ट्रूडो, खालिस्तान और कनाडा में मंदिरों पर हमले को लेकर पंजाब की  आम आदमी पार्टी सरकार खामोश क्यों है ?

     भारत कनाडा विवाद लगातार गहराता जा रहा है. अब वहां हिंदू-सिख दंगे भी कराने की कोशिश हो रही है. ऐसे समय में पंजाब सरकार का रोल बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है. पर भगवंत मान सरकार ने जिस तरह की चुप्पी ओढ़ रखी है वो बहुत गंभीर है.
अरुण कुमार सिंह (संपादक)
       पंजाब में सत्ताधारी आम आदमी पार्टी सरकार पर खालिस्तानियों को अपरोक्ष रूप से सपोर्ट करने का आरोप लगते रहे हैं. पर जिस तरह पंजाब सरकार लगातार कनाडा में खालिस्तानियों को लेकर हुई घटनाओं पर आंख मूंदे हुए है वो उन आरोपों की पुष्टि कर रहे हैं जो अब तक उन पर लगता रहा है. पंजाब सरकार भारत-कनाडा विवाद पर टिप्पणी करने से इनकार करती रही है.
      अब भारत और कनाडा को लेकर लगातार माहौल खराब हो रहा के बावजूद पंजाब सरकार की रहस्यमय चुप्पी समझ से परे है. जबकि पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार से पहले कैप्टन अमरिंदर सिंह की कांग्रेस सरकार ने इस तरह कभी भी कट्टरपंथियों के आगे हाथ नहीं डाले थे. पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने अभी तक इस मुद्दे पर कोई बयान नहीं दिया है. कनाडा में निज्जर हत्याकांड के बाद वहां के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो जिस तरह से अपनी राजनीति चमकाने के नाम पर लगातार भारत को टार्गेट कर रहे हैं, जिस तरह वहां हिंदुओं को बार-बार खालिस्तानी उग्रवादी टार्गेट कर रहे हैं उसके चलते एक बार फिर पंजाब अशांति की ओर जा सकता है. पिछले महीने इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक खबर की माने तो पंजाब सरकार के कुछ मंत्रियों ने इस पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया, हालांकि एक ने कहा कि पार्टी ने इस मुद्दे पर अपना रुख स्पष्ट नहीं किया है.
        एक अन्य आप नेता ने अपना नाम न बताने की शर्त पर बताया कि हम देश की संप्रभुता, एकता और सुरक्षा के लिए खड़े हैं. भारत ने प्रतिक्रिया देकर सही किया है. हमें पता है कि ट्रूडो ऐसा क्यों कर रहे हैं. वो घरेलू मोर्चे पर लगातार फेल हो रहे हैं. बेरोजगारी, स्वास्थ्य सेवा और कनाडा में बढ़ती अपराध दर जैसे मुद्दों पर कुछ नहीं कर सकने के चलते वो एक समुदाय को संतुष्ट करने की कोशिश कर रहे हैं. आप नेता ने कहा उनकी पार्टी केंद्र के कनाडाई राजनयिकों को निष्कासित करने के निर्णय के साथ खड़ी है. पर कोई भी खुलकर बोलने को नहीं तैयार है. यही कारण है कि अरविंद केजरीवाल पर खालिस्तानी आतंकवादियों से सांठगाठ के कवि कुमार विश्वास से लेकर आतंकवादी गुरुपतवंत पन्नू तक के आरोप सही लगने लगते हैं.
  कनाडा विवाद पर AAP सरकार मुंह छुपा रही है
       पिछले साल सितंबर में जब दोनों देशों के बीच संबंध पहली बार तनावपूर्ण हुए थे और कनाडाई संसद में ट्रूडो ने यह दावा किया था कि भारत का जून 2023 में सरे में हुई निज्जर की हत्या में हाथ था. तब मान को विपक्ष ने इस मुद्दे पर चुप्पी साधने के लिए आलोचना का सामना करना पड़ा था. पर इस बीच जब मामला और गंभीर होता जा रहा है तब भी पंजाब सरकार की चुप्पी संदेहास्पद होती जा रही है. AAP सरकार की चुप्पी पर पंजाब विधानसभा में विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा ने इसे लेकर पार्टी पर निशाना साधा था कि पार्टी ने कनाडा विवाद पर एक शब्द भी नहीं कहा. कांग्रेस नेता सुखपाल सिंह खैरा ने मुख्यमंत्री से सवाल किया था कि मान दावा करते हैं कि वह पंजाब के 3 करोड़ लोगों का प्रतिनिधित्व करते हैं, लेकिन उन्होंने इस मुद्दे पर एक शब्द भी नहीं कहा, जो कनाडा में रहने वाले लाखों पंजाबी, खासकर युवाओं को प्रभावित करता है.
      माना जाता है कि AAP को NRI समुदाय का समर्थन प्राप्त है. 2017 के विधानसभा चुनावों के प्रचार में बड़ी संख्या में प्रवासी समुदाय के लोगों ने पंजाब में आकर पार्टी को बैकअप दिया था. हालांकि, उस समय AAP चुनाव हार गई थी, केवल 117 में से 20 सीटें जीत पाई थी. 2022 में, AAP ने फिर से चुनाव लड़ा और 91 सीटें जीतकर सत्ता में आई, जिसमें फिर से NRI समुदाय का समर्थन मिला था.कहा गया कि AAP को समर्थन देने वालों में अधिकतर खालिस्तानियों के समर्थक हैं. तो क्या इस जनसमर्थन के चलते आम आदमी पार्टी के नेता कनाडा विवाद पर कुछ भी बोल नहीं रहे हैं.
अरविंद केजरीवाल पर लगे हैं गंभीर आरोप
     कुछ दिनों पहले अलगाववादी गुरपतवंत सिंह पन्नू ने एक वीडियो जारी करते हुए आरोप लगाया था कि केजरीवाल के नेतृत्व में आम आदमी पार्टी को 2014 से 2022 के बीच अलगाववादी समूहों से 16 मिलियन अमेरिकी डॉलर मिले. इस विडियो के बाद एक शिकायतकर्ता ने आम आदमी पार्टी के पूर्व कार्यकर्ता डॉ. मुनीश रायजादा की कुछ सोशल मीडिया पोस्ट भी साझा की.एलजी को मिली शिकायत में आरोप लगाया गया था कि राष्ट्रीय संयोजक के रूप में केजरीवाल ने आम आदमी पार्टी के लिए प्रतिबंधित आतंकी संगठन सिख फॉर जस्टिस से फंड लिए.
     एलजी ऑफिस के अनुसार, 1 अप्रैल 2024 को वर्ल्ड हिंदू फेडरेशन ऑफ इंडिया नाम की संस्था के राष्ट्रीय महासचिव आशु मोंगिया ने एलजी को लिखित शिकायत दी. उन्होंने आम आदमी पार्टी को मिले फंड्स और उनके स्रोत की गहन जांच कराने की मांग की थी.एलजी को मिली शिकायत में दावा किया गया था कि केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी को चरमपंथी अलगाववादी समूहों से 16 मिलियन अमेरिकी डॉलर (लगभग 130 करोड़ रुपये) की भारी धनराशि मिली थी. एलजी ने अपनी सिफारिश में कहा कि चूंकि शिकायत एक मुख्यमंत्री के खिलाफ की गई है और एक प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन से मिली राजनीतिक फंडिंग से संबंधित है. ऐसे में शिकायतकर्ता की ओर से दिए गए इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्यों की फॉरेंसिक जांच समेत अन्य स्तरों पर भी गहन जांच की जरूरत है.
        एलजी की मंजूरी से उनके प्रधान सचिव ने 3 मई को केंद्रीय गृह सचिव को पत्र लिखा.इसमें उन्हें यह कंप्लेंट फारवर्ड की गई और बताया कि एलजी ने इस मामले में एनआईए से जांच कराने की सिफारिश की है.  एलजी ने जनवरी 2014 में केजरीवाल की ओर से एक्टिविस्ट इकबाल सिंह को लिखे गए पत्र का भी हवाला दिया है. इसमें केजरीवाल ने उनके जरिए उठाए गए सिखों से जुड़े मुद्दों के प्रति अपनी सहानुभूति व्यक्त करते हुए कहा था कि उनकी सरकार पहले ही राष्ट्रपति से भुल्लर की रिहाई की सिफारिश कर चुकी है.  हालांकि आम आदमी पार्टी नेता और दिल्ली सरकार में मंत्री सौरभ भारद्वाज ने सोशल मीडिया पर लिखा कि एलजी साहब चुनाव के बीच सुर्खियां बटोरने की पूरी कोशिश कर रहे हैं. यह एलजी के संवैधानिक पद का पूरी तरह दुरुपयोग है. इसी मामले में उच्चस्तरीय जांच की मांग वाली जनहित याचिका दो साल पहले हाई कोर्ट ने खारिज कर दी थी.
      अरविंद केजरीवाल पर इस तरह का आरोप कभी उनके बहुत करीबी रहे कवि कुमार विश्वास ने भी  3 साल पहले लगाया था. समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए उन्होंने कहा था कि अरविंद केजरीवाल खालिस्तान समर्थक हैं, वो आदमी सत्ता के लिए किसी भी हद तक जा सकता है. कुमार विश्वास ने कहा था कि दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल हमेशा से ही खालिस्तान के समर्थन में रहे हैं. जब मैं उनके साथ था तो वह मुझे अपनी योजनाओं के बारे में बताते रहते थे. एक दिन उन्होंने मुझसे कहा- मैं या तो पंजाब राज्य का सीएम बनूंगा या फिर आजाद राष्ट्र का पहला पीएम बनूंगा.
कनाडा विवाद में सीपीआई और कांग्रेस ने भी सहयोग किया फिर आम आदमी पार्टी क्यों है दूर..
   सवाल उठता है कि जब पंजाब में रही कांग्रेस सरकार और पंजाब की स्थानीय सीपीआई इकाई दोनों हमेशा से जस्टिन ट्रूडो के खिलाफ बयान देते रहे हैं तो फिर आम आदमी पार्टी इस संबंध में क्यों मुंह छिपा रही है. पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री और अब वरिष्ठ भाजपा नेता अमरिंदर सिंह हमेशा से कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो पर भारत-कनाडा संबंधों को बर्बाद करने का आरोप लगाते रहे हैं. जब वो पंजाब में कांग्रेस सरकार के मुखिया तब भी उनके विचार में कोई अंतर नहीं था.
     अमरिंदर सिंह कहते हैं कि ट्रूडो ने भारत और कनाडा के रिश्ते को बर्बाद कर दिया है. ट्रूडो की रुचि सिर्फ एक चीज में है और वह है अपने चुनाव में सिख वोट पाना. पंजाब के मुख्यमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल को याद करते हुए सिंह कहते हैं कि उन्होंने उस समय के कनाडाई रक्षा मंत्री हरजीत सज्जन से मिलने से इनकार कर दिया था और उन्हें खालिस्तानी समर्थक कहा था. 2018 में ट्रूडो के भारत दौरे को याद करते हुए, उन्होंने कहा, जब ट्रूडो यहां आए, तो वह मुझसे मिलना चाहते थे. मैंने कहा कि मैं उनसे मिलना नहीं चाहता. वह पंजाब आना चाहते थे. फिर भारत सरकार ने ट्रूडो से कहा कि यदि आप मुख्यमंत्री से नहीं मिलते हैं, तो आप पंजाब नहीं जा सकते हैं. तब हमें मिलना पड़ा. इसी तरह भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार को कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सवादी) का भी अनपेक्षित सहयोगी मिला है.