अकबरनगर ध्वस्तीकरण मामला: हाईकोर्ट का आदेश, 31 मार्च तक निवासी खाली करें परिसर

हाईकोर्ट ने अफसरों को भी 31 मार्च तक पुनर्वास का काम पूरा करने का  आदेश दिया। कहा कि कोर्ट की शरण में न आने वालों को भी मिले पुनर्वास योजना का लाभ।

हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने बुधवार को अकबरनगर में ध्वस्तीकरण के खिलाफ गरीब तबके के सैकड़ों कब्जेदारों की दाखिल 74 याचिकाओं व अर्जियों को निर्देशों के साथ निस्तारित कर दिया। कोर्ट ने आदेश दिया कि अकबरनगर 1 व 2 के सभी निवासी वहां के विवादित परिसरों की 31 मार्च की मध्यरात्रि के पहले खाली कर दें। इसके बाद पक्षकार अफसर इन परिसरों को खाली करवा सकेंगे।

कोर्ट ने कहा, अकबरनगर के ईडब्ल्यूएस वर्ग के पुनर्वासित किए जा रहे सभी आवेदकों को आवास मुहैया कराए जाएंगे। कोर्ट ने पाया कि ये आवेदक आर्थिक तंगी का सामना कर सकते हैं। लिहाजा इनके लिए पंजीकरण धनराशि 5 हजार के बजाय 1 हजार रुपये किया जाए। ईडब्ल्यूएस वर्ग का फ्लैट मिलने के बाद अगर निर्धारित किस्तों का भुगतान 10 वर्ष में करने में आर्थिक समस्या हो, तो भुगतान की अवधि अधिकतम 5 साल के लिए और बढ़ा दी जाएगी। इसके बावजूद अगर किसी ईडब्ल्यूएस आवंटी को किस्तें अदा करने में दिक्कत आए, तो वह मुख्यमंत्री को इसके लिए अर्जी दे सकेगा। सीएम अर्जी पर गौर कर मुख्यमंत्री लाभार्थी कोष या अन्य किसी कोष अथवा योजना के तहत उस पात्र व्यक्ति को राहत दे सकेंगे।

कोर्ट ने पुनर्वास योजना का लाभ अकबर नगर के उन निवासियों को भी देने को कहा है, जो कोर्ट की शरण में नहीं आए हैं। आदेश में कहा कि याची व अन्य लोग पुनर्वास योजना की अर्जियां दो हफ्ते में दे सकते हैं। साथ ही पक्षकार अफसर भी इन अर्जियों पर फ्लैटों का आवंटन आदि का कार्य 31 मार्च तक हर हाल में पूरा कर लें।

न्यायमूर्ति विवेक चौधरी और न्यायमूर्ति ओम प्रकाश शुक्ल की खंडपीठ ने मामले में अकबर नगर के राजू साहू समेत अन्य सैकड़ों गरीब और कमजोर आर्थिक वर्ग के याचियों की याचिकाओं व अर्जियों पर फाइनल सुनवाई पूरी कर यह फैसला व आदेश दिया।इन याचिकाओं और अर्जियों में अकबर नगर स्लम में उनके आवासीय परिसर ढहाने की कारवाई को चुनौती दी गई थी। बीपीएल वर्ग में वाले इन याचियों के मामले में बीती 26 फरवरी को कोर्ट ने निर्णय सुरक्षित कर लिया था। पहले कोर्ट ने बीती 27 फरवरी को अकबर नगर के करदाता याचियों के मामले में कोर्ट ने उनकी 24 याचिकाओं को खारिज कर दिया था। याचियों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता जयदीप नारायण माथुर व अन्य वकीलों ने बहस की। उधर, राज्य सरकार की ओर से मुख्य स्थायी अधिवक्ता शैलेंद्र कुमार सिंह, एलडीए और नगर निगम के वकील पेश हुए।