US J-1 Visa: अमेरिका में स्थायी रूप से रहने के लिए ग्रीन कार्ड की जरूरत पड़ती है। इसे पाना काफी ज्यादा मुश्किल होता है, लेकिन कुछ खास वीजा कैटेगरी ऐसी हैं, जिनके लिए ग्रीन कार्ड पाना आसान होता है। सरकार हमेशा ही नियमों में बदलाव करती रहती है, ताकि अलग-अलग वीजा कैटेगरी के लोगों को ग्रीन कार्ड मिल पाए।
अमेरिका में नौकरी करने की सोच रहे भारतीयों के लिए एक और रास्ता खुल चुका है। अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने J-1 वीजा के नियमों में बड़ा बदलाव किया है। वीजा नियमों में अपडेट के बाद अब भारत, चीन, दक्षिण कोरिया, सऊदी अरब और UAE समेत 34 देशों के लोगों को दो साल के लिए अपने देश जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। आसान भाषा में कहें तो अगर आपका J-1 वीजा पर अमेरिका आए हैं, तो अब आपको अपने देश लौटने के बजाय यहां नौकरी करने का ऑप्शन मिलेगा।
हालांकि, नए वीजा नियम उन J-1 वीजा होल्डर्स पर लागू नहीं होते हैं, जो सरकारी फंडिंग या ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन प्रोग्राम के जरिए अमेरिका आए हैं। सरकार की तरफ से ‘एक्सचेंज विजिटर्स स्किल लिस्ट’ में बदलाव किया गया है, जिसके बाद J-1 वीजा होल्डर्स H-1B वीजा हासिल कर सकते हैं और ग्रीन कार्ड के लिए भी अप्लाई कर सकते हैं। पिछले 15 सालों में पहली बार लिस्ट में बदलाव किया गया है। आइए जानते हैं कि किस तरह से नए नियम भारतीयों को फायदा पहुंचाने वाले हैं।
क्या है एक्सचेंज विजिटर्स स्किल लिस्ट?
एक्सचेंज विजिटर्स स्किल लिस्ट उन देशों और उनकी खास फील्ड के बारे में बताती है, जो उनके देश के विकास के लिए जरूरी है। पहले लिस्ट में शामिल देशों के J-1 वीजा होल्डर्स को अपने प्रोग्राम को पूरा करने के बाद दो साल के लिए अपने देश जाना पड़ता था। हालांकि, नए बदलावों के बाद अब सिर्फ 27 ऐसे देश बचे हैं, जिनके J-1 वीजा होल्डर्स को दो साल के लिए अपने देश जाना होगा। ये बदलाव दुनिया के आर्थिक और विकास के रुझानों को बताते हैं। किसी देश को निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखकर लिस्ट से हटाया जाता है
प्रति व्यक्ति जीडीपी: जिन देशों में लोगों की आमदनी ज्यादा है, उन्हें अब इस लिस्ट में रखने की जरूरत नहीं है।
देश का आकार: बड़े देशों को लेकर माना जाता है, उनके पास अपने टैलेंट को निखारने के ज्यादा संसाधन है।
माइग्रेशन ट्रेंड: जिन देशों से ज्यादा लोग दूसरे देशों में जाते हैं, उनके लिए भी लौटने की शर्तें हटा दी जाती हैं।
आर्थिक विकास: टेक्नोलॉजी, एजुकेशन और हेल्थकेयर में अच्छे सुधार की वजह से देशों को लिस्ट से हटाया जाता है।
यही वजह है कि भारत और चीन जैसे देशों को आर्थिक विकास और शिक्षा में तरक्की की वजह से इस लिस्ट से हटाया गया है। दूसरी तरफ, फिलीपींस जैसे देशों को अभी भी कुछ खास जरूरतों के चलते इस लिस्ट में रखा गया है।
J-1 वीजा होल्डर्स को क्या फायदा होगा?
अमेरिका में J-1 वीजा पर गए भारतीय लोग अब अमेरिका में नौकरी करने और स्थायी रूप से रहने के बारे में सोच सकते हैं। उन्हें पहले अपने देश लौटने के बारे में सोचने की जरूरत नहीं पड़ेगी। J-1 वीजा होल्डर्स H-1B वीजा जैसे वीजा को हासिल कर सकते हैं या ग्रीन कार्ड के लिए भी अप्लाई कर सकते हैं। ये बदलाव खासतौर पर भारतीय रिसर्चर्स, फिजिशियन और ट्रेनी लोगों के लिए काफी अहम है, क्योंकि अब उन सभी बाधाओं को हटा दिया गया है, जिनकी वजह से अमेरिका में नौकरी मिलना मुश्किल था।
वहीं, नए बदलाव की वजह से अमेरिकी कंपनियों को भी फायदा होने वाला है, क्योंकि अब उनके पास STEM, हेल्थकेयर और इंजीनियरिंग फील्ड के स्किल प्रोफेशनल्स की ज्यादा संख्या होगी, जिनमें से वह सही कैंडिडेट चुन पाएं। रिसर्च संस्थान और यूनिवर्सिटी J-1 वीजा होल्डर्स को बिना किसी लॉटरी के H-1B वीजा दे सकते हैं। इस तरह एक तरफ भारतीयों को तो अमेरिका में नौकरी के ज्यादा अवसर मिलेंगे। दूसरी तरफ अब अमेरिकी कंपनी भी नए बदलाव से फायदा उठा पाएंगी।
J-1 वीजा क्या होता है?
अमेरिकी सरकार की तरफ से J-1 वीजा उन लोगों को दिया जाता है, जो एक्सचेंज प्रोग्राम में हिस्सा लेने आते हैं। इन प्रोग्राम का मकसद सांस्कृतिक और शैक्षिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देना है। ये प्रोग्राम आमतौर पर अमेरिकी विदेश विभाग के जरिए मान्यता प्राप्त संस्थान या सरकारी एजेंसियों द्वारा चलाए जाते हैं। इस वीजा का मकसद अमेरिका और दूसरे देशों के बीच आपसी समझ को बढ़ावा देना है। साथ ही लोग अमेरिका आकर नई स्किल सीखते हैं और फिर अपने देश में उसका इस्तेमाल करते हैं। J-1 वीजा कई कैटेगरी में दिया जाता है, जिसमें रिसर्च स्कॉलर्स और प्रोफेसर्स; स्टूडेंट्स; इंटर्न और ट्रेनी; फिजिशियन; ऑ पेयर्स और कैंप काउंसलर्स।