुत्रिका या जिउतिया व्रत सबसे कठिन व्रतों में से एक माना जाता है इसमें माताएं अपने संतान के लिए दिनभर रात भर निर्जला अर्थात बिना पानी पिए रहती है और इस प्रकार यह छठ पूजा या करवा चौथ के समान बेहद कठिन व्रत है        कब मनाया जाता है…

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कृष्ण के राष्ट्र-नायक स्वरूप और राष्ट्र-निर्माण की रचना प्रक्रिया को समझना होगा….

!कर्षति आकर्षति इति कृष्णः!!     कृष्ण के अनंत स्वरूप हैं। अपनी-अपनी मूल प्रकृति के अनुसार भारत की हर भाषा, हर बोली, हर  सांस्कृतिक-समूह, हर उपासना पद्धति, हर प्रान्त-जनपद ने कृष्ण को बारम्बार सुमिरा है। हर दर्शन परम्परा, हर एक आयातित निर्यातित विचारधारा ने कृष्ण को येन केन प्रकारेण भजा है। अद्वैत, द्वैत, द्वैताद्वैत हो…

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कृष्ण देवत्व की एक अवस्था है…देवताओं की श्रृंखला में इकलौते ,धरती ही नहीं,देवलोक में भी सबसे दुर्लभ और प्रासंगिक हैं कृष्ण

    श्री कृष्ण की गीता का मुकाबला दुनिया की कोई किताब नहीं करती. गोवर्धन गिरधारी, कुशल रणनीतिकार थे. कृष्ण हुए तो अतीत में, लेकिन हैं भविष्य के. कृष्ण हर परिस्थिति में अकेले नाचते दिखते हैं. कृष्ण देवत्व की एक अवस्था है. कृष्ण के लिए शरीर एक आवरण मात्र है. उन्हीं कृष्ण का आज जन्मोत्सव…

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