कंपनी हाई-ऐंड रेमन स्पेक्ट्रोस्कोपी का भी निर्माण करती है जिसका इस्तेमाल सेमीकंडक्टर उद्योग में अन्य ऐक्टिव मैटेरियल की जांच में किया जाता है।
करीब 2.5 अरब डॉलर मूल्य की जापानी एनालिटिकल एवं मेजरमेंट सॉल्युशन कंपनी होरिबा (Horiba) भारत में एक ऐसा संयंत्र लगाने की तैयारी कर कर रही है जो देश में आगामी फैब इकाइयों और ओएसएटी एवं एटीएमपी कंपनियों के साथ-साथ वैश्विक बाजार की भी जरूरतें पूरी करेगा।
कंपनी के चेयरमैन एवं समूह मुख्य कार्याधिकारी अतुशी होरिबा ने कहा, ‘हमारी योजना भारत में एमएफसी बनाने के लिए संयंत्र की स्थापना करने की है। हमने इसका परीक्षण पहले ही शुरू कर दिया है, ताकि हम लोगों को प्रशिक्षित कर सकें। नागपुर में हमारे पास पर्याप्त भूमि है और एक स्थानीय आपूर्ति श्रृंखला तैयार करेंगे।’
होरिबा ने कहा, ‘सेमीकंडक्टर के निर्माण में 600 से ज्यादा गैसों का इस्तेमाल होता है। इनमें से कुछ जहरीली हैं और उनके प्रवाह को सही तरीके से नियंत्रित किया जाना चाहिए। हम वह विश्वसनीयता प्रदान करते हैं। हम अपने हेल्थकेयर बिजनेस में रीएजेंट्स जैसे अन्य उत्पादों के लिए भी निर्यात कर सकते हैं।’
होरिबा के निदेशक डॉ. जय हाखू का कहना है कि उनका बिजनेस मॉडल उन बड़ी कंपनियों को एमएफसी बेचने से जुड़ा हुआ है जो फैब उपकरण बनाती हैं और मुख्य कलपुर्जे के तौर पर इसका इस्तेमाल करती हैं। इनमें अप्लायड मैटेरियल्स या टोक्यो इलेक्ट्रॉन मुख्य रूप से शामिल हैं।
कंपनी हाई-ऐंड रेमन स्पेक्ट्रोस्कोपी का भी निर्माण करती है जिसका इस्तेमाल सेमीकंडक्टर उद्योग में अन्य ऐक्टिव मैटेरियल की जांच में किया जाता है। कंपनी यह उत्पाद फ्रांस में तैयार करती है।
कंपनी ने हाल में नागपुर में एक आधुनिक चिकित्सा उपकरण इकाई स्थापित करने के लिए 200 करोड़ रुपये के निवेश की घोषणा की है।