शरद पवार और नरेंद्र मोदी जब जब मिलते हैं देश की राजनीति गर्म हो जाती रही है. इस बार की मुलाकात को भी हम सामान्य नहीं मान सकते हैं. दोनों को एक दूसरे की जरूरत है. और गिव एंड टेक वाली दोस्ती काफी मजबूत होती है. देखिए अब आगे क्या होता है?
नई दिल्ली
महाराष्ट्र की राजनीति के चाणक्य रह चुके शरद पवार को हल्के में न विपक्ष लेता है और न ही सत्ता पक्ष. हाल तक कई बार सीधे नरेंद्र मोदी को टार्गेट करते रहे पवार बुधवार को अचानक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने संसद में पहुंच गए. उनके साथ महाराष्ट्र के कुछ किसान भी थे.
अभी कुछ दिनों पहले ही पवार ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर फरवरी में राष्ट्रीय राजधानी के तालकटोरा स्टेडियम में आयोजित होने वाले 98वें मराठी साहित्य सम्मेलन का उद्घाटन करने के लिए आमंत्रित किया था. पर इस बार की मुलाकात का मकसद साहित्य सम्मेलन से नहीं था.
क्यों कि शरद पवार ने इस खुद माना. शरद पवार ने सतारा और फलटण के अनार किसानों के साथ प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात की. इस दौरान उन्होंने पीएम मोदी को अनार भेंट किए. हालांकि शरद पवार ने कहा कि बैठक में कोई राजनीतिक चर्चा नहीं हुई पर ये बात राजनीतिक लोगों को हजम नहीं हुई है. जाहिर है कि कई तरह की कयासबाजी लगनी शुरू हो गई है.
1-क्या शरद पवार का समर्थन चाहते हैं मोदी…..
एनसीपी ( शरद पवार ) के पास इस समय महाराष्ट्र में 10 विधायक हैं और करीब 8 सांसद हैं. जिस तरह केंद्र सरकार को अपने कई विधेयक संसद में पास कराने हैं उसके लिए शरद पवार जैसे लोगों की बहुत जरूरत होगी. हालांकि एक देश एक चुनाव मुद्दे पर शरद पवार की पार्टी ने पहले समर्थन देने से मना किया था. पर इस मुलाकात के बाद हो सकता है कि किसी न किसी बहाने शरद पवार केंद्र के इस विधेयक को समर्थन देने को तैयार हो जाएं. इसके साथ ही विपक्ष के और दलों को भी शरद पवार केंद्र के समर्थन के लिए राजी कर सकते हैं.
2-क्या किसान आंदोलन को खत्म करवाने में पवार की मदद चाहते हैं मोदी…..
चूंकि शरद पवार जब बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिल रहे थे तो उनके साथ महाराष्ट्र के किसान भी थे. किसान आंदोलन का मामला पंजाब में ही नहीं महाराष्ट्र में भी बेहद पेचीदा होता जा रहा है. हर रोज किसान अपने आंदोलन को बढ़ा रहे हैं. केंद्र सरकार , हरियाणा सरकार के कई मजबूत लोगों को किसान आंदोलन को रोकने के लिए लगाया गया पर बात नहीं बनी. हो सकता है कि सरकार चाहती हो कि शरद पवार किसानों के मनाने के लिए कोई बीच का रास्ता निकालें. दरअसल पवार देश के कृषि मंत्री भी रह चुके हैं और तमाम किसान संगठनों के साथ उनके बहुत अच्छे रिश्ते हैं.
इसके साथ ही विपक्ष में भी उनकी बातों पर गौर किया जाता है. पवार ने न केवल पीएम मोदी से मुलाकात की बल्कि वो जगदीप धनखड़ से भी मिलने गए. अभी कुछ दिन पहले ही किसानों की एक सभा में धनखड़ ने शिवराज सिंह चौहान से मुखातिब होते हुए किसानों की समस्याओं के समाधान की बात की थी. जिस तरह सरकार के हाथ से किसान आंदोलन निकल चुका है उसे पटरी पर शरद पवार जैसे लोग ही ला सकते हैं. किसानों पर बल प्रयोग करने ये काम कभी नहीं हो सकेगा. ये बाद मोदी सरकार बहुत पहले से जानती है.
3-अजीत पवार और एकनाथ शिंदे को कंट्रोल में रखने की रणनीति है……
महाराष्ट्र की देवेंद्र फ़डणवीस सरकार पर अजित पवार और एकनाथ शिंदे के रूप में राहु और केतु बैठे हुए हैं. इनमें से किसी के भी प्रभावी होने के बाद बीजेपी के सामने मुश्किल आ सकती है. बीजेपी के पास 132 सीट है. महाराष्ट्र में सरकार चलाने के लिए 145 विधायकों की जरूरत होगी. शरद पवार के पास इस समय 10 ही विधायक हैं . ये संख्या बीजेपी को बहुमत दिलाने के लिए पर्याप्त के बहुत नजदीक है. इसलिए भी बीजेपी का शरद पवार से अच्छे संबंध बनाए रखना जरूरी हो जाता है. शरद पवार से संबंध अच्छे रहने भर से ही सरकार में शामिल दोनों सहयोगी कंट्रोल में रहेंगे.
4-इंडिया गठबंधन में दरा्र डालने का काम….
सरकार सुचारू रूप से चलते रहे इसके लिए बहुत जरूरी होता है कि विपक्ष हमेशा खंडित रहे. जैसे शीतकालीन सत्र में ही इंडिया गठबंधन में अडानी मुद्दे को लेकर समाजवादी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस आदि कांग्रेस से किनारा कर लिया. विपक्ष जितना कमजोर रहेगा अल्पमत वाली मोदी सरकार उतना ही सुचारु ढंग से सरकार चलाती रहेगी. शरद पवार को साथ लेकर बीजेपी इंडिया गठबंधन में दरार डालने का भी काम कर सकती है.