संजय मल्होत्रा, 1990 बैच के राजस्थान कैडर के भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी हैं. उन्होंने आईआईटी कानपुर से कंप्यूटर साइंस में इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की.
नई दिल्ली. सरकार ने राजस्व सचिव संजय मल्होत्रा को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) का अगला गवर्नर नियुक्त किया है. वे शक्तिकांत दास का स्थान लेंगे, जिनका दूसरा कार्यकाल कल यानी मंगलवार (10 दिसंबर, 2024) को समाप्त हो रहा है. संजय मल्होत्रा आरबीआई के 26वें गवर्नर होंगे. मल्होत्रा, वर्तमान में वित्त मंत्रालय में राजस्व सचिव के रूप में कार्यरत हैं और 11 दिसंबर से तीन साल के कार्यकाल के लिए भारतीय रिजर्व बैंक का प्रभार संभालेंगे. देश के बैंकिंग सेक्टर को मजबूती प्रदान करने और टैक्स कलेक्शन बढ़ाने तथा फाइनेंस सेक्टर में मल्होत्रा के लंबे अनुभव को देखते हुए सरकार ने उन्हें भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर जैसा महत्वपूर्ण पद सौंपा है.
संजय मल्होत्रा, 1990 बैच के राजस्थान कैडर के भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी हैं. उन्होंने आईआईटी कानपुर से कंप्यूटर साइंस में इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की. इसके बाद अमेरिका की प्रिंसटन यूनिवर्सिटी से पब्लिक पॉलिसी में पोस्ट ग्रेजुएशन किया. फाइनेंस के मामलों में मल्होत्रा को सुधारवादी और मजबूत काम करने वाले अफसरों में गिना जाता है. उन्हें राजस्थान के लगभग सभी विभागों में काम करने का अनुभव है. उनके बारे में मशहूर है कि वे किसी भी मुद्दे पर काम करने से पहले उस पर जमकर रिसर्च करते हैं. ऐसे में उनकी बात और विचार का गहरा असर हर मीटिंग में देखा जाता है.
वित्तीय सुधारों को आगे बढ़ाने में निभाई अहम भूमिका
संजय मल्होत्रा के पास वित्त, ऊर्जा, आईटी, टैक्सेशन और खनन समेत अलग-अलग सेक्टर में काम करने का 33 साल से अधिक का अनुभव है. वे केंद्र और राज्य, दोनों जगहों पर कई महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभा चुके हैं. दिसंबर 2022 में रेवेन्यू सेक्रेटरी के रूप में नियुक्ति से पहले वह फाइनेंस सर्विस डिपार्टमेंट में सेक्रेटरी थे. संजय मल्होत्रा की गिनती सरकार के विश्वासपात्र नौकरशाह में होती है. देश में वित्तीय सुधारों को आगे बढ़ाने में उन्होंने अहम भूमिका निभाई है. उन्होंने विद्युत मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव के रूप में भी काम किया. वहां उन्होंने 3 लाख करोड़ रुपये के पावर डिस्ट्रिब्यूशन रिफॉर्म को लागू करने में अहम भूमिका निभाई.
संजय मल्होत्रा जीएसटी परिषद के पदेन सचिव हैं. टैक्स कलेक्शन में हालिया उछाल को हासिल करने में उन्होंने महत्वपूर्ण अहम रोल अदा किया है. मल्होत्रा ने राष्ट्रीय कर प्रणाली की अखंडता को बनाए रखते हुए राज्यों की परस्पर विरोधी राजकोषीय अपेक्षाओं को अच्छे ढंग से संतुलित किया. करों के अलावा, मल्होत्रा ने सरकार के गैर-कर राजस्व स्रोतों जैसे ऋण पर ब्याज से आय, सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों (पीएसयू) से लाभांश और सेवा शुल्क आदि से राजस्व बढ़ाने के लिए भी खूब काम किया.