जी-20 के समक्ष मुद्दे: गरीबी एवं जलवायु परिवर्तन की समस्या से तत्काल निपटना चाहिए

 रियो डी जनेरियो में हाल ही में संपन्न हुए जी-20 शिखर सम्मेलन में वैश्विक स्तर पर भूख एवं गरीबी से निपटने और जलवायु न्याय को बढ़ावा देने को लक्ष्य घोषित किया गया। ब्राजील के राष्ट्रपति लूला डा सिल्वा ने गरीबी को “मानवता को शर्मसार करने वाला अभिशाप” कहा और सम्मेलन में एकत्रित राष्ट्रों से 200 मिलियन अमेरिकी डॉलर से ज्यादा का राजस्व सृजित करने के लिए दुनिया के सबसे अमीर लोगों पर दो फीसदी का संपत्ति कर जैसे कदमों का इस्तेमाल करके ‘अकूत धनवानों’ (सुपर-रिच) पर कर लगाने जैसी नीतियों को लागू करने का आहवान किया। लेकिन जी-20 की घोषणा इससे पीछे रही।

अरुण कुमार सिंह (संपादक)

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी इस तथ्य को रेखांकित किया कि दुनिया की समस्याओं को ‘ग्लोबल साउथ’ द्वारा सबसे ज्यादा तीव्रता से महसूस किया जाता है और लिहाजा, वैश्विक प्रशासन की बागडोर उनके हाथों में होनी चाहिए जो दुनिया के व्यापक बहुमत की नुमाइंदगी करते हैं। सन् 2022 में इंडोनेशिया और 2023 में भारत के बाद, ब्राजील जी-20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी करने वाला ग्लोबल साउथ का तीसरा देश था। जी-20 का अगला शिखर सम्मेलन दक्षिण अफ़्रीका में होना है। ब्राजील शिखर सम्मेलन में गरीब व उभरती अर्थव्यवस्थाओं की समस्याओं के समाधान पर ध्यान केंद्रित किये जाने की उम्मीद थी।

हालांकि, दुनिया के दूसरी अन्य समस्याओं से जूझने के मद्देनजर इस सम्मेलन के आयोजन के समय ने इस बड़े हित को फीका और फोकस को छिन्न-भिन्न कर दिया। इजराइल पर 7 अक्टूबर के हमले और गाजा तथा लेबनान के खिलाफ उसके प्रतिशोध के बाद यह पहला जी-20 शिखर सम्मेलन था। यूक्रेन पर रूस के हमले ने बाली और नई दिल्ली में आम सहमति बनाना पहले से ही काफी मुश्किल बना दिया था। दोनों संघर्षों के संबंध में ध्रुवीकृत नजरिए के गहरा होने के साथ, जी-20 की घोषणा को कमजोर बना दिया गया। इस घोषणा में गाजा में मानवीय स्थिति पर सिर्फ “गहरी चिंता” व्यक्त की गई और “वैश्विक स्तर पर भोजन और ऊर्जा सुरक्षा के संबंध में पीड़ा …” को रेखांकित करते हुए रूस से जुड़े सभी संदर्भ हटा दिए गए। इसमें संघर्षों को खत्म करने के बारे में कोई बारीक ब्यौरा नहीं था।

जी-20 के आयोजन का समय अजरबैजान में आयोजित सीओपी 29 के करीब रखे जाने से इस बात का संकेत मिला था कि विकासशील दुनिया द्वारा उठाए गए जलवायु वित्तपोषण और जलवायु न्याय के मुद्दे को जी-20 की घोषणाओं में जगह मिलेगी और फिर इन घोषणाओं का समावेश सीओपी की प्रक्रिया में होगा। ब्राजील 2025 में सीओपी की मेजबानी करेगा। हालांकि, यह शिखर सम्मेलन अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव परिणामों के ठीक बाद हुआ और उस पर इस चुनाव की छाया पड़ी।

डोनाल्ड ट्रम्प के पहले कार्यकाल के दौरान उनके कदमों को देखते हुए, यह साफ है कि वह ‘ग्लोबल साउथ’ की आकांक्षाओं पर ज्यादा ध्यान नहीं देंगे। न ही उनकी तरफ से ग्लोबल वार्मिंग से निपटने या जीवाश्म ईंधन के दोहन को कम करने के लिए अमेरिका के द्वारा अपेक्षित संसाधनों को खर्च किए जाने की संभावना है। उनके मंत्रिमंडल में जलवायु से संबंधित समस्याओं से इनकार करने वाले लोग हैं और उनके खुद के प्रचार अभियान का नारा था “ड्रिल, बेबी, ड्रिल”।

इन आशंकाओं के मद्देनजर, ग्लोबल साउथ और इंडोनेशिया-भारत-ब्राजील-दक्षिण अफ्रीका की चौकड़ी को यह सुनिश्चित करना होगा कि अगला जी-20 सम्मेलन विकासशील दुनिया की चिंताओं को दूर करने और गरीबी एवं भुखमरी, जलवायु परिवर्तन तथा वैश्विक शासन के संबंध में भविष्य के लिए एक रास्ता निर्धारित करने में समर्थ हो। सन् 2026 में, चूंकि जी-20 का शिखर सम्मेलन वापस संयुक्त राज्य अमेरिका में होगा, लिहाजा इसकी समय सीमा बेहद महत्वपूर्ण हो गई है।