समृद्धि के शिखर पर माता-पिता, समाज और देश को न भूलें- दीक्षांत समारोह में बोले श्री मंगु भाई पटेल,राज्यपाल/कुलाधिपति

ग्रामोदय विश्वविद्यालय के 12वा दीक्षांत समारोह संपन्न
समृद्धि के शिखर पर माता-पिता, समाज और देश को न भूलें: मंगु भाई पटेल राज्यपाल
उपाधि और पदक के साथ नानाजी के आदर्शों को भी साथ ले जाएं: इंदर सिंह परमार, उच्च शिक्षा मंत्री
 ग्राम दर्शन हमारे लिए प्रदर्शन नहीं आत्मदर्शन है: प्रो भरत मिश्रा, कुलगुरु
कुलाधिपति के कर-कमलों से 26 शोधार्थियों ने उपाधि और 32 उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले विद्यार्थियों ने पदक एवं 01 विद्यार्थी ने नानाजी मेडल प्राप्त किया*
   दीक्षांत समारोह में 438 स्नातक, 335 स्नातकोत्तर विद्यार्थियों ने उपाधि प्राप्त की
आकर्षण का केन्द्र रही दीक्षांत शोभा यात्रा
   ग्राम दर्शन को देख अभिभूत हुए कुलाधिपति एवं उच्च शिक्षा मंत्री- एक पेड़ मॉं के नाम अभियान में एक पौधा भी रोपा
        चित्रकूट,16 अक्टूबर 2024। महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय का 12वां दीक्षांत समारोह विश्वविद्यालय के दीक्षांत प्रांगण में परम्परागत गरिमा, उल्हास और उत्साह के वातावरण में सम्पन्न हुआ।
       विश्वविद्यालय के कुलाधिपति और दीक्षांत समारोह के अध्यक्ष, मध्य प्रदेश के राज्यपाल श्री मंगु भाई पटेल ने 26 छात्रों को शोध उपाधि व 32 उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले विद्यार्थियों पदक और 01 विद्यार्थी को नानाजी मेडल मंच से प्रदान किया। समारोह के मुख्य अतिथि और प्रदेश शासन के उच्च शिक्षा मंत्री श्री इंदर सिंह परमार ने दीक्षांत उद्बोधन दिया।
       विश्वविद्यालय के कुलगुरू प्रो0 भरत मिश्रा ने स्वागत उद्बोधन और प्रगति प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। कुलगुरू ने उपाधि धारकों को दीक्षांत शपथ भी दिलाई। दीक्षांत शोभायात्रा का नेतृत्व कुलसचिव नीरजा नामदेव ने किया, जिसमें विद्यापरिषद और प्रबन्ध मण्डल के सदस्यों के साथ सभी संकायों के अधिष्ठाता सहभागी रहे। दीक्षांत समारोह का संचालन डॉ0 ललित कुमार सिंह ने किया। इस अवसर पर उपाधि और मेडल पाने वाले विद्यार्थी, उनके अभिभावक, गणमान्य नागरिक, प्रशासनिक अधिकारी, ग्रामोदय के शिक्षक, अधिकारी, कर्मचारी और छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।
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   समृद्धि के शिखर पर माता-पिता, समाज और देश को न भूलें- श्री मंगु भाई पटेल
       दीक्षांत समारोह में कुलाधिपति श्री मंगु भाई पटेल ने भाव विव्हल होकर श्रद्धेय नानाजी के कार्यों का पुण्य स्मरण किया। उन्होंने उपाधि धारकों से कहा कि हमें ऐसा कोई काम नहीं करना है जिससे समाज या राष्ट्र का अहित हो। आपने जहां से शिक्षा प्राप्त की है वह नाना जी का विश्वविद्यालय है वे जहां भी हैं वहां से हमें देख रहें हैं, हमारे कामों से उन्हें शांति और संतोष की अनुभूति होनी चाहिए। छात्रों को आशीष देते हुए कुलाधिपति ने कहा कि आप बड़ी नौकरी और बड़े पद पायें लेकिन ये याद रखें कि आपको इस मुकाम तक पहुॅंचाने वाले आपके माता-पिता, आपका समाज, आपका देश और आपके शिक्षक हैं अतः समृद्धि और सफलता के शिखर पर पहूॅंचकर इन्हें कभी न भूलें।
      समृद्धि पुरूषार्थ से सभी को मिल सकती है पर मेरी इच्छा यह है कि आप समृद्धि के साथ उदारता को भी प्राप्त करें। जैसे चित्रकूट के कण-कण में नानाजी की उदारता और उनकी संकल्प शक्ति के दर्शन होते हैं वैसे ही आपके कार्यों से आपकी और आपके विश्वविद्यालय की कीर्ति दूर-दूर तक पहुॅचे। आज के समय में लक्ष्य से भटकाने वाले बहुत से आकर्षण समाज में हैं। इनसे बचकर अपना समय और शक्ति राष्ट्र और स्व कल्याण में लगायें। यही मेरी कामना है।
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उपाधि और पदक के साथ नानाजी के आदर्शों को भी साथ ले जाएं- इंदर सिंह परमार
    विश्वविद्यालय के 12वें दीक्षांत समारोह में दीक्षांत उद्बोधन प्रदेश शासन के उच्च शिक्षा मंत्री श्री इंदर सिंह परमार ने प्रस्तुत किया। दीक्षांत उद्बोधन में राष्ट्रीय शिक्षा नीति का उल्लेख करते हुए उन्होने कहा कि पहले दीक्षांत समारोह ऐसे हुआ करते थे जैसे अपने देश में न होकर विदेश में हो रहें हो। यह भारतीयता का स्वरूप सबको लुभाने वाला है। मै इस नवाचार के लिए विश्वविद्यालय को बधाई देता हॅू। भारतीयता और भारतीय मूल्य उच्च शिक्षा के मूल में रहें यही नानाजी का चिंतन था। यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के माध्यम से हमें भारतीयता से अनुप्राणित शिक्षा व्यवस्था दी है।
     मुझे प्रसन्नता है कि मध्य प्रदेश ने इसे समग्रता से लागू करने में सफलता प्राप्त की है। जिसमें ग्रामोदय विश्वविद्यालय का भी महत्वपूर्ण स्थान है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रावधानों की चर्चा करते हुए उन्होने कहा कि इसके अधिकांश प्रावधानों पर ग्रामोदय विश्वविद्यालय ने नानाजी के चिंतन से तीन दशकों पहले कार्य प्रारम्भ हुआ। राष्ट्रीय शिक्षा नीति को प्रभावी बनाने के लिए उन्होंने महामहिम कुलाधिपति महोदय के योगदान की सराहना की। उपाधि एवं पदक प्राप्ति के साथ उन्होने उपाधि धारकों से नानाजी के आदर्शो। को अपने साथ समाज में ले जाने की जरूरत बताते हुए इस दिशा में संकल्प लेने की पैरवी की।
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  ग्राम दर्शन हमारे लिए प्रदर्शन नहीं आत्मदर्शन है- प्रो0 भरत मिश्रा
समारोह के आरम्भ में विश्वविद्याय के कुलगुरू प्रो0 भरत मिश्रा ने प्रगति प्रतिवेदन और स्वागत भाषण प्रस्तुत किया। उन्होने कहा कि वर्तमान समय में शिक्षा, शोध, प्रसार और प्रशिक्षण के परम्परागत आयामों के साथ-साथ संसाधन सृजन का नया आयाम जुडा है। विश्वविद्यालय ने तीन दशकों की अपनी उपलब्धि पूर्ण यात्रा में इन सभी आयामों पर महत्वपूर्ण काम किया है। लोकार्पित प्रकल्प ग्राम दर्शन के बारे में उन्होने कहा कि यह हमारे विद्यार्थियों की रचनात्मक सक्रियता का जीवन्त प्रमाण है। ग्राम दर्शन हमारे लिए प्रदर्शन नहीं आत्मदर्शन है। प्रगति और विस्तार के क्रम में कुलगुरू प्रो0 मिश्रा ने विश्वविद्यालय में प्रारम्भ किए जा रहे  नवीन पाठ्यक्रमों, सृजित हो रही नवीन संरचनाओ, विद्यार्थियों और छात्रों की उपलब्धियों तथा विश्वविद्यालय की भावी योजनाओं पर प्रकाश डाला।
  चित्रकूट में रामलला
ग्रामोदय विश्वविद्यालय में आयोजित दीक्षांत समारोह में कुलगुरू प्रो0 भरत मिश्रा ने कुलाधिपति एवं उच्च शिक्षा मंत्री को स्मृति चिन्ह के रूप में रामलला की अतिसुन्दर प्रतिमा भेंट की। मंच पर ही ललितकला के छात्रों ने अतिथि द्वय को उनके प्रोटेट आकार के रंगीन चित्र भेंट किए जिसकी सराहना की गई। इस अवसर पर अतिथियों का स्वागत पुष्प गुच्छ और शाल श्रीफल से हुआ। कार्यक्रम का प्रारम्भ राष्ट्रगीत और कुलगीत से हुआ।
 प्रकाशनों की पंचवटी
दीक्षांत समारोह के अवसर पर विश्वविद्यालय के मुख पत्र ग्रामोदय संदेश की प्रतियों का वितरण किया गया। जिसमें विश्वविद्यालय की हाल की गतिविधियों को सुरूचिपूर्ण ढंग से प्रस्तुत किया गया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के शिक्षक डॉ0 रमेश चन्द्र त्रिपाठी, डॉ0 जय शंकर मिश्र, डॉ0 उमाशंकर मिश्रा, डॉ0 राकेश श्रीवास्तत, डॉ0 उमेश शुक्ला और डॉ0 अभय कुमार वर्मा की पुस्तकों का विमोचन भी सम्पन्न हुआ।
दीक्षांत शोभा यात्रा ने मन मोहा
दीक्षांत परम्परा के अनुसार शोभा यात्रा का आयोजन किया गया। शोभा यात्रा का नेतृत्व मंच पर जाते समय कुलसचिव नीरजा नामदेव ने किया। साथ में प्रबन्ध मण्डल और विद्यापरिषद के समस्यगणों के साथ संकाय अधिष्ठाता भी सहभागी रहे। भारतीय परम्परागत वेशभूषा में सजे अतिथियों से शोभायात्रा की रौनक देखते ही बनती थी। रंगीन केसरिया साफा, कुर्ता पायजामा में जैसे भारतीय संस्कृति जीवंत हो उठी।
  ग्रामदर्शन का लोकार्पण
परिसर में प्रवेश के साथ ही राज्यपाल मंगुभाई पटेल एवं उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने ग्रामोदय से राष्ट्रोदय की थीम पर आधारित ग्रामदर्शन प्रकल्प और कृषि प्रौद्योगिकी सूचना केन्द्र ‘‘महर्षि पाराशर भवन’’ का लोकार्पण किया।
गॉंधी जी एवं नानाजी को दी श्रद्धांजलि
तत्पश्चात विश्वविद्यालय के शाश्वत प्रेरणा स्रोत राष्ट्रपति महात्मा गांधी और ग्रामोदय विश्वविद्यालय के परिकल्पक, संस्थापक, प्रथम कुलाधिपति भारतरत्न श्री नानाजी देशमुख की प्रतिमाओं पर माल्यापर्ण कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
नानाजी के व्यक्तित्व और कृतित्व पर लगाई गई चित्रों की प्रदर्शनी
इसी परिसर में नानाजी के व्यक्तित्व और कृतित्व पर लगाई गई चित्रों की प्रदर्शनी, परम्परागत संचार के महत्व पर केन्द्रित कठपुतली प्रदर्शनी, लुप्त प्राय वाद्य यंत्रों की प्रदर्शनी का शुभारम्भ कर अवलोकन भी किया। इस अवसर पर लोक संस्कृति को दर्शाने वाले लोकनृत्यों के माध्यम से अतिथिगणों का स्वागत किया गया।
      ग्राम दर्शन प्रकल्प मे राज्यपाल और उच्च शिक्षा मंत्री ने प्रदर्शनी, कठपुतली, लोक नृत्य को रुचि पूर्वक देखा और प्रशंसा की
     चित्रकूट। महात्मा गांधी चित्रकूट  विश्वविद्यालय में गत दिवस आयोजित  दीक्षांत समारोह में आए प्रदेश के महामहिम राज्यपाल  मंगु भाई पटेल और उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह पटेल तथा दीन दयाल शोध संस्थान के संगठन सचिव अभय महाजन तथा कुलगुरु प्रो भरत मिश्रा ने ग्राम दर्शन प्रकल्प में प्रदर्शनी , कठपुतली और लोक नृत्य को रुचि पूर्वक देखा और प्रशंसा की।
      आई.टी.ई.पी. पाठ्यक्रम के छात्र-छात्राओं द्वारा निर्मित कठपुतली के नृत्य की सराहना करते हुए महामहिम राज्यपाल  मंगु भाई पटेल  ने आवाहन किया कि भारत की इस प्राचीन सांस्कृतिक विधा के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों के  लोगों को शिक्षित किया जाय।
       इस मौके पर डॉ नीलमा सिंह परिहार ने कठपुतली निर्माण प्रक्रिया को बताया। महामहिम ने युगानुकुल समाज शिल्पी नाना जी देशमुख के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर डा अभय कुमार वर्मा द्वारा संयोजित प्रदर्शनी में चित्रो को सराहा। ग्राम दर्शन प्रकल्प मे ग्राम्य आधारित विभिन्न मूर्ति शिल्प एवं वुड कार्विन्ग द्वारा प्राकृतिक बैठक व्यवस्था आकर्षण का केन्द्र रही। अतिथि गणों ने दादू राम के नेतृत्व में प्रस्तुत आदिवासी नृत्य की सराहना करते हुए इस विधा की जीवंत बनाएं रखने पर जोर दिया। उल्लेखनीय है कुलगुरु प्रो भरत मिश्रा द्वारा परिकल्पित ग्राम दर्शन प्रकल्प में ग्रामोदय विश्वविद्यालय के वैशिस्ट्य को विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से प्रदर्शित किया गया था। ललित कला, संगीत आदि विधाओ को इसमें शामिल किया गया था। दीक्षांत समारोह मंच से विमोचित की गई ग्रामोदय के शिक्षकों की पुस्तकों की प्रतिया ग्राम दर्शन प्रदर्शिनी में रखी गई थी।